-केजीएमयू शिक्षक संघ ने कार्य परिषद की बैठक में शिक्षकों से लेकर मरीजों तक की सुविधा के बारे में चर्चा
सेहत टाइम्स
लखनऊ। केजीएमयू शिक्षक संघ ने संस्थान में रिक्त पड़े शिक्षकों के पदों पर संविदा के आधार पर नियुक्ति की भूमिका बनाये जाने पर सवाल खड़ा किया है। संघ का कहना है कि शैक्षणिक एवं शोध कार्य की दृष्टि से संविदा पर भर्ती किया जाना औचित्यहीन ही नहीं बल्कि अवैधानिक है। कार्य परिषद की बैठक में संस्थान के चिकित्सा शिक्षकों से लेकर मरीज की सुविधा तक से जुड़े मसलों पर विचार-विमर्श किया गया।
शनिवार को केजीएमयू के सर्जरी विभाग में एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ केके सिंह की अध्यक्षता में हुई कार्य परिषद की बैठक में जिन प्रकरणों पर विचार कर उनके लिए आगे की रणनीति तय की गयी, उनमें एसजीपीजीआई के समान वेतनमान, गरीब मरीजों को इमरजेंसी में मुफ्त इलाज की सुविधा देने का अधिकार, शिक्षकों को प्रोन्नति का मसला सहित अन्य मसले शामिल हैं।
यह जानकारी देते हुए एसोसिएशन के महासचिव डॉ संतोष कुमार ने बताया कि केजीएमयू में प्रोफेसर के 21, एडीशनल प्रोफेसर के 06, एसोसिएट प्रोफेसर के 30, असिस्टेंट प्रोफेसर के 131 पद कुल 188 पद रिक्त हैं, जिनकी केजीएमयू अधिनियम/परिनियमावली के अनुसार नियमित नियुक्ति न करके संविदा के आधार भर्ती करने की भूमिका बनायी जा रही है। बैठक में कहा गया कि केजीएमयू एक स्वायत्तशासी संस्था है, जो आवश्यकतानुसार अपनी नियमित भर्तियां दो माह में पूर्ण कर सकता है। ऐेसे में केजीएमयू जैसे संस्थान में इतने पद रिक्त रहते हुए शैक्षणिक एवं शोध कार्य की दृष्टि से संविदा शिक्षकों की नियुक्ति करना औचित्यहीन है व अवैधानिक है, क्योंकि परिनियमावली में शिक्षकों के पुनर्नियोजन के लिए ही संविदा पर नियुक्ति का प्रावधान है।
डॉ संतोष कुमार ने बताया कि बैठक में कहा गया कि केजीएमयू परिनियमावली में स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद केजीएमयू के शिक्षकों को पी.जी.आई. के समान 01.01.2016 से अनुमन्य पुनरीक्षित वेतनमान नहीं दिया गया है, जबकि पीजीआई के लिए इस आशय का आदेश 20.02.2020 को जारी किया जा चुका है।
बैठक में सदस्यों का कहना था कि कोरोना काल में निरंतर ड्यूटी के कारण शिक्षकों द्वारा शीतकालीन/ग्रीष्मकालीन अवकाश उपभोग नहीं किए गए थे, जिन्हें अर्जित अवकाश में परिवर्तित किया जाना चाहिए।
केजीएमयू की इमरजेंसी में आनेवाले वे गरीब व गम्भीर मरीज, जिनके पास आयुष्मान कार्ड आदि की कोई सुविधा नहीं होती है, जिसके कारण उनके तत्काल उपचार के लिए अलग से प्रावधान करने की आवश्यकता है और इसका अधिकार उपचार करनेवाले डॉक्टर/यूनिट को देना चाहिए।
बैठक में सदस्यों का कहना था कि केजीएमयू के शिक्षकों की प्रोन्नति में अनावश्यक विलम्ब होने के कारण, उनका आर्थिक नुकसान होता है। अतः समय से प्रोन्नति के लिए प्रावधान करते हुए वर्ष दो बार यथा जनवरी व जुलाई में चयन समिति की बैठक सुनिश्चित की जानी चाहिए।
बैठक में एक और खास मुद्दे पर विचार-विमर्श में कहा गया कि कैंसर मरीजों के उचित उपचार के लिए मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग को तत्काल उचित स्थान, बेड, नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ उपलब्ध कराया जाए। बैठक में तय किया गया कि नवनियुक्त एवं प्रोन्नत शिक्षकों का स्वागत समारोह शीतकालीन अवकाश के बाद शिक्षक संघ द्वारा किया जाएगा।
डॉ संतोष कुमार ने कहा कि इन मांगों से शासन को पुनः अवगत कराने के उपरांत आगे की रणनीति के लिए अगले सप्ताह शिक्षक संघ की आम सभा की बैठक बुलायी जाएगी। उन्होंने कहा कि लोहिया संस्थान, संजय गांधी पीजीआई, सैफई व केजीएमयू की कॉमन समस्याओं को देखते हुए संयुक्त शिक्षक संघ का भी गठन जाएगा। बैठक की समाप्ति के पश्चात धन्यवाद ज्ञापन शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष प्रो. जे.डी. रावत द्वारा किया गया।