-होम्योपैथी सहित सभी आयुष विधाओं को बढ़ाने का कार्य कर रही केंद्र और यूपी सरकार : दयालु
-‘एवीडेंस बेस्ड होम्योपैथिक प्रैक्टिस एंड क्लीनिकल रिसर्च’ विषय पर दो दिवसीय नेशनल होम्योपैथिक सेमिनार का उद्घाटन

सेहत टाइम्स
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा है कि आज के मंहगाई के दौर में होम्योपैथी से सस्ता और कारगर इलाज संभव है क्योंकि अन्य चिकित्सा विधि में इलाज मंहगा होता जा रहा है, होम्योपैथी का कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं है।
उपमुख्यमंत्री ने यह बात शनिवार 7 अक्टूबर को हेल्दी वर्ल्ड विजन फाउंडेशन द्वारा स्थानीय गन्ना संस्थान में एवीडेंस बेस्ड होम्योपैथिक प्रैक्टिस एंड क्लीनिकल रिसर्च विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन में कही। उन्होंने कहा कि आज सारी दुनिया में इस बात कि चर्चा है कि इस विधा से बड़े से बड़ा लाइलाज मर्ज़ ठीक किया जा सकता है। हाल के वर्षों में इस चिकित्सा पद्धति में सतत् विकास हुआ है। उन्होंने इस अवसर पर आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु की सराहना करते हुए कहा कि वो आयुष के विकास में बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं।

विशिष्ट अतिथि आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने इस अवसर पर सरकारी कॉलेजों में संविदा पर काम कर रहे चिकित्सकों को आश्वासन दिया कि अब उनकी सेवा में एक माह से ज्यादा अंतराल नहीं रहने दिया जायेगा, साथ ही उन्होंने इस चिकित्सा पद्धति में शोध कार्यों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में जो भी बन पड़ेगा सहयोग, सुविधा देने का प्रयास कर रही है।

आयुष मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विकास के साथ ही विरासत की भी बात करते हैं, आयुर्वेद हो या होम्योपैथी, सिद्धा हो, नेचुरोपैथ हो या फिर योग, सभी विरासत हैं। उन्होंने कहा कि 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद पहला मंत्रालय आयुष मंत्रालय का गठन हुआ। होम्योपैथी दुनिया की सबसे सस्ती पैथी है। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार आप सभी चिकित्सकों के हित के लगातार कार्य कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि होम्योपैथी का जन्म जर्मनी में हुआ था परंतु होम्योपैथिक का सबसे ज्यादा विकास भारत में हुआ है। आज भारत में सबसे ज्यादा होम्योपैथिक चिकित्सक हैं उन्होंने कहा कि आने वाले समय में वाराणसी में एक नए होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर स्टेट आयुष विश्वविद्यालय से सभी आयुष मेडिकल कॉलेजों को संबद्ध कर दिया जाएगा। कार्यक्रम में कोलकाता होम्योपैथी मेडिकल के प्राचार्य डॉ रजत चट्टोपाध्याय ने डायग्नोसिस बेस्ड क्लिनिकल प्रैक्टिस के विषय पर व्याख्यान दिया रजिस्ट्रार होम्योपैथी यूनिवर्सिटी जयपुर के डॉ शिशिर माथुर ने वैज्ञानिक तरीके एवं रिसर्च के माध्यम से होम्योपैथी को आगे ले जाने पर चर्चा की।

नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी के डॉ अनिल खुराना ने ज़ूम पर कांफ्रेंस के आयोजकों की सराहना करते हुए कहा कि आज दुनिया में सबसे ज्यादा तीन लाख के करीब होम्योपैथ चिकित्सक भारत में हैं | हम होम्योपैथी के पाठ्यक्रम में और सुधार कर रहे हैं और यह तैयार है। उन्होंने भी शोध के माध्यम से होम्योपेथी को और कारगर बनाने की बात कही। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि अपने अनुसंधान और अनुभवों को साझा करके रोगियों तक उनका लाभ पहुंचाएं।
हेल्दी वर्ल्ड विज़न की वाइस चेयरपर्सन और राजधानी लखनऊ में अपनी तरह के इस पहले आयोजन की आयोजक डॉ. पूजा दुबे ने देश भर से आये अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि होम्योपैथी के प्रचार प्रसार का यह प्रयास वो आगे भी जारी रखेंगी। चेयरपर्सन पी एस दुबे ने विशिष्ट जनों को शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। इस आयोजन के वास्तुकार लखनऊ के नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्रोफ़ेसर डॉ. अमित नायक ने भी सभी अतिथियों का स्वागत सत्कार किया। इस मौके पर पत्रिका का भी विमोचन किया गया।
चुभते हुए तंज ने बना दिया शोधार्थी
गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च के मुख्य परामर्शदाता डॉ गिरीश गुप्ता ने अपने सम्बोधन में कहा कि उन्होंने अपनी बीएचएमएस की शिक्षा के दौरान ही रिसर्च के क्षेत्र में आने के कारणों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 1979 में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (अब विश्वविद्यालय) के मेडिसिन विभाग के एक नामचीन प्रोफेसर ने होम्योपैथी पर कमेन्ट्स करते हुए इसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठाये थे। यह बात उन्हें इतनी चुभी कि उन्होंने होम्योपैथी की वैज्ञानिकता सिद्ध करने के लिए शोध क्षेत्र में प्रवेश किया और वैज्ञानिकों की मदद से सफल शोध किया।

अजीबोगरीब स्वप्न, भ्रम, डर जैसे कारणों से उत्पन्न रोगों को मात देती रिसर्च
वैज्ञानिक सत्र में डॉ गिरीश गुप्ता ने एवीडेंस बेस्ड रिसर्च ऑफ होम्योपैथी इन गायनीकोलॉजी विषय पर प्रस्तुति देते हुए यूट्राइन फायब्रायड, ओवेरियन सिस्ट और पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के एक-एक मॉडल केस की प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि उन्होंने होम्योपैथी के मूल सिद्धांत (पर्सन इन डिजीज नॉट डिजीज इन पर्सन) के अनुसार उपचार सिर्फ रोग को केंद्र में रखकर नहीं बल्कि रोगी को केंद्र में रखकर किया जाता है।
उन्होंने बताया कि मेरा उद्देश्य सिर्फ दवा के उपयोग से फायब्रायड समाप्त करना नहीं बल्कि उसके पीछे के कारणों को समझना भी था। उन्होंने कहा कि डॉ हैनीमैन ने कहा था कि रोग की उत्पत्ति माइंड से होती है, जिससे नर्वस सिस्टम डिस्टर्ब होता है, नर्वस सिस्टम के डिस्टर्ब होने से हार्मोन्स डिस्टर्ब होते हैं जो कि यूट्रेस में फायब्रायड का कारण बन जाते हैं, ऐसे में इलाज भी इसी क्रम से किया जाना चाहिये, यानी जिस रूट से फायब्रायड बनते हैं उसी रूट से दवा का असर होना चाहिये।
उन्होंने कहा कि सिर्फ फायब्रायड ही नहीं किसी भी रोग की क्रॉनिक स्थिति में जिन कारणों को देखना चाहिये वे हैं गुस्से को दबाना, दु: ख, प्रियजनों की मृत्यु, निराशा, मानसिक सदमा, यौन शोषण, अपमान, धोखा, चिंता, वित्तीय हानि, महत्वाकांक्षा पूरी न हो पाना, पहले से ही किसी चीज के परिणाम के बारे में सोचकर चिंता करना, किसी भी चीज का भय, रोष, भ्रम, स्वप्न आदि। उन्होंने विभिन्न प्रकार के स्वप्न, डर, भ्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
हैदराबाद से आए डॉ एस प्रवीण कुमार ने पैथोलॉजिकल बेस्ड प्रैक्टिस पर विस्तार से अपने अनुभव साझा किये। लखनऊ के डॉ रवि सिंह ने भी अपनी रिसर्च प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में प्रो रामजी सिंह, डॉ रेनू महेन्द्रा, डॉ आयशा अली, डॉ ममता पंकज, डॉ एसएन सेंगर, डॉ सुभास सिंह, डॉ जूही गुप्ता, डॉ दुर्गेश चतुर्वेदी के साथ ही स्नातक एवं परास्नातक छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ पंकज श्रीवास्तव एवं डॉ रचना श्रीवास्तव ने किया।

इन चिकित्सकों को पुरस्कारों से नवाजा गया
मंत्री ने इस मौके पर चिकित्सकों को सरप्राइज अवॉर्ड से नवाजा। इनमें डॉ पीसी श्रीवास्तव को बेस्ट टीचर अवॉर्ड, डॉ नरेश अरोड़ा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन होम्योपैथी, डॉ गिरीश गुप्ता को अवॉर्ड फॉर साइंटिफिक एक्सप्लोरेशन इन होम्योपैथी, डॉ अनुराग श्रीवास्तव को होम्योपैथिक अवेयरनेस अवॉर्ड, डॉ ओपी श्रीवास्तव को अवॉर्ड फॉर डेडीकेटेड सर्विसेज इन होम्योपैथी, डॉ नेहा सिंघल को अवॉर्ड फॉर मेरीटोरियस परफॉरमेंस अवॉर्ड इन एआईएपीजीईटी और डॉ अमोल जैन व डॉ तूलिका जैन को अवॉर्ड फॉर मेरीटोरियस परफॉर्मेंस अवॉर्ड इन एआईएपीजीईटी 2023 से सम्मानित किया गया।
छलका डॉ बीएन सिंह का दर्द
भोजनावकाश से ठीक पूर्व निदेशक डॉ बीएन सिंह जब बोलने के लिए डायस पर आये तो हाल में लोगों की उपस्थिति लगभग न के बराबर थी। उन्होंने कहा कि मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि तो जा ही चुके हैं, बाकी हॉल भी खाली हो रहा है। उन्होंने बताया कि बहुत सी सूचना देनी थी लेकिन चूंकि अधिकतर लोग जा चुके हैं, ऐसे में खाली सीटों को सुनाने का कोई लाभ नहीं है। उन्होंने कहा कि देश भर से आये हुए सभी होम्योपैथी के अतिथि, पदाधिकारीगण, छात्र-छात्राओं को बहुत बधाइयां, सभी को बहुत शुभकामनाएं। शाम को होम्योपैथी के छात्रों ने ही रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये |
