-अनुभव, जोश और नवीन टेक्नोलॉजी के समन्वय से दंत चिकित्सा में क्रांतिकारी बदलाव
-इंडियन सोसाइटी ऑफ प्रोस्थोडोंटिक्स-रेस्टोरेटिव-पेरियोडोंटिक्स के 15वें राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन
सेहत टाइम्स
लखनऊ। नयी-नयी टेक्नोलॉजी का कमाल, युवा चिकित्सकों का जोश और पुरानी टेक्नोलॉजी से लेकर नयी टेक्नोलॉजी तक का सफर तय करने वाले सीनियर डेंटिस्ट की अनुभव भरी गाइडेंस के समन्वय से दंत निर्माण के क्षेत्र में जबरदस्त बदलाव आया है। दांत की नाप लेने से लेकर दांत बनाकर तैयार करने तक का काम नयी टेक्नोलॉजी के जरिये किये जाने से जहां एक्यूरेसी बढ़ गयी है वहीं दंत निर्माण में लगने वाला समय हफ्तों से घटकर चंद घंटों में आ गया है।
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU), लखनऊ में इंडियन सोसाइटी ऑफ प्रोस्थोडोंटिक्स-रेस्टोरेटिव-पैरीयोडोंटिक्स (ISPRP) के 15वें राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन पर इसके आयोजन अध्यक्ष प्रो पूरन चंद ने सेहत टाइम्स के साथ विशेष वार्ता में अनेक महत्वपूर्ण बदलावों के बारे में जानकारियां दीं। ज्ञात हो प्रो पूरन चंद केजीएमयू के प्रॉस्थोडॉन्टिक्स क्राउन एंड ब्रिजेज विभाग के अध्यक्ष हैं, इसी विभाग में दंत निर्माण कार्य होता है। अच्छी बात यह है कि अत्याधुनिक प्रणाली से दंत चिकित्सा यहां किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय में भी की जा रही है।
उन्होंने बताया कि पुरानी टेक्नोलॉजी के तहत नया दांत बनाने के लिए नाप लेने के लिए एक प्रकार का मैटीरियल मुंह के अंदर डाला जाता था, उस मैटीरियल पर दांत का आकार बनने पर मैटीरियल के सूखने पर एक सांचा तैयार होता था, इस सांचे में मेटल या अन्य पदार्थ, जिसका दांत बनना है, को भर कर दांत तैयार किया जाता था, यह सारा काम मैनुअल होता था। अब नयी टेक्नोलॉजी में दांत का नाप लेने के लिए किसी प्रकार का पदार्थ मुंह में डालने की जरूरत नहीं पड़ती है, डेंटल चेयर पर बैठे मरीज के मुंह के अंदर उपकरण की मदद से फोटो ले ली जाती है। इस फोटो को लैब में भेज कर दांत बनाने वाली कम्प्यूटराइज्ड मशीनों में डालकर सिर्फ कमांड दिया जाता है, और सीधे बना-बनाया दांत तैयार होकर निकल आता है।
उन्होंने बताया कि सम्मेलन का अंतिम दिन अत्यंत उत्साहजनक और ज्ञानवर्धक रहा। देशभर से आए विशेषज्ञों और छात्रों ने सहभागिता कर अकादमिक विमर्श, तकनीकी नवाचार और आपसी समन्वय को आगे बढ़ाया। दिन की शुरुआत प्रतिष्ठित राष्ट्रीय विशेषज्ञों के व्याख्यानों से हुई। डॉ. विशाखा ग्रोवर ने पीरियो-प्रोस्थो समन्वय पर व्याख्यान दिया, वहीं डॉ. सचिन गुप्ता ने DMA और DME जैसी आधुनिक विधियों से उप-जिंजाइवल मार्जिन प्रबंधन की चर्चा की। डॉ. स्वप्निल परलानी ने सॉफ्ट टिशू इम्प्लांट्स की कार्यात्मक योजना और चेहरे के सुंदर मुस्कान पर प्रकाश डाला। डॉ. सोनल सिंह ने ओसिओइंटीग्रेशन को बेहतर बनाने में चुंबकीय तकनीक की संभावनाओं पर विचार प्रस्तुत किया।

मुख्य वक्ताओं में डॉ. आशीष कुमार ने ओक्लूजन में पीरियोडॉन्टल दृष्टिकोण की महत्ता पर जोर दिया, जबकि डॉ. फरहान दुर्गानी ने रेस्टोरेटिव इम्प्लांट डेंटिस्ट्री में हार्ड और सॉफ्ट टिशू ऑगमेंटेशन की भूमिका साझा की। ऑर्गनाइजिंग कमेटी अध्यक्ष डा. पूरन चंद ने बताया कि सम्मेलन का मुख्य केंद्र नई उभरती तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), 3D प्रिंटिंग और डिजिटल वर्कफ्लो पर केंद्रित रही।
डा. कमलेश्वर सिंह डा सुनीत जुरेल ने संयुक्त बयान में बताया कि ए आई में रिसर्च से आधुनिक दंत चिकित्सा में क्रांतिकारी परिवर्तन आ रहा है जो निदान, सटीकता, उपचार योजना और कस्टमाइज्ड प्रोस्थेसिस निर्माण को नई ऊंचाई दे रहे हैं। वक्ताओं में डा रघुवर दयाल सिंह ने इन्हें दंत चिकित्सा के भविष्य की दिशा में निर्णायक बताया।
एक ऊर्जावान पैनल चर्चा के दौरान विशेषज्ञों ने वर्तमान चुनौतियों, अनुसंधान की दिशा और तकनीकी रुझानों पर विचार साझा किए। साथ ही, छात्रों द्वारा प्रस्तुत शोध कार्य—जिसमें पुनर्योजी प्रक्रियाएं, बायोमैटेरियल्स और डिजिटल ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल शामिल थे—को सराहा गया। पोस्टर प्रतियोगिता में डॉ. आशीता विजेता रहीं, जबकि पेपर प्रेजेंटेशन में डॉ. यांगचिन और डॉ. बिंदु को सम्मानित किया गया। डा भास्कर अग्रवाल ने बताया कि वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति औषधीय पौधों एवं घरेलू उपचार से दाँतों को मज़बूत तथा स्वस्थ रख सकते हैं।
दो दिवसीय समारोह का समापन सभी प्रतिभागियों और वक्ताओं को धन्यवाद प्रस्ताव देकर किया गया। दिया गया। आयोजन समिति के डॉ. बालेंद्र प्रताप सिंह, डॉ. सुनीत कुमार जुरेल, डॉ. एम. रघुवर दयाल सिंह, डॉ. प्रोमिला वर्मा, डॉ. नंदलाल, डॉ. हुसबाना, डॉ. भास्कर, डॉ. कमलेश्वर, और डॉ. रिधम, डॉ निशी को उनके अथक प्रयासों के लिए सराहा गया।
डॉ पूरन ने बताया कि इस सम्मेलन ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि KGMU दंत चिकित्सा शिक्षा, नवाचार और अनुसंधान में देश का अग्रणी संस्थान है।

