-केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के मुखिया डॉ जेडी रावत ने दिया सर्जरी को अंजाम

सेहत टाइम्स
लखनऊ। जन्मजात विकृति के कारण होने वाली बीमारी कोलेडोकल सिस्ट, जिसमें पित्त की नली विकृत हो जाती है और यह एक ट्यूब के बजाय थैली बन जाती है, इस जन्मजाति विकृति की सर्जरी आमतौर पर पेट में बड़ा चीरा लगाकर की जाती है, लेकिन किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर एवं प्रमुख डॉ जेडी रावत ने यह सर्जरी लेप्रोस्कोपिक तकनीक से करने में सफलता प्राप्त की है।
यह जानकारी देते हुए डॉ जेडी रावत ने बताया कि बाराबंकी निवासी आशाराम अपने 7 साल के बेटे के साथ उनकी ओपीडी में आए थे उनके बेटे को जन्म से पेट दर्द और उल्टी की शिकायत थी इसको लेकर उन्होंने कई निजी अस्पतालों में सलाह ली लेकिन मरीज की हालत में सुधार नहीं हुआ, इसके बाद वे बच्चे को लेकर केजीएमयू में उनके पास पहुंचे। उन्होंने बताया कि बच्चे के रोग के बारे में जानकारी लेने के बाद बच्चे की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करने की योजना बनाई गई। इसके बाद बीती 25 जनवरी को की गई लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में बच्चे के पेट में सिर्फ चार छोटे छेद किए गए जिससे सर्जरी को अंजाम दिया गया।
उन्होंने बताया कि लेप्रोस्कोपिक विधि से सर्जरी करने में ऑपरेशन के बाद की अवधि में रोगी को ओपन सर्जरी की तुलना में कम दर्द और परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि स्थिति संतोषजनक पाए जाने पर बच्चे को 6 दिनों बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इस ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ जेडी रावत के साथ अन्य सर्जन में डॉ सुधीर सिंह, डॉ पीयूष कुमार और डॉ निरपेक्ष त्यागी शामिल रहे, जबकि एनस्थीसिया देने वाली डॉक्टरों की टीम में डॉ जीपी सिंह, डॉ सतीश वर्मा व उनके रेजिडेंट डॉक्टर्स का अच्छा सहयोग रहा। इनके अलावा नर्सिंग स्टाफ में सिस्टर वंदना, सिस्टर अंजू और संजय ने अपना योगदान दिया।

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