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कोविड काल में डॉक्टरों की कमी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में दे सकते हैं बड़ा योगदान
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फार्मासिस्ट की पढ़ाई में कर चुके हैं दवाओं के बारे में गहराई से अध्ययन
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प्रधानमंत्री की कौशल विकास परियोजना में बनने हैं एक लाख कोविड वारियर्स
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फार्मासिस्ट फेडरेशन ने लिखा पीएम को पत्र, फेडरेशन शाखाएं भी भेजेंगी अनुरोध पत्र
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। देश के प्रधानमंत्री द्वारा घोषित कौशल विकास परियोजना के अंतर्गत एक लाख कोविड वारियर प्रशिक्षण के संबंध में फार्मेसिस्ट फेडरेशन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस योजना में पूर्व से प्रशिक्षित बेरोजगार फार्मेसिस्टों को सम्मिलित करने का अनुरोध करते हुए विस्तृत सुझाव पत्र भेजा है, पत्र की प्रति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी भेजी गई है।
यह जानकारी देते हुए फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि इस सुझाव पर बल देने के लिए कल जनपद शाखाओं द्वारा ज्ञापन भेजा जाएगा और शाम को 5 बजे से 8 बजे तक ट्वीट भी किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के सभी विधाओं / विशिष्ट संस्थानों/ विभागों में कार्यरत फार्मेसिस्टों से प्राप्त सलाह को संकलित करते हुए फेडरेशन ने घोषित 3 माह के प्रशिक्षण उपरांत कोविड वारियर्स बनाये जाने के निर्णय का स्वागत करते हुए तकनीकी एवं जनहित में सुझाव प्रस्तुत किया है।
सुनील यादव ने बताया कि भारत वर्ष में लगभग 14 लाख डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर, पीएचडी फार्मेसी के साथ फार्म डी की शिक्षा प्राप्त पंजीकृत फार्मेसिस्ट हैं। घोषित कार्ययोजना में यदि पूर्व से तकनीकी प्रशिक्षित फार्मेसिस्टों को यह कोविड प्रशिक्षण दे दिया जाए तो उनकी बेरोजगारी भी दूर हो सकेगी, साथ ही जनता को उचित सुविधा देकर कोविड संक्रमण से बचाया जा सकता है, संक्रमित लोगों को उपचारित भी किया जा सकता है एवं मरीजों को उचित सलाह दी जा सकती है। फार्मेसिस्ट ट्रेसिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट, तीनों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। वास्तव में फार्मेसिस्ट औषधियों का विशेषज्ञ होता है, लेकिन वैश्विक स्वास्थ्य के बदलते परिवेश में इस कोविड संक्रमण काल मे फार्मेसिस्टों ने ‘मास्टर की’ के रूप में अपने आप को प्रस्तुत किया है।
फार्मेसिस्टों को क्रूड ड्रग का अध्ययन कराया जाता है, शरीर क्रिया विज्ञान, फार्माकोलॉजी, विष विज्ञान, ड्रग स्टोर मैनेजमेंट, माइक्रोबायोलॉजी सहित फार्मास्युटिक्स, फार्मक्यूटिकल केमिस्ट्री सहित विभिन्न विषयों का विस्तृत अध्ययन फार्मेसिस्ट को कराया जाता है। औषधि की खोज से लेकर, उसके निर्माण, भंडारण, प्रयोग, कुप्रभाव, दवा को ग्रहण करने, उसके पाचन, प्रभाव और उत्सर्जन (ADME) की पूरी जानकारी फार्मेसिस्ट को होती है, इसलिए आपकी इस जनहित की योजना में फार्मेसिस्ट अत्यंत प्रभावी हो सकते हैं।
फेडरेशन ने ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं उपकेंद्रों पर फार्मेसिस्ट की नियुक्ति कर स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ करने का अनुरोध किया है। श्री यादव ने कहा कि चिकित्सकों की कमी को देखते हुए फार्मेसिस्ट की नियुक्ति कोविड के समय बहुत प्रभावी हो सकती है। इसके साथ ही ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत करने के लिए आयुर्वेद, होम्योपैथ और वेटेनरी में रिक्त पदों को भी भरे जाने की जरूरत है।
फेडरेशन के संयोजक के के सचान, विद्याधर पाठक, डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप बडोला, फेडरेशन के महामंत्री अशोक कुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जे पी नायक, उपाध्यक्ष राजेश सिंह, ओ पी सिंह, प्रवीण यादव, अजय पांडेय, सुभाष श्रीवास्तव, जिला अध्यक्ष एस एन सिंह, सचिव जी सी दुबे ने कहा कि प्रस्तावित योजना के अंतर्गत देश के फार्मेसिस्टों को कोविड प्रशिक्षण देकर देश की सेवा का मौका देने से ग्रामीण जनता में कोविड का प्रसार भी रोका जा सकता है और उपचार में यह मील का पत्थर साबित होगा।