-राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने केंद्रीय बजट पर निराशा जतायी
लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश ने प्रस्तुत केंद्रीय बजट को कर्मचारी विरोधी एवं निराशाजनक बताया है।
परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा, प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बजट के प्राथमिक अध्ययन के बाद प्रतिक्रिया देते हुए इसे कर्मचारियों के लिए निराश करने वाला बताया। परिषद ने पी पी पी मॉडल को बढ़ावा देकर निजीकरण बढ़ाने पर चिंता प्रकट करते हुए इसे जनविरोधी करार दिया है। कॉरपोरेट जगत के लिए टैक्स में 22% टैक्स का लाभ देने और नई कंपनियों को 15% कॉरपोरेट टैक्स की दर निर्धारित की गई है, जबकि कर्मचारियों को कोई राहत नहीं दी गयी।
परिषद ने कहा कि सरकार द्वारा एक नई कर प्रणाली विकसित की करने की बात कही गई है जिसमें प्रत्यक्ष रूप से ऐसा प्रतीत होता है की इनकम टैक्स की दरों में कुछ कमी की गई लेकिन वह तभी लागू होगी जब करदाता पूर्व में मिलने वाले सभी छूट या कटौतियों को प्राप्त नहीं करेगा। इस प्रकार केवल एक लुभावनी तस्वीर प्रस्तुत की गई लेकिन इसके पीछे का सच यह है कि इससे कर्मचारियों और अधिकारियों को कोई लाभ नहीं हुआ, बल्कि छोटी बचत योजनाओं में जो निवेश कर्मचारी करता था उस पर भी विराम लग सकता है। वही कार्मिक घरों के लिए ऋण प्राप्त कर उसके ब्याज और मूलधन पर भी छूट प्राप्त करता था, वर्तमान प्रणाली में कर की गणना करने पर उसे सभी छूटों से वंचित होना पड़ेगा इसलिए स्पष्ट कहा जा सकता है कि वर्तमान कर प्रणाली केवल दिखावे के लिए लुभावनी की गई है । वित्त मंत्री जी ने अपने बजट भाषण के पैरा 21 में बजट को तीन बिंदुओं पर आधारित बताया है लेकिन उसमें देश में युवाओं के रोजगार की कोई बात नहीं कही गई है।
उन्होंने कहा कि सरकारी चिकित्सालयों को पीपीपी मॉडल की तरह विकसित करने की बात कही गई है जो जनहित में प्रतीत नहीं होता । बजट में चिकित्सा व्यय हेतु अपेक्षित वृद्धि भी नहीं की गई है। लगातार कर्मचारियों की मांग थी कि पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए जिस पर वित्त मंत्री ने कुछ नहीं कहा बल्कि कटौतीयों को ही समाप्त करने की बात कही है । ऐसा प्रतीत होता है कि अब सरकार कर्मचारियों को दोयम दर्जे का नागरिक मानती है इसलिए बजट में कर्मचारियों हेतु कोई घोषणा नहीं है । राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद जल्द ही एक बैठक कर अपनी प्रतिक्रिया देश के वित्त मंत्री एवं प्रधानमंत्री को प्रेषित करेगा।