-लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में सफलतापूर्वक की गयी 68 वर्षीय बुजुर्ग की डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी
-चलने में कठिनाई, शरीर में जकड़न और कम्पन जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा था मरीज

सेहत टाइम्स
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पार्किंसन रोगियो के लिए राहत की खबर है। यहां गोमती नगर स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (आरएमएलआईएमएस), लखनऊ के न्यूरोसर्जरी विभाग द्वारा न्यूरोलॉजी विभाग की मदद से बीती 4 अक्टूबर 2025 को पहली बार पार्किंसन रोग के लिए डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) सर्जरी की गयी, आज 30 अक्टूबर को इस सर्जरी की सफलता का परिणाम सामने आया, जब सर्जरी के बाद की जाने वाली प्रक्रिया को पूर्ण किया गया। संस्थान का कहना है कि यह उपलब्धि उन्नत तंत्रिका रोग उपचार में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। ज्ञात हो यह सर्जरी दिल्ली के एम्स के अलावा कुछ चुनिंदा अस्पतालों में ही उपलब्ध है।
मीडिया सेल से मिली जानकारी के अनुसार मरीज आर.एम., 68 वर्षीय पुरुष, लंबे समय से पार्किंसन रोग से पीड़ित थे। उन्हें चलने में कठिनाई, शरीर में जकड़न और कंपन जैसी गंभीर समस्याएँ थीं, जिसके कारण उनकी जीवन गुणवत्ता काफी प्रभावित हो रही थी। वे डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ, प्रोफेसर, तथा डॉ. अब्दुल क़ावी, अतिरिक्त प्रोफेसर, न्यूरोलॉजी विभाग की देखरेख में उपचाराधीन थे।
जब दवाओं से पर्याप्त लाभ नहीं मिला, तो टीम ने सर्जिकल उपचार का निर्णय लिया। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) प्रक्रिया में मस्तिष्क के विशेष भागों में इलेक्ट्रोड प्रत्यारोपित किए जाते हैं। यह सर्जरी डॉ. दीपक सिंह, प्रोफेसर, न्यूरोसर्जरी विभाग के मार्गदर्शन में की गई तथा मुंबई से आए डीबीएस विशेषज्ञ डॉ. नरेन नाइक ने विशेष तकनीकी सहयोग प्रदान किया।
सर्जरी के बाद आज 30 अक्टूबर को मरीज के डिवाइस को प्रोग्राम किया गया और इलेक्ट्रोड सेटिंग्स को ठीक किया गया, जिसके बाद उनके कंपन में उल्लेखनीय कमी आई और वे बिना सहारे चलने में सक्षम हो गए। यह उपलब्धि उन सभी रोगियों के लिए आशा की नई किरण है जो वर्षों से इस रोग से परेशान हैं।
सफलता पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने कहा कि “डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) ने पार्किंसन रोग के उपचार का स्वरूप बदल दिया है। यह प्रक्रिया मरीजों की गतिशीलता में सुधार करती है, कंपन को कम करती है और दवाओं के दुष्प्रभावों से राहत देती है।”
डॉ. दीपक सिंह, प्रोफेसर, न्यूरोसर्जरी विभाग ने कहा कि “यह एक सुरक्षित और प्रभावी शल्य प्रक्रिया है जो आधुनिक न्यूरो-नेविगेशन तकनीक की सहायता से न्यूनतम जोखिम के साथ की जाती है। जिन मरीजों में दवाएँ असर नहीं करतीं, उन्हें इस प्रक्रिया से लाभ मिल सकता है, जिससे वे स्वतंत्र और सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं।”
उन्होंने बताया कि यह सफलता आरएमएलआईएमएस के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिसने इसे न्यूरोमॉड्यूलेशन थेरेपी के क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में स्थापित किया है। अब उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों के मरीजों को ऐसे उन्नत उपचार के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा।
क्या है डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS)
डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) एक उन्नत न्यूरोसर्जिकल प्रक्रिया है जिसका उपयोग पार्किंसन रोग, आवश्यक कंपन (Essential Tremor) और डिस्टोनिया जैसी गतिशीलता से जुड़ी बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
इस प्रक्रिया में मस्तिष्क के विशिष्ट हिस्सों में बहुत पतले इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं, जो एक छोटे बैटरी चालित उपकरण (पेसमेकर जैसे) से जुड़े होते हैं। यह उपकरण त्वचा के नीचे सीने के पास प्रत्यारोपित किया जाता है और यह मस्तिष्क को हल्के विद्युत संकेत भेजता है।
ये संकेत मस्तिष्क में असामान्य तंत्रिका गतिविधि को नियंत्रित करते हैं जिससे मरीज के कंपन, जकड़न और चलने में कठिनाई जैसी समस्याओं में सुधार होता है।
यह प्रक्रिया मस्तिष्क के ऊतकों को क्षति नहीं पहुँचाती और उपकरण की सेटिंग्स को जरूरत पड़ने पर समायोजित या बंद किया जा सकता है। यह दीर्घकालिक रूप से लक्षणों को नियंत्रित करने और जीवन की गुणवत्ता सुधारने में मदद करती है, विशेष रूप से तब जब दवाओं से अपेक्षित लाभ न मिले।

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