-हेल्दी वर्ल्ड विजन फाउंडेशन की दो दिवसीय नेशनल होम्योपैथिक कॉन्फ्रेंस का समापन
-डॉ रेनू महेन्द्र को प्रदान किया गया होम्योपैथिक आईकोनिक अवॉर्ड

सेहत टाइम्स
लखनऊ। होम्योपैथी चिकित्सा में गर्भवती मां की मनस्थिति का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिए रोगी का इलाज करते समय एक डाक्टर को उसके परिवेश को भी ध्यान में रख कर निदान करना चाहिए। गर्भनाल संबंध के कारण मां की सोच का प्रभाव शिशु पर पड़ता है और वही आगे चल कर रोगी के व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाता है।
यह निष्कर्ष आज हेल्दी वर्ल्ड विजन फाउंडेशन द्वारा आयोजित पहली नेशनल होम्योपैथिक कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन विशेषज्ञों की चर्चा में सामने आया। इस चर्चा में डा दीदार सिंह, आयुष दिल्ली के डायरेक्टर डा वीरेंद्र शर्मा, डा वीरभद्र, डा सुतापा नंदी सहित कई होम्योपैथी चिकित्सकों ने अपने विचार रखे।

डा वीरेंद्र शर्मा ने कहा कि होम्योपैथी के जनक डॉ हैनिमैन ने 82 वर्ष की आयु में अनुसंधान के आधार पर मैटीरिया मेडिका, आर्गेनान में 10 बार बदलाव कर डाला पर बीते ढाई सौ साल में होम्योपैथी को जहां वो खड़ा कर गए, आज भी वहीं की वहीं है। उन्होंने होम्योपैथी के चिकित्सकों, छात्रों से कहा कि आने वाले समय में आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस से होम्योपैथी में क्या बदलाव लाया जा सकता है इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। इसके लिए आपको अपने आत्मविश्वास को कायम रखना चाहिए।
डा वीरभद्रप्पा और डा तनवीर हुसैन ने लिवर, किडनी, हार्ट, स्किन बीमारियों पर अपने अनुभव शेयर किये। डॉ रेनू महेन्द्र को होम्योपैथिक आईकोनिक अवॉर्ड प्रदान किया गया। कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन समापन के अवसर पर डॉ बी एन सिंह, डॉ रेनू महेन्द्र, डॉ वीरेंद्र शर्मा, डॉ एस डी सिंह और हेल्दी वर्ल्ड विजन के चेयरमैन प्रमोद शंकर दुबे और वाइस चेयरपर्सन डा पूजा दुबे नायक ने देश भर से आए प्रतिनिधियों को अवॉर्ड और स्मृति चिह्न वितरित किए।
वरिष्ठ चिकित्सक डा बी एन सिंह ने कॉन्फ्रेंस को अपने उद्देश्य में बहुत कामयाब बताया और कहा कि आशा है ऐसे प्रयास आगे भी जारी रहेंगे। नेशनल होम्योपैथिक कॉलेज, लखनऊ के प्रोफेसर डॉ अमित नायक ने कॉन्फ्रेंस में आये सभी लोगों का आभार प्रकट किया।

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