-वित्तविहीन शिक्षकों से आह्वान, अपने हक के लिए स्वयं विरोध करें
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। सरकार ने प्रदेश के निजी स्कूलों को इस शैक्षिक सत्र में फीस नहीं बढ़ाने का आदेश दिया है, सरकार का यह आदेश कोरोना महामारी को देखते हुए एक अभिभावक की दृष्टि से स्वागत योग्य है लेकिन क्या सरकार ने इस ओर भी ध्यान दिया है कि इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के वेतन वृद्धि का क्या होगा? फीस वृद्धि न होने से विद्यालय वेतन एवं महंगाई वृद्धि नहीं करेंगे, वह पिछले वर्ष का ही वेतन देने का बहाना बनाएंगे। अंत में नुकसान शिक्षक को ही झेलना पड़ेगा। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया है कि शिक्षक साथी स्वयं ही विरोध जतायें।
यह कहना है उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ चंदेल गुट के प्रदेशीय मंत्री, कालीचरन इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य व लखनऊ खंड शिक्षक एमएलसी प्रत्याशी डॉ महेन्द्र नाथ राय का। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में महंगाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। एक तरफ सरकार ने सरकारी कर्मचारियों एवं शिक्षकों के महंगाई भत्ते की वृद्धि दर स्वयं रोक दिया है, दूसरी तरफ वित्तविहीन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों कर्मचारियों की वेतन वृद्धि को रोकने के लिए विद्यालयों को एक हथियार प्रदान कर दिया है।
वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों का वेतन बहुत ही कम होता है उसमें वह किसी तरह से अपने परिवार का गुजर बसर करते हैं। महगांई बढ़ने के साथ यदि उनका वेतन नहीं बढ़ेगा तो उनको परिवार का खर्च चलाने में मुश्किल पैदा होगी।
उन्होंने कहा कि शिक्षक भी इसी समाज का अंग है समाज के हर वर्ग के बारे में जब सरकार सोच रही है तब वह शिक्षकों को क्यों छोड़ दे रही है। सरकार की नजर में केवल वित्तविहीन शिक्षक ही नहीं आ पा रहे हैं बाकी सभी लोग आ जा रहे हैं। सरकार कोई भी फैसला करने से पहले सोचे कि इससे शिक्षकों एवं कर्मचारियों के ऊपर क्या प्रभाव पड़ेगा। एकतरफा निर्णय लेने की सरकार की नीति का मैं विरोध करता हूं। दुःख इस बात का है कि शिक्षकों के प्रतिनिधि सरकार की शिक्षकों की प्रति गलत नीतियों का पुरजोर तरीके से विरोध नहीं कर पा रहे हैं बल्कि सरकार के कदमों का स्वागत करने में ही जुटे हैं। शिक्षक प्रतिनिधियों की चुप्पी कहीं शिक्षकों को वेतन से ही वंचित न कर दें, इसलिए सभी शिक्षक साथियों से अनुरोध है कि वह स्वयं विरोध करें।
“मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, खुद तैर के दरिया पार करो।”