-वेतन ने मिलने के कारण कुछ ने तो मजबूरी में आकर कर ली आत्महत्या
-माध्यमिक शिक्षक संघ ने फिर लिखा मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री को पत्र
-वित्तविहीन विद्यालयों को फरवरी से अब तक नहीं मिला वेतन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री एवं प्रवक्ता डॉ महेंद्र नाथ राय ने मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर वित्तविहीन विद्यालयों की आर्थिक दशा को भी संज्ञान में लेने की मांग की है। उन्होंने बताया कि अनलॉक-2 केंद्र सरकार ने घोषित कर दिया है जिसमें 31 जुलाई तक सभी शिक्षण संस्थानों को बंद करने का आदेश दिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इसे लागू कर दिया है।
उन्होंने कहा है कि स्कूल और कॉलेज मार्च से ही बंद है जिसके कारण अभिभावकों द्वारा फीस नहीं जमा की जा रही है। विद्यालयों की आय का एकमात्र स्रोत छात्रों से लिया जाने वाला शुल्क ही है। शुल्क न आने के कारण फरवरी से ही शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है जिसके कारण वे भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं। कई जगह वित्तविहीन शिक्षक सब्जी बेच रहे हैं या मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं, कई ने तो आत्महत्या भी कर ली। उनकी आर्थिक दशा को सरकार के संज्ञान में पत्र के माध्यम से 27 मार्च , 29 मार्च, 10अप्रैल, 27 अप्रैल, 3 मई, 13 मई, 17 मई, 6 जून, 15 जून 2020 को लाने का प्रयास किया गया लेकिन दुःख है कि शिक्षा जगत से जुड़ी हुई संस्थाओं के लिए कोई भी राहत प्रदान नहीं की गयी।
प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक के वित्तविहीन शिक्षकों की आर्थिक दशा खराब है। डिग्री के शिक्षकों को तो वेतन नहीं ही मिल रहा इसके साथ ही परीक्षा न होने के कारण इस बार मूल्यांकन का कार्य भी नहीं होगा, कोचिंग और ट्यूशन भी बंद होने के कारण वित्तविहीन शिक्षकों के सारे आय के स्रोत बंद हो चुके हैं। इसके साथ ही साथ प्रबंधकों की भी आर्थिक हालत खराब होती जा रही है। जब तक छात्र आएंगे नहीं फीस आयेगी नहीं लेकिन बैंक से लिये गये लोन की किस्त, गृह कर, जल कर, बिजली का बिल आदि खर्चे जारी हैं। जुलाई के बाद भी विद्यालय में छात्रों के आने की कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही है।
डॉ महेंद्र नाथ राय ने कहा कि सरकार छात्रों के हित में विद्यालयों को बंद रखे लेकिन शिक्षकों एवं कर्मचारियों के हितों का भी ध्यान सरकार को ही रखना है। वह भी इसी प्रदेश के निवासी हैं, केवल प्रबंधकों के भरोसे उन्हें नहीं छोड़ा जा सकता है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वित्तविहीन शिक्षकों एवं कर्मचारियों की आर्थिक दशा का भी संज्ञान लेते हुए उनके लिए भी तत्काल राहत रूपी राशि उनके खाते में भेजने एवं स्ववित्तपोषित शिक्षण संस्थानों को कोरोना महामारी के प्रभाव से उबरने में किस प्रकार मदद हो इसके बारे में भी विचार करें। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी दूसरे के ऊपर डालकर बचने का प्रयास न करे।