Saturday , November 23 2024

पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है…

-एबिलिटी हेल्थकेयर में निर्मित आधुनिक कृत्रिम हाथों का वितरण

सेहत टाइम्स
लखनऊ।
कहते हैं कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है… ये पंक्तियां शिवानी श्रीवास्तव पर फिट बैठती हैं। वर्ष 2005 में मात्र 12 वर्ष की आयु में शिवानी का बायां हाथ करंट लगने के कारण कट गया था, लेकिन शिवानी ने अपना हौसला नहीं खोया, इसका श्रेय घरवालों से लेकर अन्य परिचितों को भी जाता है जिन्होंने हमेशा उसकी हिम्मत बढ़ायी। शिवानी ने एक हाथ से ही अपनी शिक्षा जारी रखते हुए ग्रेजुएशन किया, शिवानी इस समय एक प्राइवेट हॉस्पिटल में पीआरओ पद पर नौकरी कर रही हैं।

लखनऊ की रहने वाली शिवानी से ‘सेहत टाइम्स’ की मुलाकात 8 मई को गोमती नगर स्थित एबिलिटी हेल्थकेयर में हुई, मौका था एबिलिटी हेल्थकेयर में निर्मित आधुनिक कृत्रिम हाथों (myoelectric prosthesis) के वितरण का। 19 वर्षों के लम्बे अन्तराल बाद शिवानी को पहली बार यह आधुनिक कृत्रिम हाथ मिला है। लखनऊ की शिवानी के साथ ही नौ अन्य दिव्यांगों को भी यह आधुनिक कृत्रिम हाथ प्रदान किया गया। इनमें राजीव बरेली, नीरज रायबरेली, अवधेश बदायूं , अजय गोरखपुर, शहनाज़ बरेली, सूरज फतेहपुर, शिवानी अयोध्या तथा योगेंद्र फतेहपुर शामिल हैं। इन सभी ने कृत्रिम हाथ के लिए एक सप्ताह पूर्व नाप दी थी। वितरण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केजीएमयू के पीएमआर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार गुप्ता ने कृत्रिम हाथ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां देते हुए लाभार्थियों को शुभकामनायें दीं।

इस मौके पर अत्‍याधुनिक तकनीकयुक्‍त कृत्रिम अंग व उपकरणों का निर्माण करने का संकल्‍प लेने वाले एबिलिटी हेल्थकेयर के डॉ कुलदीप सिंह ने कहा कि यह पहली बार है जब लखनऊ में संस्था एकसाथ 10 लोगों को आधुनिक कृत्रिम हाथ वितरित कर रही है। उन्होंने बताया कि हाथ के इस्तेमाल में किन बातों का खयाल रखना है, मुख्य रूप से इसे पानी से बचाना है, अगर अचानक बारिश आ जाये तो किस प्रकार से हाथ को रखना है जिससे हाथ के सर्किट में पानी न पहुंचे। एबिलिटी हेल्थकेयर की डॉ अनुश्री सिंह ने लाभार्थियों से कहा कि इस कृत्रिम हाथ की फिटिंग बहुत अच्छी आयी है, इसकी प्रैक्टिस पर ध्यान दें। इसके संचालन के बारे में सभी लाभार्थी अच्छे से समझ लें। इस मौके पर लाभार्थियों के बीच कृत्रिम हाथ से बॉल, गिलास पकड़ कर रखने जैसी एक्टिविटी वाली प्रतियोगिताएं आयोजित कीं गयीं। इसका उद्देश्य कृत्रिम हाथ से कार्य किये जाने की क्षमता को विकसित करना तथा प्रैक्टिस के प्रति रुझान उत्पन्न करना था। एक सवाल के जवाब में डॉक्टर कुलदीप ने बताया कि इन हाथों में मूवमेंट मस्तिष्क से मिले सिग्नल के अनुरूप होता है उन्होंने बताया कि हाथ में जिस प्रकार का मूवमेंट करना होता है उसे प्रकार के मूवमेंट के लिए सेंसर लगा दिया जाता है जिसका मस्तिष्क से सिग्नल मिलने पर मूवमेंट होता है। प्रतियोगिता के अंत में सभी प्रतिभागियों की हौसलाफजाई करते हुए पुरस्कार वितरित किये गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.