विजयसार नाम से एक लकड़ी है। ये मध्य-भारत के मध्य प्रदेश से लेकर पूरे दक्षिण भारत मे पायी जाती है । इस लकड़ी का रंग हल्के से गहरे लाल रंग का होता है। यह लकड़ी मधुमेह रोगियों के लिए प्रभावी है।
विजयसार को ना केवल आयुर्वेद बल्कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी डायबिटीज में बहुत उपयोगी मानता है। इसके लिए विजयसार की लकड़ी से बने गिलास में रात में पानी भर कर रख दिया जाता है। सुबह भूखे पेट इस पानी को पी लिया जाता है। विजयसार की लकड़ी में पाये जाने वाले तत्व रक्त में इंसुलिन के स्राव को बढ़ाने में सहायता करते हैं।
विजयसार की लकड़ी के टुकड़े बाजार से ले आएं, जिसमें घुन ना लगा हो। इसे सूखे कपड़े से साफ कर लें। अगर टुकड़े बड़े हैं तो उन्हे तोड़ कर छोटे- छोटे- 1/4 -1/2 सेंटीमीटर या और भी छोटे टुकड़े बना लें। फिर आप एक मिट्टी का बर्तन लें और इस लकड़ी के छोटे-छोटे लगभग पच्चीस ग्राम वजन के टुकड़े रात को दो कप या एक गिलास पानी में डाल दें। सुबह तक पानी का रंग गहरा लाल हो जाएगा। ये पानी आप खाली पेट छानकर पी लें और दोबारा आप उसी लकड़ी को उतने ही पानी में डाल दें शाम को इस पानी को उबाल कर छान लें। फिर इसे ठंडा होने पर पी लें।
इसकी मात्रा रोग के अनुसार घटा या बढ़ा भी सकते हैं अगर आप अंग्रेजी दवा का प्रयोग कर रहे हैं तो एकदम न बंद करें बस धीरे -धीरे कम करते जाएं अगर आप इंसुलिन के इंजेक्शन प्रयोग करते हैं, तो 1 सप्ताह बाद इंजेक्शन की मात्रा कम कर दें। हर सप्ताह में इंसुलिन की मात्रा 2-3 यूनिट कम कर दें। विजयसार की लकड़ी में पाये जाने वाले तत्व रक्त में इंसुलिन के स्राव को बढ़ाने में सहायता करते हैं।
औषधीय गुण:
– मधुमेह को नियन्त्रित करने में सहायता करता है।
– उच्च रक्त-चाप को नियन्त्रित करने में सहायता करता है।
– अम्ल-पित्त में भी लाभ देता है।
– जोड़ों के दर्द में लाभ देता है।
– हाथ-पैरों के कम्पन में भी बहुत लाभदायक है।
– शरीर में बढ़ी हुई चर्बी को कम करके, वजन और मोटापे को भी कम करने में सहायक है।
– त्वचा के कई रोगों, जैसे खाज-खुजली, बार-2 फोड़े-फुंसी होते हों, उनमें भी लाभ देता है।
– प्रमेह (धातु रोग) में भी अचूक है।
– इसके नियमित सेवन से जोड़ों की कड़-कड़ बंद होती है . अस्थियां मजबूत होती हैं।
