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इस समझौते से स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं में आयेगी जबरदस्‍त क्रांति

-एसजीपीजीआई और आईआईटी कानपुर के बीच एमओयू पर हस्‍ताक्षर

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई ने 29 जून को आईआईटी कानपुर के साथ एक एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्‍टैंडिंग) पर हस्‍ताक्षर किये हैं, यह एमओयू चिकित्‍सा उपचार के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति लाने वाला साबित होने वाला है। इसके तहत आईसीटी और 5जी टेक्‍नोलॉजी की मदद से उपचार के लिए ऐसी मोबाइल वैन तैयार की जायेंगी जो ग्रामीण इलाकों में भी उपलब्‍ध होंगी इसके साथ‍ ही शहरी क्षेत्र में स्‍मार्ट कियोस्‍क स्‍थापित किये जायेंगे जो मेडि‍कल इमरजेंसी के समय तत्‍काल गुणवत्‍तापूर्ण उपचार दे सके।

एमओयू पर एसजीपीजीआई के निदेशक प्रो आरके धीमन और आईआईटी कानपुर के डीन रिसर्च, प्रो हरीश ने हस्‍ताक्षर किये। एसजीपीजीआई की ओर से जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि हमारे देश के कई हिस्से अभी भी अलग-थलग हैं और उन तक पहुंचना मुश्किल है और उनके पास स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाएं सीमित हैं। इसके अलावा शहरी और अर्ध-शहरी सेटिंग में भी, स्मार्ट स्वास्थ्य देखभाल वाली सुविधा अब समय की आवश्यकता है। यह एमओयू एक उपचार करने वाले केंद्र और इंजीनियरिंग सेंटर के बीच सहयोग का मार्ग प्रशस्‍त करेगा।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि आईआईटी कानपुर टेलीमेडिसिन और हेल्‍थकेयर रोबोटिक्‍स में एक सेंटर ऑफ ऐक्‍सीलेंस बना रहा है जो ऐसी सुविधाएं विकसित करेगा जो हमारी जनसंख्‍या के हिसाब से आवश्‍यक हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है कि एसजीपीजीआई को टेलीमेडिसिन का अच्‍छा अनुभव है, संस्‍थान में टेलीमेडिसिन और बायोमेडिकल स्‍कूल की  स्‍थापना वर्ष 2006 में हुई थी। यहां स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों को शिक्षण और प्रशिक्षण दे रहा है वहीं दुर्गम क्षेत्रों में स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि वर्तमान कोरोना महामारी ने टेलीमेडिसिन तकनीक को बहुत लोकप्रिय और उपयोगी उपकरण बना दिया है। इस तकनीक ने देखभाल करने वाले स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों और नागरिकों के बीच एक सेतु का काम किया है। इसलिए प्रौद्योगिकी मंच और प्रणालियों को और विकसित करने की आवश्यकता है जिससे कि उपकरण सस्ते हो सकें। ऐसी दशा में इस एमओयू से समाज को अपार लाभ होने वाला है।