लखनऊ को पहली टेस्ट ट्यूब बेबी देने वाली डॉ गीता खन्ना से विशेष बातचीत
स्नेहलता सक्सेना
लखनऊ। संतानविहीनता के दंश से जूझ रहे जोड़ों में सिर्फ 35 प्रतिशत जोड़े ही ऐसे होते हैं जिन्हें संतान के लिए महंगी आईवीएफ टेक्नीक की आवश्यकता होती है, जबकि शेष 65 प्रतिशत दम्पति को काउंसलिंग, दवाओं या अन्य विधियों से संतान की खुशी दिया जाना संभव है। यह कहना है लखनऊ को पहली टेस्ट ट्यूब बेबी देने वाली अजंता अस्पताल एवं आईवीएफ सेंटर की निदेशक डॉ गीता खन्ना का।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर लखनऊ को पहली टेस्ट ट्यूब बेबी ‘प्रार्थना’ का जन्म कराने वाली डॉ गीता खन्ना ने ‘सेहत टाइम्स‘ से विशेष बातचीत में कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को बधाई देने के साथ मुझे यह बताने में बहुत गर्व है कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का पहला परखनली शिशु एक फीमेल चाइल्ड है, और इसका जन्म अजंता अस्पताल में हुआ था।
यह पूछने पर कि जिन दम्पतियों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है उन्हें संतान का सुख कैसे प्राप्त हो सकता है, क्योंकि इसके इलाज में काफी खर्च हो जाता है? इस सवाल के जवाब में डॉ गीता खन्ना ने कहा कि ऐसा नहीं है, मैं संतानविहीनता को लेकर दुखी सभी महिलाओं को यह आश्वस्त करना चाहती हूं कि अनेक ऐसी विधियां हैं जिनसे संतान का सुख पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मेरा यह अनुभव रहा है कि बहुत से जोड़ों की सिर्फ काउंसलिंग करने से ही उनकी समस्या का समाधान हो जाता है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा इंट्रायूट्रीन इन्सेमिनेशन (आईयूआई), अनेक प्रकार की लैप्रोस्कोपिक प्रक्रियाओं से भी संतान सुख पाना संभव है। उन्होंने बताया कि अगर इन सभी विधियों से संतान सुख नहीं मिलता है तभी आईवीएफ (टेस्ट ट्यूब बेबी ) ,इंट्रा सायटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई), जैसी तकनीक अपनायी जाती है जिसमें अपेक्षाकृत कम खर्च आता है। इसे और अनुकूल बनाते हुए कुछ सब्सिडी भी दी जा सकती है।
संतानहीनता के कारणों के बारे में बताते हुए डॉ गीता खन्ना ने कहा कि आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगी, करियर बनाने का तनाव, व्यायामरहित जीवन शैली, खानपान और देर से विवाह जैसे कारणों से बहुत से माता-पिता संतान के सुख से वंचित हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि अब तो यह भी प्रचलन बढ़ रहा है कि अगर मेल या फीमेल किसी खास और अपरिहार्य कारणों के चलते देर से बेबी की प्लानिंग करना चाहते हैं तो वे अपने अंडे और शुक्राणु इसके लिए विशेष तौर पर बने बैंक में रखवा देते हैं जिन्हें कड़ी निगरानी और अनुकूल वातावरण में रखा जाता है तथा जरूरत पड़ने पर वह दम्पति संतान का सुख ले सकता है। डॉ गीता खन्ना ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में बांझपन के इलाज में अस्पताल द्वारा विशेष छूट दी जा रही है, यह छूट एक माह तक जारी रहेगी।