आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ अभय नारायण तिवारी की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि
लखनऊ। (धर्मेन्द्र सक्सेना) बालों की खूबसूरती भी व्यक्तित्व में एक अहम स्थान रखती है। हर तरह के बालों की अपनी-अपनी स्टाइल है, जो स्टाइल किसी को सूट कर जाये लेकिन सोचिये अगर किसी के बाल लगातार ऐसे झड़ रहे हों कि व्यक्ति गंजापन का शिकार हो जाये तो यक एक बड़ी दिक्कत भरी बात होगी। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि किसी व्यक्ति के बिल्कुल बाल न रह गये हों और उसके सात माह में न सिर्फ फिर बाल आ जायें बल्कि गहरे घने आ जायें तो आपको आश्चर्य होना स्वाभाविक है। लेकिन इस आश्चर्यचकित कार्य को आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ अभय नारायण तिवारी काफी समय से कर रहे हैं।
आपको बता दें यह वही डॉ अभय नारायण तिवारी हैं जिन्होंने केजीएमयू की टीम के साथ मिलकर बच्चों को जेई-एईएस से बचाने के लिए एक सफल स्टडी की है। इस स्टडी के तहत गोरखपुर के सर्वाधिक प्रभावित गांव में 10 माह तक पुष्य नक्षत्र में स्वर्णप्राशन संस्कार के तहत बच्चों को दवा पिलायी गयी है, और इस साल उस गांव से एक भी मरीज इंसेफ्लाइटिस का शिकार नहीं हुआ है।
आपको बता दें कि लखनऊ स्थित बड़े वैज्ञानिक संस्थान के वैज्ञानिक की रिश्तेदार सीतापुर की रहने वाली एक 13 वर्षीया किशोरी के सिर से बाल बिल्कुल गायब हो गये थे। उन्होंने बताया कि यह किशोरी उनके पास 30 दिसम्बर 2016 को आयी थी, उसका उपचार शुरू किया गया, इसके बाद मार्च, 2017 तक बच्ची के थोड़े-थोड़े बाल आने शुरू हो गये थे, उन्होंने बताया कि इसके बाद 15 जुलाई, 2017 तक सामान्य तरीके से घने बाल इसके सिर पर आ गये थे।
इसी विषय पर बात करने के लिए ‘सेहत टाइम्स‘ ने डॉ अभय नारायण तिवारी से उनके गोमती नगर स्थित क्लीनिक पर वार्ता की। उन्होंने इस सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुए कई प्रकार के मरीजों के बारे में बताया और उनकी फोटो दिखायीं जिनके बाल बिल्कुल गायब हो गये थे, फिर उपचार से दोबारा आ गये। डॉ तिवारी ने बताया कि महर्षि सुश्रुत की बतायी हुई विधि प्रछन्ना से उपचार करने पर बाल झ्ड़ना, सफेद होना में आश्चर्यजनक लाभ मिलता है। उन्होंने बताया कि यह करीब 7 से 9 माह का कोर्स है।
कैसे होता है उपचार
उन्होंने बताया कि इसके उपचार के लिए मरीज के सिर को पहले औषधियों द्वारा तैयार अर्क से सिर की सफाई कर ली जाती है। इसके बाद महीन सुई जैसे इंसुलिन लगाने के लिए होती है, उससे जहां बाल नहीं हों उस क्षेत्र में कई बार चुभोते हैं, उन्होंने बताया कि इसके बाद औषधियों से तैयार किया गया लेप मेहंदी की तरह सिर में लगाकर डेढ़ से दो घंटे तक लगा रहने दिया जाता है। इसके बाद गुनगुने पानी से धो लिया जाता है। उन्होंने बताया कि उस दिन सिर में कोई शैम्पू, तेल आदि नहीं लगाना चाहिये।
उपचार के समय के बारे में डॉ तिवारी ने बताया कि उपचार की शुरुआत में एक दिन छोड़कर चार सिटिंग में लेप लगाया जाता है। इसके बाद 15-15 दिन के अंतराल पर इसी प्रक्रिया को किया जाता है। दो-तीन माह में परिणाम दिखना शुरू हो जाता है और 7 से 9 माह में पूरी तरह बाल आ जाते हैं।