-यूनीसेफ ने सेफर इंटरनेट दिवस पर आयोजित किया जागरूकता कार्यक्रम

सेहत टाइम्स
लखनऊ। सोशल मीडिया की पहचान पर भरोसा न करें। ऑनलाइन किसी भी गेम अथवा ऑफर से पैसे कमाने के लालच में न पड़ें। हमेशा कठिन पासवर्ड बनाएँ और उन्हें किसी से साझा न करें। अभिभावक अपने मोबाइल में पेरेंटल कंट्रोल ऑप्शन को सदैव चालू करें और अपने बच्चों के इंटरनेट इस्तेमाल पर नजर रखें।
इंटरनेट के सुरक्षित इस्तेमाल से जुड़ी ऐसी कई टिप्स पर युवाओं ने साइबर विशेषज्ञ राहुल मिश्र, सलाहकार उत्तर प्रदेश साइबर सेल से सेफर इंटरनेट दिवस के उपलक्ष में चर्चा की। चर्चा का आयोजन यूनिसेफ द्वारा किया गया जिसमें पत्रकारिता एवं जनसम्पर्क विभाग के छात्र छात्राओं एवं युवाओं द्वारा संचालित संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
चर्चा का उद्देश्य बच्चों के लिए सुरक्षित, समावेशी, सशक्त डिजिटल दुनिया बनाने के लिए अभिभावकों, युवाओं एवं मीडिया की भूमिका को सुनिश्चित करना था। बैठक में बच्चों एवं युवाओं से जुड़े इंटरनेट के खतरों पर चर्चा की गई ताकि भावी पत्रकार इंटरनेट के सुरक्षित इस्तेमाल से जुड़े कैंपेन चला कर जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन एवं नेतृत्व कर सकें।
यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने कहा, “जहां एक ओर इंटरनेट के माध्यम से बच्चे बहुत सी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं वहीं इस दुनिया में बच्चों के लिए साइबर बुलिङ्ग, अबयूज, पॉर्नाग्रफी आदि जैसे खतरे भी बहुत हैं। यह सब बच्चों की मानसिक स्थिति को प्रभावित करते हैं।“
निपुण गुप्ता ने कहा सरकार एवं साइबर सेल को युवाओं को इंटरनेट मेन्टर एवं साथी की तरह प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि वे सरकार के साथ मिल कर जागरूकता फैलाने में सहयोग कर सकें। उन्होंने युवाओं के सुझावों को भी साइबर सुरक्षा के नियम एवं नीति आदि बनाने में शामिल करने की बात पर जोर दिया।
बैठक में साइबर विशेषज्ञ राहुल मिश्र ने बहुत से केस साझा करते हुए युवाओं को बताया कि किस प्रकार अनजाने में युवा एवं बच्चे साइबर अपराध का शिकार बन जाते हैं। उन्होंने कहा, “यदि बच्चे ऑनलाइन गेम खेलते हैं तो अभिभावकों को जागरूक रहना आवश्यक है। ध्यान रखें कि बच्चे गेम के दौरान अपनी कोई भी व्यक्तिगत जानकारी एवं फोटो आदि साझा न करें एवं यदि गेम में पेमेंट की आवश्यकता है तो उसमें ध्यान से ऑटो डेबिट विकल्प को बंद कर दें ताकि अपने आप उसमें आपके अकाउंट से पैसे न कटें।“


इसके साथ ही उन्होंने सभी बच्चों एवं युवाओं से इंटरनेट पर दोस्ती करने से बचने की सलाह दी। “इंटरनेट पर अक्सर झूठी पहचान बना कर लोग बच्चों से दोस्ती करते हैं और बाद में उनकी व्यक्तिगत जानकारी एवं फोटो का इस्तेमाल कर उन्हें परेशान करते हैं। यह सब बच्चों एवं युवाओं में मानसिक अवसाद का कारण बनता है। अतः इंटरनेट की दुनिया में किसी भी अनजाने पर भरोसा न करें।“
राहुल मिश्र ने किसी भी साइबर क्राइम का शिकार होने पर तत्काल 1098 या 1930 पर शिकायत दर्ज करने की भी अपील की। उन्होंने बताया की cybercrime.gov.in के माध्यम से भी लोग अपनी पहचान गोपनीय रखते हुए साइबर अपराध से जुड़ी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेट की दुनिया में जारुकता ही सबसे बड़ा हथियार है। यदि हम जागरूक हैं और सुरक्षा के मानकों का ध्यान रखते हैं तो हम खतरों से बच सकते हैं।
छात्रों ने भी इंटरनेट से जुड़ी चुनौतियों की बात करते हुए कहा कि अधिक स्क्रीन टाइम, ए आई, गलत जानकारियाँ, ऐडल्ट कंटेन्ट की आसानी से उपलब्धता, अनावश्यक कंटेन्ट की बहुतायत, बच्चों एवं युवाओं में बढ़ते क्रोध एवं इंटरनेट की लत आदि कुछ बड़ी समस्याएं हैं। बैठक में रेडियो जॉकी प्रतीक ने भी भाग लिया एवं युवाओं के साथ कुछ संचार की टिप्स साझा कीं जिससे वे साइबर सुरक्षा के संदेशों को रोचक ढंग से बच्चों एवं अभिभावकों तक ले जा सकें।
बैठक में उपस्थित सचिन यादव, अध्यापक, जनसम्पर्क विभाग नेशनल कॉलज ने कहा, “बच्चों के लिए सत्र बहुत जानकारी भरा था और अब वे जागरूकता से जुड़ी कुछ फिल्म, विडिओ एवं कंटेन्ट बनाने का प्रयास करेंगे।“
यूनिसेफ के सलाहकार घनश्याम मिश्र ने बताया कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूल सेफ्टी कार्यक्रम में यूनिसेफ द्वारा सहयोग प्रदान किया जा रहा है जिसके अंतर्गत विभिन्न ट्रेनिंग मॉड्यूल बनाए गए हैं। इन्हीं में साइबर सुरक्षा पर भी मॉड्यूल बनाया गया है एवं अध्यापकों का प्रशिक्षण भी किया गया है ताकि वे स्कूलों में बच्चों को साइबर सुरक्षा के लिए जागरूक कर सकें।
बैठक में यूनीसेफ़ के बाल सुरक्षा अधिकारी दिनेश कुमार, सलाहकार घनश्याम मिश्र, नौलेज मैनेजमेंट अधिकारी वासित मालिक भी शामिल रहे। बैठक में उपस्थित छात्रों में नेशनल कॉलेज एवं लखनऊ पब्लिक कॉलेज के छात्र शामिल थे।
