केजीएमयू में आयोजित हुआ ‘भारतीय सेना एवं उसकी भूमिका’ विषय पर व्याख्यान
लखनऊ। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी के जयंती के अवसर पर यूथ इन एक्शन एवं यूथ आफ मेडिकोज के संयुक्त तत्वावधान में आज किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ के कलाम सेन्टर में ‘भारतीय सेना एवं उसकी भूमिका’ विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। इस व्याख्यान में मुख्य अतिथि के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल दीपेन्द्र सिंह हुड्डा उपस्थित रहे। उन्होंने नेताजी के नारे ‘करो या मरो’ को गांधीजी द्वारा 1942 में अपनाने की बात बताते हुए कहा कि महात्मा गांधी नेताजी के विरोधी तो थे लेकिन नेताजी के नारे को ही उन्होंने अपनाया था।
कार्यक्रम संयोजक एवं यूथ इन एक्शन के सचिव डॉ भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल विजेता एवं कारगिल युद्ध के नायक के दीपेन्द्र सिंह हुड्डा उस समय विशेष रूप से चर्चा में आए जब उनके नेतृत्व में सेना की उत्तरी कमांड ने पाकिस्तान में घुसकर 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
शून्य से 50 डिग्री कम तापमान में सैनिक करते हैं चार माह तपस्या
इस अवसर पर श्री हुड्डा ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को याद करते हुए सशस्त्र सेनाबलों के शौर्य और सम्मान को याद किया। उन्होंने अपने विचार को फ़ोटो एवं वीडियो के माध्यम से लोगों तक रखा और बताया कि किस तरह बेहद कठिन परिस्थितियों में हमारे सेना के जवान हमारे देश के हर सरहद पर फिजिकल पेट्रोलिंग करते हैं। चाहे वह जम्मू का दुर्गम वन क्षेत्र हो, पाकिस्तानी आतंकवाद से पीड़ित कश्मीर हो या फिर लद्दाख और सियाचिन का भयानक बर्फीला क्षेत्र हो। उन्होंने कहा कि हमारे सेना के जवान चार-चार महीने तक केवल 8-10 की संख्या में बिना किसी संचार व्यवस्था के -50 डिग्री तापमान में रहकर तपस्या करते हैं तब जाकर देश की सीमाओं की सुरक्षा होती है।
विरोध और अपमान के बावजूद रक्षा में लगी रहती है सेना
उन्होंने समारोह में उपस्थित युवाओं को सेना के सकारात्मक कार्यों एवं हर संकट की परिस्थिति में संकट मोचन की तरह सेना की भूमिका के बारे में भी बताया। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक होने के बाद उस पर उठाये गये सवालों के संदर्भ में कहा कि हम सब यहां आराम से सुरक्षित बैठकर सेना का विरोध और अपमान भी करते हैं लेकिन इसके बावजूद दुर्गम परिस्थितियों में रहकर सेना त्याग और बलिदान करती रहती है। उन्होंने कहा कि सियाचिन में 21130 फिट की ऊंचाई पर सैनिक जब देश की निगरानी करता है तो पाकिस्तानी चौकी उससे कुछ फीट की दूरी पर ही होती है। उन्होंने कहा कई बार जमी बर्फ में स्लाइडिंग होती है जिसमें जवान अपनी जान गंवा बैठते हैं।
अंग्रेजों ने लगाया था नेताजी की पढ़ाई पर प्रतिबंध
इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं यूथ इन एक्शन के राष्ट्रीय संयोजक शतरुद्र प्रताप ने नेताजी के जीवन के मार्मिक प्रसंगों की चर्चा की और बताया कि किस तरह से जिन अंग्रेजों ने उनकी पढ़ाई पर प्रतिबंध लगाया था उन्हीं के एडमिनिस्ट्रेटिव परीक्षा में उन्होंने देश में चौथा स्थान प्राप्त किया लेकिन फिर भी उन्होंने देश सेवा के लिए उस शानदार नौकरी को लात मार दी और अकेले दम पर न केवल पचास हजार की सेना बनायी बल्कि देश के एक बङे़ हिस्से को आजाद भी करा लिया। महात्मा गांधी से उनकी असहमति का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि जिन महात्मा गाँधी ने उनके विरोध में कांग्रेस से अध्यक्ष का उम्मीदवार खड़ा किया और हार का मुंह देखा उन्हीं महात्मा गाँधी ने 1942 आते-आते सुभाष चन्द्र बोस के विचारों को अपना कर ‘करो या मरो’ का नारा गढ़ दिया। शतरुद्र प्रताप ने युवाओं को सेना से जुङ़ने का भी आह्वान किया।
नयी पीढ़ी को देश के नायकों के बारे में जानने की जरूरत
कार्यक्रम की अध्यक्षता किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलपति प्रो एम एल बी भट्ट ने की। उन्होंने बताया कि वह भी भारतीय सेना में पांच वर्ष तक कार्यरत रहे इसलिये वह सेना की कठिनाई और परेशानियों को समझते हैं। उन्होंने कहा की नयी पीढ़ी को हमारे देश के नायकों को जानने की जरूरत है ताकि वे गलत दशा और दिशा से उबर सकें। उन्होंने कहा कि हमारे देश की सेना एक समर्थ और सक्षम सेना है जो किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम है।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत यूथ ऑफ मेडिकोज के संरक्षक प्रो संदीप तिवारी ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ भूपेन्द्र सिंह ने किया। इस अवसर पर यूथ इन एक्शन की तरफ से कुलदीप पांडे, राजीव शुक्ला, शिवराम तथा यूथ ऑफ मेडिकोज की तरफ विवेक सोनी, प्रिंसी चौधरी, अनुराग अग्रवाल, आशुतोष आदि उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में लखनऊ के विभिन्न प्रोफेशनल कॉलेजों से लगभग 800 युवाओं ने भाग लिया।
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