-लिम्फ नोड्स की सिर्फ देखकर पहचान कराने वाली डाई खोजी डॉ राम्या ने
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। महिलाओं में होने वाले आम कैंसर स्तन कैंसर का प्रारम्भिक स्टेज पर ही जांच कर सस्ता उपचार करने की दिशा में सफल रहने वाली महिलाओं में होने वाले आम कैंसर स्तन कैंसर का प्रारम्भिक स्टेज पर ही जांच कर सस्ता उपचार करने की दिशा में सफल रहने वाली संजय गांधी पीजीआई के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग से एमसीएच करने वाली डॉ राम्या वैलीवेरू चक्रपाणि को संस्थान के दीक्षांत समारोह में प्रो आरके शर्मा अवॉर्ड दिया गया है। डॉ आरके शर्मा अवॉर्ड शोध के प्रकाशन, विभागीय आकलन तथा मरीजों की देखभाल में सर्वश्रेष्ठ रहने वाले एमसीएच/डीएम विद्यार्थी को दिया जाता है। डॉ राम्या प्रारम्भिक स्तर पर ही जांच करके लिम्फ नोड्स को पहचानने के लिए रेडियो कोलॉयड के स्थान पर फ्लोरेसिन डाई का प्रयोग करने में सफल रही हैं। इनके शोध को पिछले साल ब्रेस्ट सर्जरी इंटरनेशनल के सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया था जहां इसे पुरस्कृत किया गया था।
डॉ राम्या ने ‘सेहत टाइम्स’ को बताया कि स्तन कैंसर एक कॉमन बीमारी होती जा रही है, उन्होंने बताया कि प्रो गौरव अग्रवाल के मार्गदर्शन में यह शोध किया गया जिसमें प्रारम्भिक स्टेज पर ही लिम्फ नोड्स की जांच कर कैंसर पहचानने की विधि में इस्तेमाल होने वाली रेडियो कोलॉयड के स्थान पर फ्लोरेसिन डाई का सफल प्रयोग स्टडी में पाया गया है। इससे कम खर्च में भी स्तन कैंसर का इलाज शुरुआती स्टेज में भी किया जाना संभव है। इसमें स्तन में पहले इस डाई को इंजेक्ट कर दिया जाता है, इसके बाद कांख (एक्जिलरी) को खोला जाता है। यह डाई फ्लोरेसेन्ट है यानी इसे डायल्यूट करके जब लगाया जाता है तो यह नीली रोशनी में चमकता है जिससे लिम्फ नोड्स दिख जाते हैं। कांख के रास्ते ही नोड्स निकालना और पांच मिनट में ही उनकी जांच करना तथा कैंसरयुक्त होना पाये जाने पर निकालना संभव हो जाता है।
उन्होंने बताया कि यह स्टडी 60 महिलाओं पर की गयी है जो कि सफल रही है, इसे वृहद स्तर पर किया जा सकता है, और अगर परिणाम अच्छे रहे तो दुनिया के लिए बहुत लाभप्रद होगा। भारत जैसे देश के लिए यह कम खर्च में स्तन कैंसर के अच्छे इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने वाला होगा। उन्होंने बताया कि स्टडी में पाया गया कि फ्लोरेसिन डाई का उपयोग एडवांस और प्रारम्भिक दोनों स्टेज के स्तन कैंसर में किया जा सकता है।