-केजीएमयू के पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक विभाग में 10 अक्टूबर को हो रही वर्कशॉप में भाग लेंगे अनेक विशेषज्ञ

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। क्लबफुट एक जन्मजात जन्म दोष है जो लगभग 1000 नवजात शिशुओं में 1 में पाया जाता है। भारत में हर साल लगभग 35000 बच्चे क्लबफुट के साथ पैदा होते हैं। इस रोग में पैर नीचे और अंदर की ओर मुड़ा होता है। अच्छी बात यह है कि पोन्सेटी पद्धति के साथ समय रहते इलाज करा लिया जाये तो यह समस्या ठीक हो जाती है लेकिन यदि समय पर और उचित उपचार नहीं किया जाता है, तो बच्चा आजीवन अपंगता का शिकार रहता है।
यह जानकारी देते हुए केजीएमयू के पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अजय सिंह ने बताया कि समय पर इलाज करने से पैर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। अधिकांश बच्चे बिना परेशानी सभी दैनिक गतिविधियों को करने में सक्षम हो जाते हैं।
क्या होती है पोंसेटी पद्धति
उन्होंने बताया कि क्लबफुट सुधार की पोंसेटी विधि में, हड्डी रोग विशेषज्ञ द्वारा सीरियल करेक्टिव प्लास्टर कास्ट लगाया जाता है। इस तकनीक को सीखने और अपनाने के लिए ऑर्थोपेडिक डॉक्टरों को उचित एक्सपोजर और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
डॉ अजय ने बताया कि बाल चिकित्सा हड्डी रोग विभाग, केजीएमयू क्लबफुट देखभाल में अग्रणी संस्थान है। संस्थान के क्लबफुट उपचार कार्यक्रम में 1000 से अधिक बच्चों को पहले ही निःशुल्क इलाज के लिए नामांकित किया जा चुका है और 5000 से अधिक प्लास्टर निःशुल्क लगाये जा चुके हैं। सभी बच्चों को निःशुल्क ब्रेस/शूज प्रदान किया गया है। यह कार्यक्रम क्योर इंटरनेशनल इंडिया ट्रस्ट (सीआईआईटी) द्वारा समर्थित है। उन्होंने बताया कि समाज में क्लबफुट देखभाल प्रदान करने के लिए विभाग द्वारा अब तक कई हड्डी रोग विशेषज्ञों और सहायक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है। बाल चिकित्सा हड्डी रोग विभाग, केजीएमयू समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने और क्लबफुट की जागरूकता और देखभाल फैलाने की पहल कर रहा है।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में, बाल चिकित्सा हड्डी रोग विभाग, केजीएमयू और उत्तर प्रदेश ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन (यूपीओए) कल 10 अक्टूबर को ऑडिटोरियम, शताब्दी अस्पताल, केजीएमयू में कौशल वृद्धि पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का आयोजन कर रहा है। इसमें दिल्ली और यूपी के क्षेत्र के जाने-माने विशेषज्ञ क्लबफुट प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान देंगे। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूरे उत्तर प्रदेश से 60 से अधिक प्रशिक्षु अभ्यास करने वाले ऑर्थोपेडिक सर्जन और परामर्शदाता शामिल होंगे। कार्यशाला में रबर फुट मॉडल पर पोन्सेटी पद्धति सीखने का बेहतर अनुभव मिलेगा। डॉक्टरों के शिक्षण और प्रशिक्षण के अलावा, पैरामेडिक्स, परामर्शदाताओं और सहायक कर्मचारियों को शिक्षित करना भी इस कार्यक्रम का उद्देश्य होगा तथा यह पूरे उत्तर प्रदेश में समाज के सभी वर्गों के लिए क्लब फुट जागरूकता और प्रबंधन पहुंच के रूप में समाज के लिए एक वरदान होगा।

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