–मद्रास विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एसपी त्यागराजन ने व्याख्यान में कहा
-एसजीपीजीआई के दीक्षांत समारोह में कुलाध्यक्ष ने विद्यार्थियों को दी सेवा और कर्तव्य की सीख
सेहत टाइम्स
लखनऊ। वर्तमान समय में गुणपरक स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा की दिशा में अनेक चुनौतियां हैं। आज चिकित्सा के क्षेत्र में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे रोबोटिक सर्जरी, बिग डेटा और डिजिटल तकनीकों का प्रयोग हो रहा है। चुनौती इस बात की है कि आज के चिकित्सक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से प्राप्त निर्णय को समझ सकें और उनको रोगी सेवा के लिए लागू कर सकें।
यह बात संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के 27वें दीक्षांत समारोह में व्याख्यान देने वाले मुख्य अतिथि प्रोफेसर एसपी त्यागराजन, पूर्व कुलपति, मद्रास विश्वविद्यालय, प्रोफेसर ऑफ एमिनेंस और डीन (अनुसंधान) श्री राम चंद्र विश्वविद्यालय ने अपने संबोधन में कही। उन्होंने राज्यपाल द्वारा शिक्षण और प्रशिक्षण के क्षेत्र में की गए बहुमुखी सुधारों की भूरि-भूरि प्रशंसा की एवं नैक प्रत्यायन ( NAAC ) प्रक्रिया शुरू करने में उनकी भूमिका के लिए विशेष सराहना की। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अनुसंधान के लिए पीजीआई की प्रशंसा की और कहा कि संस्थान में आने वाले वर्षों में देश के चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र का नेतृत्व करने की क्षमता है। उन्होंने कैशलेस चिकित्सा उपचार में यूपी सरकार के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर से रोगी के साथ स्नेहिल संबंध होने आवश्यक हैं। उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एकीकृत चिकित्सा और आयुष और प्राकृतिक चिकित्सा सहित सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देने पर बल दिया।
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने समारोह की अध्यक्षता की। समारोह में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व कैबिनेट मंत्री चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण, ब्रजेश पाठक, राज्य मंत्री, चिकित्सा शिक्षा मयंकेश्वर शरण सिंह और मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार और अध्यक्ष, पीजीआई दुर्गा शंकर मिश्रा और सचिव, चिकित्सा शिक्षा, आईएएस श्रुति सिंह भी उपस्थित रहे।
समारोह का प्रारंभ पारंपरिक भव्यता के साथ शैक्षणिक जुलूस के आगमन से हुआ। तत्पश्चात राष्ट्रगान के बाद प्रथागत दीप प्रज्ज्वलन और विद्या की देवी माँ सरस्वती के आशीर्वाद का आह्वान किया गया। इसके बाद निदेशक प्रो आर के धीमन द्वारा मंचासीन गणमान्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनका अभिनंदन किया गया।
मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार और अध्यक्ष, एसजीपीजीआई दुर्गा शंकर मिश्रा ने विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने संस्थान के सभी उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियो को बधाई दी। उन्होंने कहा कि अपनी योग्यता व दक्षता से आप न केवल भारत में अपितु पूरे विश्व मे अपनी पहचान बनायेंगे। सन् 2047 मे भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री के स्वप्न को पूरा करने की दिशा में आप भी एक महत्वपूर्ण कड़ी होंगे।
तत्पश्चात निदेशक, पीजीआई, प्रोफेसर आर के धीमन ने संस्थान की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।
संस्थान की कुलानुशासक व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत समारोह के औपचारिक उद्घाटन की घोषणा करने के पश्चात मेधावी छात्रों और उत्तीर्ण छात्रों को राज्यपाल द्वारा डिग्री और पुरस्कार प्रदान किए गए।
आनंदीबेन पटेल ने पुरस्कार विजेताओं और डिग्री प्राप्त करने वालों छात्रो को बधाई दी। उन्होंने विद्यार्थियों से बहुत ही भावपूर्ण तरीके से यह निवेदन किया कि देश भर में बढ़ते हुए वृद्ध आश्रम की संख्या उन्हें चिंतित करती है और इसलिए उन्हें अपने अभिभावकों के कुशल क्षेम का पूरा ध्यान रखना है क्योंकि अभिभावकों के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि आज वे सीखने से सेवा करने की ओर तत्पर होंगे, उनके कंधों पर बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की जिम्मेदारी है और वे अपनी जिम्मेदारियों का सफल निर्वहन भी करेंगे। करुणा भाव और पेशेवर कौशल से तथा रोगियों और अपने स्टाफ के साथ ही अच्छे व्यवहार से ही अस्पताल का परिवेश सुंदर बनता है और वे सुन्दर व्यवहार के उच्चतर स्तर को सदैव बनाए रखेंगे।
राज्यपाल ने डाक्टर टी एस अविनाशिलिंगम विश्वविद्यालय के शिक्षण और प्रशिक्षण प्रकिया की भूरि भूरि प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि यहां देश के 14 राज्यों से महिलाएं अध्ययन के लिए आती हैं और 90% संकाय सदस्य भी महिलाएं ही हैं। यहां की 40% महिलाएं जो भी पढ़ने के लिए आती हैं, आदिवासी क्षेत्र की हैं। अविनाशिलिंगम विश्वविद्यालय में होने वाले शिक्षण प्रशिक्षण और शोध कार्यों की राज्यपाल ने भूरि भूरि प्रशंसा की और कहा कि प्रत्येक विश्वविद्यालय में नवाचार शोध के क्षेत्र में मार्गदर्शन करने वाले लोग होने चाहिए तभी विश्वविद्यालय शिक्षण प्रशिक्षण के अपने सच्चे लक्ष्य को पूर्ण कर पाएंगे।
उन्होंने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में रोबोटिक सर्जरी द्वारा किए गए गुर्दा प्रत्यारोपण और थायरायड सर्जरी के लिए संस्थान को बधाई दी। उन्होंने कहा कि अति निर्धन रोगियों की सेवा की दिशा में संस्थान द्वारा किए गए कार्य सराहनीय है। उन्होंने कहा कि अति निर्धन व्यक्तियों को अपने क्षेत्र में ही उपचार मिले, इसके लिए प्रत्येक गांव में हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर बनाया जाए और हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज होना चाहिए इस दिशा में राज्य सरकार पूरी तरह से प्रयासरत है।
इससे पूर्व चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ब्रजेश पाठक और राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने भी उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया। मयंकेश्वर शरण सिंह ने राज्यपाल के टी बी के 25 रोगियों को गोद लेने की पहल की भूरि भूरि प्रशंसा की और कहा कि इसी आदर्श का अब देश भर में पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल जैसा कुलाध्यक्ष पाकर संस्थान धन्य हुआ है।
उपमुख्यमंत्री ने सबसे कुशल और प्रगतिशील तरीके से संस्थान का नेतृत्व करने के लिए संस्थान के निदेशक डॉ धीमन के प्रयासों को धन्यवाद दिया। उन्होंने राज्य में चिकित्सा सुविधा में सुधार के लिए यूपी सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों को विस्तार से बताया। उन्होंने पैरामेडिकल और नर्सिंग क्षमता में सुधार के आरंभ किये गये मिशन निरामया के विषय में जानकारी दी।
इस अवसर पर केंद्रीय विद्यालय, संजय गांधी पीजीआई के विद्यार्थियों को राज्यपाल द्वारा भेंट स्वरूप उपहार भी प्रदान किए गए। कार्यक्रम का समापन संस्थान के डीन प्रो एस पी अंबेश द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।