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बिल्ली और कुत्ता

जीवन जीने की कला सिखाती कहानी – 30 

डॉ भूपेंद्र सिंह

प्रेरणादायक प्रसंग/कहानियों का इतिहास बहुत पुराना है, अच्‍छे विचारों को जेहन में गहरे से उतारने की कला के रूप में इन कहानियों की बड़ी भूमिका है। बचपन में दादा-दादी व अन्‍य बुजुर्ग बच्‍चों को कहानी-कहानी में ही जीवन जीने का ऐसा सलीका बता देते थे, जो बड़े होने पर भी आपको प्रेरणा देता रहता है। किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय (केजीएमयू) के वृद्धावस्‍था मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ भूपेन्‍द्र सिंह के माध्‍यम से ‘सेहत टाइम्‍स’ अपने पाठकों तक मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य में सहायक ऐसे प्रसंग/कहानियां पहुंचाने का प्रयास कर रहा है…

प्रस्‍तुत है 30वीं कहानी – बिल्ली और कुत्ता

एक दिन की बात है, एक बिल्ली कहीं जा रही थी,तभी अचानक एक विशाल और भयानक कुत्ता उसके सामने आ गया।

कुत्ते को देखकर बिल्ली डर गई। कुत्ते और बिल्ली जन्म-बैरी होते हैं। बिल्ली ने अपनी जान का ख़तरा सूंघ लिया और जान हथेली पर रखकर वहां से भागने लगी।

किंतु फुर्ती में वह कुत्ते से कमतर थी, थोड़ी ही देर में कुत्ते ने उसे दबोच लिया।

बिल्ली की जान पर बन आई। मौत उसके सामने थी, कोई और रास्ता न देख वह कुत्ते के सामने गिड़गिड़ाने लगी, किंतु कुत्ते पर उसके गिड़गिड़ाने का कोई असर नहीं हुआ।

वह उसे मार डालने को तत्पर था, तभी अचानक बिल्ली ने कुत्ते के सामने एक प्रस्ताव रख दिया, “यदि तुम मेरी जान बख्श दोगे, तो कल से तुम्हें भोजन की तलाश में कहीं जाने की आवश्यकता नहीं रह जायेगी, मैं यह ज़िम्मेदारी उठाऊंगी। मैं रोज़ तुम्हारे लिए भोजन लेकर आऊंगी, तुम्हारे खाने के बाद यदि कुछ बच गया, तो मुझे दे देना, मैं उससे अपना पेट भर लूंगी।

कुत्ते को बिना मेहनत किये रोज़ भोजन मिलने का यह प्रस्ताव जम गया। उसने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया, लेकिन साथ ही उसने बिल्ली को आगाह भी किया कि धोखा देने पर परिणाम भयंकर होगा। बिल्ली ने कसम खाई कि वह किसी भी सूरत में अपना वादा निभायेगी।

कुत्ता आश्वस्त हो गया, उस दिन के बाद से वह बिल्ली द्वारा लाये भोजन पर जीने लगा। उसे भोजन की तलाश में कहीं जाने की आवश्यकता नहीं रह गई। वह दिन भर अपने डेरे पर लेटा रहता और बिल्ली की प्रतीक्षा करता। बिल्ली भी रोज़ समय पर उसे भोजन लाकर देती। इस तरह एक महीना बीत गया। महीने भर कुत्ता कहीं नहीं गया, वह बस एक ही स्थान पर पड़ा रहा। एक जगह पड़े रहने और कोई  भागा-दौड़ी न करने से वह बहुत मोटा और भारी हो गया।

एक दिन कुत्ता रोज़ की तरह बिल्ली का रास्ता देख रहा था, उसे ज़ोरों की भूख लगी थी, किंतु बिल्ली थी कि आने का नाम ही नहीं ले रही थी।

बहुत देर प्रतीक्षा करने के बाद भी जब बिल्ली नहीं आई, तो अधीर होकर कुत्ता बिल्ली को खोजने निकल पड़ा।

वह कुछ ही दूर पहुंचा था कि उसकी दृष्टि बिल्ली पर पड़ी, वह बड़े मज़े से एक चूहे पर हाथ साफ़ कर रही है, कुत्ता क्रोध से बिलबिला उठा और गुर्राते हुए बिल्ली से बोला,  “धोखेबाज़ बिल्ली, तूने अपना वादा तोड़ दिया, अब अपनी जान की खैर मना।

इतना कहकर वह बिल्ली की ओर लपका, बिल्ली पहले ही चौकस हो चुकी थी, वह फ़ौरन अपनी जान बचाने वहां से भागी।

कुत्ता भी उसके पीछे दौड़ा, किंतु इस बार बिल्ली कुत्ते से ज्यादा फुर्तीली निकली। कुत्ता इतना मोटा और भारी हो चुका था कि वह अधिक देर तक बिल्ली का पीछा नहीं कर पाया और थककर बैठ गया। इधर बिल्ली चपलता से भागते हुए उसकी आंखों से ओझल हो गई।

शिक्षा-

मित्रो दूसरों पर निर्भरता अधिक दिनों तक नहीं चलती। यह हमें कामचोर और कमज़ोर बना देती है, जीवन में सफ़ल होना है, तो आत्मनिर्भर बनो।

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