-डॉक्टर, नर्स, टेक्नीशियन सहित सभी कर्मी शुक्रवार 9 जुलाई से करेंगे दो घंटे कार्य बहिष्कार
-तबादला नीति में संशोधन की मांग न माने जाने पर शुरू कर रहे आंदोलन
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कल 9 जुलाई से चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं के लड़खड़ाने के आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि डॉक्टरों से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मियों तक के स्वास्थ्य कर्मी प्रात: 8 बजे से 10 बजे तक दो घंटे कार्य बहिष्कार करने जा रहे हैं। कार्य बहिष्कार के चलते सिर्फ आकस्मिक सेवाओं को छोड़कर बाकी सभी स्वास्थ्य सेवायें इन दो घंटों में ठप रहेंगी, यानी न डॉक्टर मरीज देखेंगे, न नर्स ड्यूटी करेंगी, न कोरोना का टीका लगेगा और न ही जांचें, दवा का वितरण सहित अन्य कार्य होंगे। स्वास्थ्य कर्मियों का यह कार्य बहिष्कार तबादला नीति में संशोधन की मांग पूरी न होने के कारण है। कार्य बहिष्कार का आह्वान चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया है।
इन संगठनों के कर्मी करेंगे कार्य बहिष्कार
प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संघ,राजकीय नर्सेस संघ, राजपत्रित डिप्लोमा फार्मासिस्ट संघ, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एशोसिएशन,एक्सरे टेक्निशियन संघ, ऑप्टोमेटिँस्ट एशोसिएशन, लैब टेक्निशियन संघ, फिजियोथेरेपिस्ट संघ, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महानिदेशालय मिनिस्ट्रीयल एशोसिएशन, ईसीजी टेक्निशियन संघ, इलेक्ट्रिशियन संघ, टी०बी०कन्ट्रोल इम्प्लाइज एसोसिएशन, टी०बी०मेल हेल्थ विजिटर्स संघ, डेन्टल हाईजीनिस्ट एसोसिएशन, प्रयोगशाला सहायक एसोसिएशन, चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ, कुष्ठ रोग कर्मचारी संघ, इत्यादि।
इस बारे में महासंघ के अध्यक्ष डॉ अमित सिंह और महासचिव अशोक कुमार ने बताया कि आज 8 जुलाई को चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रधान महासचिव अशोक कुमार एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रवण सचान, सचिव सर्वेश पाटिल, डी पी ए अध्यक्ष संन्दीप बडोला, जिला अध्यक्ष लखनऊ कपिल वर्मा, रजत यादव व अन्य पदाधिकारियों के साथ महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डॉ (मेजर) डी एस नेगी से उनके कक्ष में मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन दिया गया और बताया गया कि चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के कल 9 जुलाई से प्रदेश भर में विभाग के चिकित्सक, नर्सेज एवं पैरामेडिकल कर्मचारी अनवरत प्रातः 8 बजे से 10 बजे तक 2 घन्टे का कार्य बहिष्कार करेंगे। इसके बाद 12 जुलाई को प्रदेश भर के चिकित्सक एवं कर्मचारी प्रातः10 बजे से महानिदेशालय का घेराव करेंगे। जब तक स्थानतरण नीति में जबरन स्थानतरण की व्यवस्था समाप्त नहीं की जाती तब तक आन्दोलन जारी रहेगा, यदि स्थानांतरण करना है तो स्वयं के अनुरोध पर ही स्थानांतरण किया जाय, जिससे इस वैश्विक महामारी के दौरान किसी को किसी भी तरह की अनावश्यक परेशानी का सामना ना करना पडे, जबकि सरकार की ओर से अभी भी कोरोना को लेकर सावधानी बरतने के कदम उठाये जा रहे हैं, जिसके तहत शनिवार, रविवार का कर्फ्यू भी लगा है। यहां तक कि जब किसी को फोन करें तो भारत सरकार की दी गई मोबाइल में कॉलर टयून भी कहती है कि जब तक जरूरी ना हो घर से बाहर ना निकले ऐसे में भारत सरकार की बातों को भी सरकार व शासन में बैठे लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं, और अनावश्यक रूप से तबादले करके कर्मी तथा उनके परिवार के लिए मुसीबत पैदा करने की तैयारी कर रहे हैं डॉ अमित सिंह कहते हैं कि तबादला होने का अर्थ है घर-परिवार के साथ नयी जगह पर ठिकाना बनाना जो कि इस कोविड काल में बेहद दुरुह कार्य है, जबकि इस संक्रमण काल में लोग स्वास्थ्य कर्मियों को मकान तक किराये पर नहीं दे रहे हैं।
पदाधिकारियों ने बताया कि चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में सैकड़ों लोगों का कोविड के दौरान अकस्मात निधन भी हो गया है, ऐसे समय में जब हमारी कोई सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान नहीं है तो कैसे स्थानांतरण जबरदस्ती किया जा रहा है, इस अवसर पर हम सभी लोगों को सम्मानित किया जाना चाहिए था जैसे अन्य प्रदेशों में एक-एक महीने के अतिरिक्त वेतन दिये गए, परन्तु यहां पर तो मुख्यमंत्री की घोषणा 25 प्रतिशत वेतन का प्रोत्साहन की भी कोई परवाह नहीं की जा रही है अभी तक किसी को प्राप्त नहीं हुई जबकि यह व्यवस्था केवल मई, जून, जुलाई के लिए थी। ऐसे में जब तीसरी लहर की बात चल रही हैं उस समय पर केवल जबरन स्थानांतरण की बात कर के सरकार हम सभी के मनोबल पर कुठाराघात कर रही है।