-केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ.सूर्य कान्त के शोध में निकला निष्कर्ष

सेहत टाइम्स
लखनऊ। योग न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रखता है बल्कि यह मानसिक समस्याओं को भी दूर करता है। यह निष्कर्ष केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ.सूर्य कान्त द्वारा अस्थमा रोगियों पर किये गए शोध में सामने आये हैं। इस शोध में डॉ. श्रुति अग्निहोत्री ने शोध सहायक के तौर पर सहयोग किया है। डॉ. सूर्य कान्त बताते हैं कि यह शोध अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्ल्ड जनरल ऑफ फार्मास्यूटिकल रिसर्च में साल 2024 में प्रकाशित हुआ।
केजीएमयू के मीडिया सेल द्वारा जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए यह बताया गया है कि यह शोध अस्थमा के रोगियों पर उनके मनोवैज्ञानिक कारकों पर योग, प्राणायाम व ध्यान के प्रभाव को देखने के लिए किया गया। इस शोध में 600 अस्थमा के रोगियों ने प्रतिभाग किया, जिनमें से 530 रोगियों ने इसे पूरा किया। रोगियों को दो समूहों में विभाजित किया गया एक समूह के मरीजों को चिकित्सीय दवाओं के साथ 45 मिनट तक योग, प्राणायाम व ध्यान आठ माह तक कराया गया जबकि दूसरे समूह के मरीजों का केवल चिकित्सीय दवाओं द्वारा इलाज किया गया। आठ माह के बाद दोनों समूहों के रोगियों को DAAS(Depression, Anxiety and Stress Scale)21 प्रश्नोत्तरी द्वारा आकलित किया गया जिसमें यह पाया गया कि आठ माह तक योग करने वाले प्रतिभागियों में अवसाद का स्तर 23%, चिंता का स्तर 32% तथा तनाव का स्तर 41% तक कम हो जाता है। इससे यह पता चलता है कि दवाओं के साथ योग, ध्यान और प्राणायाम अस्थमा के इलाज में कारगर है।

डॉ. सूर्य कान्त के अनुसार फेफड़े जीवन भर बिना रुके हुए काम करते हैं। यदि इनमें कुछ दिक्कत आ जाये तो सांस लेने सम्बन्धी बीमारियाँ जैसे अस्थमा व अन्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। आज के समय में वायु प्रदूषण, स्मोग, ग्लोबल वार्मिंग फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। ऐसे में योग के माध्यम से हम फेफड़ों सम्बन्धी दिक्कतों से काफी हद तक पार पा सकते हैं। अस्थमा के इलाज में योग सहायक हो सकता है।
योग में कई प्रकार की सांस सम्बन्धी तकनीकों का उपयोग किया जाता है। प्राणायाम में कई प्रकार की सांस तकनीकें शामिल हैं जो सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं। प्राणायाम करने से फेफड़े साफ़ होते हैं, शरीर को ऊर्जा मिलती है और ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता बढ़ती है |
