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छंट गये काले बादल, दिल का वॉल्‍व भी ठीक हुआ और मां बनने का सपना भी हो रहा पूरा

दिल का वॉल्‍व सिकुड़ने से गर्भावस्‍था में आठवें माह में गर्भ में ही हो गयी थी शिशु की मौत
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ अभिषेक शुक्‍ला ने बिना ऑपरेशन बैलूनिंग से खोला दिल का वॉल्‍व

धर्मेन्‍द्र सक्‍सेना

लखनऊ। 23 वर्षीया युवती की जिन्‍दगी में दोहरा दुख उस समय आ गया जब उसकी कोख में पल रही उसकी पहली संतान गर्भ के आठवें महीने में संसार में कदम रखने से पहले ही गर्भ में ही चल बसी,  साथ ही उसे अपने दिल का वॉल्‍व खराब होने का पता चला। इसके बाद उसकी जिन्‍दगी से रंग मानों खत्‍म ही हो गये थे। क्‍योंकि उसने वॉल्‍व ठीक कराने को लेकर कई चिकित्‍सा संस्‍थानों में दिखाया लेकिन उसे सभी तरफ से यह सलाह दी जाती रही कि वह अब मां बनने की कोशिश न करे। लेकिन फि‍र उस महिला के सपने को सच करने की आशा बंधायी आलमबाग स्थित अजंता हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर के हार्ट केयर एंड कैथ लैब के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ अभिषेक शुक्‍ला ने। अब स्थिति यह है कि जहां महिला के हृदय का वॉल्‍व ठीक हो गया वहीं उसके आंगन में किलकारी गूंजने की आहट भी हो गयी है।

इस बारे में ‘सेहत टाइम्‍स’ ने डॉ अभिषेक शुक्‍ला ने बात की तो उन्‍होंने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि 23 वर्षीय पूजा को अपने mitral valve के सिकुड़े होने की जानकारी तब हुई जब गर्भ के आठवें माह में उसकी संतान गर्भ में ही खत्‍म हो गयी। उन्‍होंने बताया कि उस समय महिला की हालत भी काफी खराब हो गयी थी। बाद में उसे बहुत तेज सांस फूलने की इतनी शिकायत हो गयी थी कि उसे कोई भी काम करने में दिक्‍कत होती थी। उन्‍होंने बताया कि जब वह मुझे दिखाने आयी तो जांच में पता चला कि उसे rheumatic heart disease severe mitral stenosis की शिकायत है।

इस तरह बैलूनिंग से खोला गया दिल का वाल्‍व

डॉ अभिषेक ने बताया कि हमने महिला का बिना ऑपरेशन किये जांघ की नस से बैलून के द्वारा सिकुड़ा हुआ वॉल्‍व खोल दिया।। उन्‍होंने बताया कि इसके बाद धीरे-धीरे वह सामान्‍य जीवन जीने लगी और उसका मां बनने का सपना भी पूरा होता दिख रहा है। डॉ अभिषेक ने बताया कि rheumatic heart disease severe mitral stenosis  बीमारी में दिल का वॉल्‍व सिकुड़ जाता है या लीक करने लगता है। मरीज की बहुत सांस फूलती है, असामान्‍य धड़कन होती है और काम करने में असमर्थ रहती हैं। उन्‍होंने बताया कि ऐसी महिलाएं गर्भ तो धारण कर लेती हैं लेकिन शिशु की मौत गर्भावस्‍था की अंतिम तिमाही में हो जाती है। उन्‍होंने बताया कि ऐसे में अगर वॉल्‍व ठीक कर दिया जाये तो इसका परिणाम बहुत अच्‍छा होता है।

डॉ अभिषेक ने बताया कि उन्‍होंने अब तक ऐसे कई केस किये हैं जिनमें बिना किसी समस्‍या व जान के खतरे के डिलीवरी हो जाती है। उन्‍होंने बताया कि balloon mitral valvotomy की सुविधा अजंता हार्ट केयर एंड कैथ लैब में अत्‍यंत किफायती दरों पर उपलब्‍ध है।