-लगातार रखनी चाहिये आईसीयू में भर्ती रोगियों की किडनी की स्थिति पर नजर

सेहत टाइम्स
लखनऊ। गहन चिकित्सा इकाई यानी आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों के इलाज के दौरान उनके गुर्दे पर बारीकी से नजर रखना आवश्यक है क्योंकि आंकड़े कहते हैं कि आर्इसीयू में भर्ती होने के दौरान करीब 40 फीसदी मरीज किडनी रोग के शिकार हो जाते हैं।
यह जानकारी चरक हॉस्पिटल के वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट कर्नल डॉ अरुण कुमार ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के तत्वावधान में रविवार को आयोजित सतत शिक्षा शिक्षा कार्यक्रम (सीएमई) में अपने व्याख्यान के दौरान दी। उन्होंने कहा कि आईसीयू में भर्ती मरीजो को संक्रमण, ब्लड प्रेशर, तरह-तरह की दवाओं के चलते किडनी रोग हो जाते हैं। इसलिए आवश्यक है कि लगातार उनकी स्थिति की निगरानी की जाये और किडनी रोग के लक्षण दिखते ही उसका भी उपचार साथ-साथ किया जाये। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में अगर नौबत डायलिसिस की आ जाती है तो मरीज के बचने की संभावनाएं और भी कम हो जाती हैं।

डिफरेंशिएटेड थायरॉयड कैंसर
चरक हॉस्पिटल के ही सीनियर कन्सल्टेंट ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ अर्चित कपूर ने डिफरेंशिएटेड थायरॉयड कैंसर के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह कैंसर ज्यादातर महिलाओं को और 20 से 40 वर्ष के बीच में होता है। उन्होंने कहा कि यह कैंसर बाकी दूसरे कैंसर की तरह नहीं होता है। उन्होंने कहा कि इसके होने के कारणों में मुख्य रूप से देखा गया है कि यह जेनेटिक होता है। इसके लक्षणों के बारे में उन्होंने बताया कि गले में सूजन, आवाज में बदलाव हो जाता है। इसके ट्रीटमेंट के बारे में उन्होंने बताया कि सर्जरी की जाती है तथा उसके बाद रेडियो एक्टिव आयोडीन की दवा पिलायी जाती है।

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