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एक मौसम को छोड़ बाकी ऋतुओं में दिन में नहीं सोना चाहिये…रात के भोजन में न खायें ये चीजें…

-राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में आयुर्वेद विशेषज्ञों ने दीं स्वस्थ जीवन शैली से जुड़ी जानकारियां

-दशम राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के कार्यक्रमों की शृंखला में अलग-अलग जानकारियों के साथ आयोजित किये जा रहे हैं कार्यक्रम

सेहत टाइम्स

लखनऊ। ब्रह्ममुहूर्त में सोकर उठना चाहिये… शाम का भोजन सूर्यास्त के बाद एक घंटे के अंदर कर लेना चाहिये…, बिना भूख लगे भोजन नहीं करना चाहिये…ग्रीष्म ऋतु के अतिरिक्त किसी अन्य ऋतु में स्वस्थ व्यक्ति को दिन में नहीं सोना चाहिये… स्वस्थ जीवन शैली से जुड़ी कुछ इसी प्रकार की जानकारियां राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, टूड़ियागंज, लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में आज 22 सितम्बर को आयुर्वेदाचार्यों ने दीं।

दशम राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के कार्यक्रमों की शृंखला में संहिता से संवाद, मीडिया से साझेदारी कार्यक्रम के तहत टूड़ियागंज स्थित आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो दिनेश कुमार मौर्य के निर्देशन में आज 22 सितंबर को संस्थान के महर्षि चरक सभागार, में मीडिया से साझेदारी करते हुए प्रो प्रदीप कुमार सचान ने आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों के बारे में चर्चा की। ज्ञात हो इस बार के आयुर्वेद दिवस की थीम है “आयुर्वेद जन जन के लिए, आयुर्वेद पृथ्वी के लिए”।

प्रो सचान ने बताया कि एक वर्ष में 6 ऋतुएं होती हैं, और इन सभी ऋतुओं में ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए तथा शाम का भोजन सूर्यास्त के बाद पश्चात 1 घंटे के भीतर कर लेना चाहिए, ऐसा करने से अनेकों प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि सुबह का भोजन खूब पौष्टिक और पर्याप्त मात्रा में लेना चाहिए, शाम का भोजन हल्का लेना चाहिए। प्रो महेश नारायण गुप्त ने चर्चा में कहा कि आयुर्वेद के अनुसार केवल ग्रीष्म ऋतु में ही दिन में व्यक्ति को सोने का निर्देश दिया गया है अन्य ऋतुओं में स्वस्थ व्यक्ति को दिन में नहीं सोना चाहिए। उन्होंने बताया कि रात के भोजन में दही, खीरा, सत्तू, चूड़ा नहीं खाना चाहिए।

कार्यक्रम में बोलते हुए डा संजीव सक्सेना ने कहा कि आयुर्वेद में चार प्रकार के द्रव्यों का सेवन नित्य करने को कहा गया है जो कि शरीर में रसायन का काम करता है। डा धर्मेंद्र ने बताया कि स्वस्थ रहने के लिए भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए जिससे भोजन का पाचन अच्छी तरह होता है और उसका शरीर में अवशोषण भी सही ढंग से होता है।

आपको बता दें कि दशम राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के कार्यक्रमों की शृंखला में महाविद्यालय द्वारा कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, जिसके द्वारा समाज के प्रत्येक वर्ग तक स्वस्थ जीवन के लिए अपनाये जानी वाली शैली तथा स्वस्थ रखने में बड़ी भूमिका निभाने वाली हमारी प्राकृतिक वस्तुओं के गुणों की जानकारी दी जा रही है। दो दिन पूर्व 20 सितंबर को सरस्वती शिशु मंदिर, टिकैत राय तालाब, राजाजीपुरम, लखनऊ के विद्यार्थियों को आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ जीवन शैली, स्वस्थ खान-पान, एवं औषधि पौधों के बारे में जागरूक किया गया। विद्यालय में औषधि वाटिका में लगे आंवला, सदाबहार ,नीम ,तुलसी, हरसिंगार, बेल, मकोय, गिलोय जैसे औषधि पौधों के बारे में और उनके प्रयोग के बारे में जानकारी दी गई थी। बच्चों को इम्युनिटी बढ़ाने के लिए स्वर्ण प्राशन के बारे में तथा बच्चों को अधिक मोबाइल फोन का इस्तेमाल, स्क्रीन टाइम से होने वाले शरीर एवं मन पर पडने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक किया गया था।

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