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एसजीपीजीआई में खुल रहा यूपी का अत्याधुनिक इमरजेंसी का एकमात्र वृहत्तम केंद्र

-इमरजेंसी मेडिसिन की पढ़ाई, प्रशिक्षण, चिकित्‍सा तीनों की सुविधा आरम्‍भ हो रही

-मौजूदा सत्र से दो सीटों पर पीजी कोर्स की अनुमति दी है नेशनल मेडिकल कमीशन ने

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में  2021- 2022 से आरंभ होने वाले शैक्षणिक सत्र से इमर्जेंसी मेडिसिन में 2 सीटों पर परास्नातक पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की अनुमति प्रदान की गई है व इस संदर्भ में एक पत्र भी जारी किया गया है, जिससे संस्थान के  इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की  30 शैय्याओं की इकाई को भी मान्यता प्राप्त हुई है। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग द्वारा यह स्वीकृति उस समय प्राप्त हुई है जब संस्थान में इमर्जेंसी मेडिसिन व गुर्दा प्रत्यारोपण केंद्र के नवीन भवन में इमरजेंसी के 210 बिस्तरों के विस्तार की दिशा में कार्य प्रगति पर है। इस नवीन भवन निर्माण वा  इससे संबंधित संयंत्रों की खरीद व मशीनों की स्थापना का कार्य अपनी पूर्णता के अंतिम चरण में है।   यह बिल्डिंग शीघ्र ही संस्थान को सौंप दी जाएगी। इस प्रत्याशित विस्तार हेतु जनशक्ति की भर्ती की प्रक्रिया भी चल रही है। इस सात स्तरीय विस्तार से संस्थान में आने वाले उन सभी रोगियों की निसंदेह ही मदद हो पाएगी, जो अत्यंत गंभीर अवस्था में पीजीआई की इमरजेंसी में  पहुंचते हैं। नवीन इमरजेंसी ब्लॉक में उसी परिसर में आपातकालीन रोगियों के लिए नैदानिक व रेडियोलाजी की सभी सेवाएं उपलब्ध होंगी।

प्रोफेसर आर के धीमन

संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य में इस तरह की अत्याधुनिक इमरजेंसी का यह एकमात्र वृहत्त्तम केंद्र होगा। रोग की गंभीरता व जांचों की अतिशीघ्र आवश्यकता के आधार पर इसे देखभाल के अनेक स्तरों में विभक्त किया जाएगा, जिससे रोगी को अति शीघ्र सर्वोत्तम उपचार मिल सके। यहां रिससिटेशन एरिया (पुनर्जीवन एरिया) ट्रायज व सेवा सुश्रुषा एरिया, अल्पकालिक प्रवास इकाई, गहन चिकित्सा केंद्र, हाई डिपेंडेंसी यूनिट, शल्य चिकित्सा इकाइयां, एंडोस्कोपी व अन्य कक्षों की व्यवस्था होगी। साथ ही रोग की गंभीरता के आधार पर लाल, पीले व हरे जोन की भी व्यवस्था होगी। इस बात पर विशेष बल दिया गया है कि रोगी और उसके संबंधियों को सर्वोत्तम आकस्मिक सेवा मिल सके। साथ ही यहां कार्यरत स्टाफ की भी आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया है।

निदेशक ने बताया कि इमरजेंसी मेडिसिन विषय में परास्नातक पाठ्यक्रम आरंभ करना न केवल संस्थान में अपितु उत्तर प्रदेश राज्य में इमरजेंसी सेवाओं को उन्नत करने की दिशा में एक उत्प्रेरक का कार्य करेगा। यह चिकित्सीय व पराचिकित्सीय स्टाफ के इमर्जेंसी मेडिसिन के क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए भी  एक संसाधन प्रशिक्षण केंद्र के रूप में कार्य करेगा।

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