-वैजाइनोप्लास्टी को लेकर समाज के एक बड़े वर्ग में जागरूकता का बहुत अभाव
-विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस पर आईएमए ने आयोजित किये व्याख्यान
सेहत टाइम्स
लखनऊ। वैजाइनोप्लास्टी के प्रति लोगों में जागरूकता का अभाव है, यह सर्जरी उन लड़कियों के लिए उपयोगी है जिनमें जन्म से ही योनि नहीं बनी होती है, यही नहीं इन महिलाओं के न तो बच्चेदानी होती है, और न ही अंडाशय होता है। ऐसी स्थिति में वैजाइनोप्लास्टी सर्जरी कर योनि बनायी जाती है। ऐसा करने से उस महिला को ‘शारीरिक सुख’ भोगने में कोई समस्या नहीं आती है, लेकिन वह संतान को जन्म देने में असमर्थ रहती है।
यह जानकारी विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस के मौके पर आईएमए लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में विवेकानंद पॉलीक्लीनिक की प्लास्टिक सर्जन डॉ रिचा श्रीवास्तव ने अपने व्याख्यान में दी। उन्होंने बताया कि लड़कियों में जन्मजात पाये जाने वाले विकारों में एक विकार योनि का न होना भी है, लेकिन इसकी जानकारी तब हो पाती है जब लड़की किशोरावस्था में पहुंचती है, और उसके पीरियड शुरू न होने पर जब चिकित्सक के पास किशोरी को दिखाया जाता है।
उन्होंने बताया कि दुखद पहलू यह है कि समाज के गरीब-निचले वर्ग के ऐसे लोग हैं जिन्हें इस बारे में किसी प्रकार की जागरूकता नहीं है, उन्हें नहीं पता कि यह सर्जरी कौन करता है, नतीजा वे लोग इस समस्या के समाधान के लिए अप्रशिक्षित दाई आदि के पास पहुंच जाते हैं, जो कि बड़े ही बेरहमी से बिना सुन्न किये नीचे का रास्ता खोल देती हैं।
उन्होंने बताया कि इस सर्जरी में प्लास्टिक सर्जन की भूमिका इसलिए आवश्यक है कि हम लोग सर्जरी से रास्ता बनाकर वहां ऐसी त्वचा लगाते हैं कि भविष्य में खाल सिकुड़कर रास्ता फिर से बंद न हो जाये। उन्होंने बताया कि कुछ केसेज ऐसे भी होते हैं जिनमें बच्चेदानी होती है, ओवरी भी होती है लेकिन योनिद्वार नहीं होता है, ऐसी लड़कियों के पीरियड भी आते हैं लेकिन चूंकि रास्ता न होने से पीरियड के दौरान होने वाला डिस्चार्ज शरीर के अंदर ही जमा होने लगता है, ऐसे में जब दर्द होता है तब चिकित्सक के पास जब किशोरी पहुंचती है, उनकी इमरजेंसी में सर्जरी करनी पड़ती है। डॉ रिचा ने बताया कि लगभग 25 से 30 प्रतिशत बच्चे इस सिंड्रोम से ग्रस्त होते हैं।