-किसी एक धर्म का ग्रंथ नहीं, सभी धर्मों का मूल है श्रीमदभगवतगीता
-मालवीय मिशन ने मनायी गीता जयन्ती, मालवीय जयन्ती तथा अटल जयन्ती

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। श्रीमद्भगवद्गीता जीवन के हर क्षेत्र में रास्ता दिखाती है किसी विषय पर कोई रास्ता न मिले तो गीता का स्मरण करें तो उसमें उसका हल मिल जाएगा। गीता किसी एक धर्म का ग्रन्थ नहीं है। वो सभी धर्मों का मूल है। ये विचार आज 25 दिसम्बर को महामना मालवीय मिशन द्वारा आयोजित समारोह में विद्वानों ने व्यक्त किये।
महामना मालवीय मिशन द्वारा यहां गोमती नगर स्थित कार्यालय पर 5159वीं श्रीमद्भगवद्गीता जयन्ती, 159वीं मालवीय जयन्ती तथा 96वीं अटल जयन्ती पर समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर लगभग प्रातः 3 घण्टे तक श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ हुआ जिसमें उपस्थित समस्त दर्शकों ने प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो0 गिरीश चंद्र त्रिपाठी, पूर्व कुलपति, बी.एच.यू. तथा वर्तमान में अध्यक्ष, उच्च शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश एवं मुख्य वक्ता प्रभु नारायण, राष्ट्रीय अध्यक्ष, महामना मालवीय मिशन थे। समारोह की अध्यक्षता महामना मालवीय मिशन, लखनऊ के अध्यक्ष पूर्व निदेशक डा॰ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान व के.जी.एम.यू. के प्रोफेसर डॉ॰ ए.के. त्रिपाठी ने की। सर्वप्रथम मालवीय मिशन के अध्यक्ष डा॰ ए.के. त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि महामना मालवीय मिशन का उद्येश्य शिक्षा, सेवा तथा संस्कृति की रक्षा करना है।

इस अवसर पर मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभु नारायण ने गीता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह जीवन के हर क्षेत्र में रास्ता दिखाती है किसी विषय पर कोई रास्ता न मिले तो गीता का स्मरण करें तो उसमें उसका हल मिल जाएगा। तत्पश्चात् मालवीय मिशन, लखनऊ शाखा के महासचिव डा॰ पी.के. सिंह तथा राष्ट्रीय सचिव आर.एन. वर्मा ने महामना के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए स्थापित मालवीय मिशन का परिचय एवं गतिविधियों की जानकारी दी। दोनों ने बताया कि मालवीय मिशन महामना के बताए रास्तों के अनुरूप सेवा, शिक्षा और संस्कार को विकसित करने के लिए संकल्पित है और तद्नुसार उन क्षेत्रों में कार्य कर रही है।
मुख्य अतिथि प्रो0 गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि गीता किसी एक धर्म का ग्रन्थ नहीं है। वो सभी धर्मों का मूल है। महामना मालवीय पर विचार रखते हुए उन्होंने कहा कि वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे, जिन्होंने समाज सेवा, शिक्षा, संस्कार, पत्रकारिता, वकालत तथा राजनीति सहित अनेकानेक क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी और आदर्श प्रस्तुत किए। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसमें वे चरम उत्कर्ष पर न पहुचें हो। समाज सेवा हो, वकालत हो, शिक्षा का क्षेत्र हो या राजनीत हो सभी में वे क्षेत्र के शिखर पर पहुँचे। उन्होंने मालवीय मिशन की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसी संस्थाएं ही भारतीय संस्कृति की रक्षा करने में सक्षम हैं।
इस अवसर पर एम.बी.बी.एस., एम.एस., एफ.आई.सी.एस., एल.एल.बी. डिग्रीधारक डॉ॰ आर.के. वर्मा का नागरिक अभिनंदन भी किया गया। उनके निस्वार्थ सेवा भाव को देखते हुए मिशन द्वारा उनका अभिनन्दन किया गया। इस अवसर पर अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए एवं वार्षिक पत्रिका ‘जागृति’ का विमोचन भी हुआ।
 
 

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