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3000 एमपीडब्‍ल्‍यू 27 जुलाई से परिवार कल्‍याण महानिदेशालय पर करेंगे बेमियादी सत्‍याग्रह

-सात साल पुरानी प्रशिक्षण पूरा कराने की मांग को लेकर करेंगे आंदोलन

-प्रशिक्षण पूरा न होने से नये पदों पर आवेदन करने से हो रहे वंचित

विनीत मिश्रा

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। उ प्र कॉन्ट्रेक्‍ट एम पी डब्ल्‍यू एसोसिएशन द्वारा अधूरे प्रशिक्षण को पूरा कराने की अपनी सात वर्ष पुरानी मांग अब तक पूरी न किये जाने के विरोध में कल 27 जुलाई से एक अनिश्चितकालीन सत्‍याग्रह प्रारम्‍भ किया जा रहा है। एसोसिएशन के अध्यक्ष मयंक तिवारी व महामंत्री अजय सविता ने बताया कि प्रशिक्षण को पूरा कराने के लिए वर्ष 2019 में परिवार कल्‍याण महानिदेशालय से शासन को प्रस्‍ताव भी भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। विभागीय लापरवाही की वजह से प्रशिक्षण पूरा हो गया होता तो आज ये सभी हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर पर कार्य करने हेतु पात्र होते।

एसोसिऐशन के संरक्षक विनीत मिश्रा ने यहां जारी विज्ञप्ति में बताया है कि एनएचएम द्वारा वर्ष 2011-12 में भारत सरकार के मेमोरेंडम 3 जनवरी 2011 के आधार पर लगभग 3500 संविदा एमपीडब्ल्यू हाई रिस्क एरिया में संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए नियुक्त किए गए थे इन लोगों का चयन विज्ञापन के माध्यम से जनपदीय स्वास्थ्य समिति द्वारा मेरिट के आधार पर किया गया तथा नियुक्ति उपरांत विभाग में 3 वर्षों तक कार्य किया। ये लोग उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में अभी भी कार्यरत हैं परंतु विभाग द्वारा मानदेय का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

विनीत मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2019-20 में आयुष्मान योजना के अंतर्गत हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पर लगभग 2500 संविदा एमपीडब्ल्यू के पद सृजित किए गए जिनकी योग्यता इंटरमीडिएट के साथ 1 वर्षीय प्रशिक्षण निर्धारित किया गया इन सभी एम पी डब्ल्यू लोगों की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट है एवं जिला स्वास्थ्य समिति के माध्यम से चयनित हैं परंतु विभाग द्वारा एम पी डब्ल्यू गाइडलाइन 2010 में निर्धारित 1 वर्षीय प्रशिक्षण के स्थान पर मात्र 10 दिवसीय प्रशिक्षण कराया गया जो नियमोचित नहीं था यह विभागीय लापरवाही है अन्यथा की स्थिति में आज यह सभी हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुष के पदों पर कार्य करने हेतु पात्र होते।

विनीत मिश्रा का कहना है कि ये अपने प्रशिक्षण हेतु वर्ष 2014 से प्रयासरत हैं शासन के निर्देश पर महानिदेशालय द्वारा विभागीय प्रस्ताव शासन को भेजा गया शासन की समस्त आपत्तियों का अंतिम रूप से निस्तारण करते हुए महानिदेशालय द्वारा 24-12-2019 को इनको प्रशिक्षण हेतु प्रबल संस्तुति करते हुए प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है।

उनका कहना है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुष संक्रामक रोगों की रोकथाम करने का फ्रंटलाइन वर्कर हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रामक बीमारियों जैसे-मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, टी बी, कुष्ठ रोग, हैजा, हिपेटाइटिस बी सी आदि बीमारियों को फैलने से रोकने घर-घर जाकर मरीजों के ट्रैकिंग कार्य के उनकी ब्लड स्लाइड बनाने तथा संक्रमित व्यक्ति को ग्रामीण स्तर पर आवश्यक उपचार देने जैसे कार्यों को संपादित करना होता है।

भारत सरकार के इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड और प्रदेश के विभागीय शासनादेश 23 जुलाई 1981 द्वारा 3000 से 5000 की आबादी पर एक स्वास्थ्य केंद्र का मानक निर्धारित है प्रदेश में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 32017 उप केंद्रों के सापेक्ष मात्र 20573 उप केंद्र स्थापित हैं इस तरह 11444 स्वास्थ्य उप केंद्र अभी भी स्थापित होने शेष हैं जबकि भाजपा के संकल्प पत्र में 77,241 नए सब सेंटर बनाने की घोषणा की गई थी यहां यह स्पष्ट करना है कि विभागीय शासनादेश 23 जुलाई 1981 के क्रम में प्रति स्वास्थ्य केंद्र पर एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुष की तैनाती का प्राविधनित है। इस हिसाब से अब तक कुल स्थापित 20573 स्वास्थ्य उप केंद्रों पर इतने ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुष तैनात किए जाने हैं परंतु स्थापित 20573 स्वास्थ्य उप केंद्रों के सापेक्ष स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुष के मात्र 9080 नियमित पद सृजित हैं वर्तमान में मात्र 1833 नियमित स्वास्थ्य कार्यकर्ता कार्यरत हैं तथा 7247 नियमित पद पिछले 32 वर्षों से रिक्त हैं इसके अतिरिक्त प्रदेश में हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर के लगभग 2500 पद प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं के अभाव में रिक्त पड़े हैं हेल्थ एंड वैलनेस उप केंद्रों का संपूर्ण वित्तीय भार केंद्र सरकार वहन कर रही है इस तरह वर्तमान में 7247 नियमित तथा 2500 संविदा एमपीडब्ल्यू के पदों को मिलाकर लगभग 10000 पद रिक्त हैं लेकिन पदों पर कार्य करने हेतु सेवा पूर्व प्रशिक्षण आवश्यक है यह प्रशिक्षण निजी क्षेत्रों में उपलब्ध नहीं है जबकि 2011 की जनगणना और इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड मानक के अनुसार 45030 स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुष की आवश्यकता है विभाग द्वारा वर्ष 1989 में अभ्यार्थियों को अंतिम प्रशिक्षण दिया गया तत्पश्चात वर्ष 2002, 2010 एवं 2015 में परीक्षा कराई गई परंतु उसे कतिपय कारणों वश निरस्त घोषित कर दिया गया विभाग द्वारा वर्ष 2015 की परीक्षा को निरस्त किए जाने का मामला उच्च न्यायालय लखनऊ खंड पीठ लखनऊ तथा उच्च न्यायालय इलाहाबाद खंडपीठ इलाहाबाद में आज भी विचाराधीन है।

विनीत मिश्रा ने बताया कि ये संविदा एम पी डब्ल्यू मात्र प्रशिक्षण कराए जाने का अनुरोध कर रहे हैं जिससे कि ये विभागीय संविदा के पदों पर अपनी सेवाएं दे सकें क्योंकि इस पद हेतु इनके पास लगभग 3 वर्ष का विभागीय अनुभव भी प्राप्त है। 1 वर्षीय प्रशिक्षण दिए जाने तथा हेल्थ एवं वैलनेस सेंटरों हेतु नियुक्त किए जाने से राज्य सरकार पर कोई वित्तीय भार भी नहीं पड़ेगा।

उन्‍होंने बताया है कि विभाग द्वारा वर्ष 2002-03 में पायलट प्रोजेक्ट के तहत चयनित अल्प शिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिला जो कि एनएचएम द्वारा ही रखी गई थी उन्हें विभागीय प्रशिक्षण देकर नियमित पदों पर समायोजित किया गया है।

इसी तरह वर्ष 2008-09 में एनएचएम द्वारा 960 महिला अभ्यर्थियों का चयन तदोपरांत प्रशिक्षण करा कर विभाग में नियमित पदों पर समायोजित किया जा चुका है।

वर्ष 2012-13 में रिट याचिका संख्या 190 एस एस सीमा सिंह बनाम सरकार प्रकरण में उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में लगभग 3000 महिलाओं को वरीयता देते हुए विभाग में समायोजित किया जा चुका है जिसका शासनादेश विभाग में उपलब्ध है।

वर्ल्ड बैंक फंडेड पंचवर्षीय उत्तर प्रदेश हेल्थ सिस्टम स्ट्रेथनिंग परियोजना में वर्ष 2014 में 3702 संविदा कर्मचारियों की 51 जिला स्तरीय अस्पतालों में विभिन्न पदों पर नियुक्ति की गई थी परियोजना 30 मार्च 2019 को समाप्त हो गई थी परंतु शासन द्वारा समस्त नियमों को शिथिल करते हुए परियोजना के सभी संविदा कर्मचारियों को एन एच एम की वर्ष 2018-19 की पीआईपी में सम्मिलित कार्य विभाग में समायोजित किया जा चुका है।

वर्तमान समय में कोविड-19 एक भयंकर संक्रामक बीमारी है, मानव संपदा के अभाव में देश प्रदेश में भयंकर समस्याओं सहित जन हानि का सामना करना पड़ा है उच्च न्यायालय, प्रधानमंत्री तथा स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने समय-समय पर मानव संपदा की कमी को दूर करने के लिए ग्रेजुएट पास युवाओं को 3 सप्ताह का प्रशिक्षण देकर उनको स्वास्थ्य विभाग में भर्ती करने का निर्देश सुझाव दिया है इन कार्मिकों ने 3 वर्षों से अधिक समय तक हाई रिस्क एरिया में यही कार्य किया है जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा मेरिट के आधार पर चयनित हैं संक्रामक बीमारियों एवं कोविड-19 की वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिगत इनकी कार्य दक्षता हाई रिस्क एरिया में कार्य करने का अनुभव महानिदेशक परिवार कल्याण उत्तर प्रदेश की प्रशिक्षण हेतु की गई प्रबल संस्तुति की है। विनीत मिश्रा ने बताया कि महानिदेशक परिवार कल्याण महानिदेशालय में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा, उपाध्यक्ष धनंजय तिवारी, सचिव डॉ पी के सिंह तथा उ प्र बेसिक हेल्थ वर्कर्स एशोसियेशन के महामंत्री शिवसागर शुक्ल की उपस्थिति में प्रदेश के 40 जिलों से 3500 संविदा एमपीडब्ल्यू महानिदेशक परिवार कल्याण परिसर में अपने प्रशिक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन शुरू करेंगे।

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