-उप मुख्यमंत्री ने की श्वास के रोगों से बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव की अपील
-इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी अस्थमा एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी का चार दिवसीय 59वां वार्षिक सम्मेलन प्रारम्भ

सेहत टाइम्स
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभागों के कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा है कि अस्थमा, एलर्जी और दूसरे श्वसन रोगों से बचने के लिए आवश्यक है कि हम अपनी जीवन शैली में बदलाव लायें। सरकार भी इस क्षेत्र में काफी कार्य कर रही है, स्वास्थ्य विभाग लगातार जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है। उन्होंने डॉक्टरों से बेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ बेहतरीन दवाओं से उपचार की अपील की।

उप मुख्यमंत्री ने यह बात 30 अक्टूबर को केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग द्वारा इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी अस्थमा एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी के 59वें वार्षिक सम्मेलन आईसीएएआईकॉन 2025 का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन में कही। चार दिवसीय यह सम्मेलन 2 नवम्बर तक चलेगा। उपमुख्यमंत्री ने प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए खाली स्थानों पर अधिक से अधिक पेड़ लगाने का आह्वान किया तथा लोगों से सार्वजनिक वाहनों का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करने की अपील की। उन्होंंने आयोजकों से कहा कि आप लोग कॉन्फ्रेंस में इस समस्या से निपटने के लिए मंथन करेंगे जिससे जो कदम उठाने की जरूरत सामने आयेगी, उसके बारे में बताइये सरकार सभी कदम उठाने को तैयार है, उन्होंने कहा कि जो कार्य राज्य सरकार के क्षेत्र में न होकर केंद्र के अधिकार क्षेत्र में होगा, उसके लिए हम केंद्रीय मंत्री से मिलकर करने का अनुरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि इलाज में जिन इक्युपमेंट की जरूरत होगी उन्हें हम केजीएमयू को उपलब्ध करायेंगे। उन्होंने डॉक्टरों को भगवान का दूसरा स्वरूप बताते हुए कहा कि आप लोग जो भी शोध कर रहे हैं, वह निश्चित ही आने वाले समय में मरीजों के हित में होगा, इसलिए आप द्वारा जो भी सुझाव दिये जायेंगे उन्हें प्राथमिकता पर पूरा किया जायेगा।

प्रथम दिन उद्घाटरन समारोह में केजीएमयू की कुलपति पद्मश्री प्रो सोनिया नित्यानंद ने बढ़ती एलर्जी पर चिन्ता जताते हुए कहा कि पूरे देश में एलर्जी के प्रति जागरूक करने के लिए एलर्जी की शिक्षा को बढावा देने के लिये नये पाठ्यक्रमों की शुरुआत होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि एलर्जी पूरे विश्व में स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण विषय है जिसका प्रसार पूरे विश्व में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। विश्व एलर्जी संगठन के मुताबिक पूरे विश्व में 30-40 प्रतिशत लोग Allergy ग्रसित हैं। उन्होेेंने बताया कि Allergic Rhinitis से लगभग 10-30 प्रतिशत वयस्क एवं 40 प्रतिशत बच्चे ग्रसित हैं। इसी प्रकार Food Allergy से लगभग 6-8 प्रतिशत बच्चे एवं 2-4 प्रतिशत वयस्क ग्रसित हैं।
आयोजक पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर के विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश ने कहा कि सांस की आजादी हर व्यक्ति का अधिकार है। बढ़ती एलर्जी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। उन्होंने कहा कि हर सांस में स्वस्थ भारत की उम्मीद है। उन्होंने आह्वान किया कि एलर्जी की सही पहचान एवं उपचार से जीवन को स्वस्थ बनायें। उन्होंने बताया कि एक अध्ययन के मुताबिक, एलर्जी की दवाइयों में लगभग 4000 करोड़ रुपये का व्यय प्रतिवर्ष होता है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में यह समस्या प्रदूषण और बदलती जीवनशैली के कारण तेजी से बढ़ रही है। वायु प्रदूषण भारत में प्रतिवर्ष लगभग 16 लाख मौतों का कारण बनता है।
उन्होंने कहा कि अस्थमा भी एक प्रकार की फेफड़े की एलर्जी है, जो कि गैर संचारी रोगों में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी में से एक है। इससे पूरे विश्व में लगभग 30 करोड़ व्यक्ति ग्रसित हैं। अस्थमा से प्रतिवर्ष पूरे विश्व में लगभग 4.5 लाख व्यक्तियों की मृत्यु होती है जबकि इसमें से ज्यादातर मृत्यु को रोका जा सकता है। अस्थमा से पूरे भारतवर्ष में लगभग 2-5% व्यक्ति ग्रसित होते हैं। अस्थमा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होता है तथा यह बच्चों में होने वाली सभी क्रानिक बीमारियों में सबसे प्रमुख कारण है। अस्थमा से पूरे विश्व में लगभग 14% बच्चे ग्रसित होते हैं।
डॉ वेद ने बताया कि पल्मोनरी एवं किटिकल केयर मेडिसिन विभाग एलर्जी एवं अस्थमा के क्षेत्र में समुचित निदान एवं इलाज के लिए प्रतिबद्ध है एवं हमारे विभाग में इसके निदान एवं इलाज की परिपूर्ण व्यवस्था उपलब्ध है। यहाँ पर अत्यधिक कुशल चिकित्सकों एवं स्टाफ की टीम है जो अस्थमा एवं एलर्जी के सम्पूर्ण इलाज के लिए प्रशिक्षित एवं प्रतिबद्ध है। यहाँ एडवान्स फेफड़े की जॉच, Skin Prick Test (SPT), Immunotherapy, Biologics इत्यादि उपलब्ध हैं जो इस विभाग को एलर्जी एवं अस्थमा के समुचित इलाज के लिए स्टेट आफ आर्ट का दर्जा देती है। विश्वविद्यालय में भारत का सबसे बड़ा रेस्पिरेटरी आईसीयू (30 बिस्तरों वाला) स्थापित है, जहाँ 85% से अधिक गंभीर रोगियों की सफल रिकवरी दर्ज की गई है। पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, स्लीप मेडिसिन और एलर्जी अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। यह गर्व की बात है कि ऐसी उत्कृष्ट अकादमिक और क्लिनिकल चिकित्सा सेवाएँ उत्तर प्रदेश जैसे राज्य से निरंतर उभर रही हैं। ज्ञात हो केजीएमयू ने श्वसन चिकित्सा और नवाचार के क्षेत्र में देश भर में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है।
 
 

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