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छूने, जूठा खाने या सामान का उपयोग करने से नहीं फैलती है टीबी

-टीबी को मिटाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं विद्यार्थी

-नवयुग कन्‍या विद्यालय में किया गया टीबी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ देश से क्षय रोग यानी टीबी को जड़ से मिटाने में विद्यार्थी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। लोगों के इसके लक्षणों के बारे में जानकारी देकर और यदि कि‍सी जानने वालें में इसके लक्षण दिखें तो उसे निकट के डॉट्स सेंटर या अस्‍पताल में जांच कराने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। विद्यार्थियों से यह आह्वान क्षय रोग जन आंदोलन के अंतर्गत शुक्रवार को नवयुग कन्या विद्यालय इंटर कॉलेज में क्षय रोग संवेदीकरण कार्यशाला में किया गया। कार्यशाला का आयोजन जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. ए.के.चौधरी के नेतृत्व में किया गया।  

इस मौके पर राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला समन्वयक दिलशाद हुसैन ने कहा-  टीबी हारेगा – देश जीतेगा लक्ष्य के साथ क्षय रोग उन्मूलन की दिशा में सभी प्रयासरत हैं।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को साल 2025 तक टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है।  आप युवा हैं और क्षय रोग उन्मूलन में आप अहम् भूमिका निभा सकते हैं।   आप लोगों को इस बीमारी के लक्षणों के बारे में बताएं, यदि कोई संभावित मरीज आपके जानने में है तो उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराने के लिए प्रेरित करें।  टीबी की जांच और इलाज निशुल्क है। डॉट सेंटर्स ओर डॉट प्रोवाइडर्स के माध्यम से दवा लोगों को घर के पास या घर पर ही उपलब्ध कराई जाती है।  इन सभी संदेशों को आप आगे ले जाएं और अपने शहर लखनऊ को क्षय रोग से मुक्ति दिलाने में अहम् योगदान दें।

सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर अभय चंद्र मित्रा ने क्षय रोग के बारे में बताया कि यह नाखून और बाल को छोड़कर किसी भी अंग में हो सकती है। यह पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है, इसके लिए जरूरी है कि दवाओं का सेवन नियमित रूप से किया जाये।  सही समय से यदि हम लक्षणों को पहचान कर जांच करा लें तो समय से इलाज शुरू हो सकता है।  टीबी के मुख्य लक्षण हैं – दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आना, बुखार आना, वजन में लगातार कमी आना, रात में पसीना आना और भूख न लगना। यदि इन लक्षणों को समय से पहचान लें तो नियमित इलाज से यह रोग पूर्णतया ठीक हो सकता है।  इसके साथ ही पोषण के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान मरीज के खाते में 500 रुपये हर माह दिए जाते हैं।

सीनियर टीबी लैब सुपरवाइजर लोकेश कुमार वर्मा ने बताया- टीबी यानि क्षय रोग जिसका मतलब होता है शरीर का क्षय होना।  टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है। यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है। जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो टीबी के जीवाणु हवा में फ़ैल जाते हैं। संक्रमित हवा में सांस लेने से स्वस्थ व्यक्ति या बच्चे भी टीबी से संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए टीबी ग्रसित व्यक्ति खांसते और छींकते समय मुंह को हमेशा ढंके रहें।  नैपकिन को हमेशा बंद डस्टबिन में डालें। छूने या जूठा खाने या क्षय रोग पीड़ित व्यक्ति के सामान का उपयोग करने से यह नहीं फैलती है। टीबी से बचाव के लिए कोविड से बचाव के सारे प्रोटोकॉल सार्थक हैं।

नवयुग कन्या विद्यालय इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ सीमा सिंह ने कहा कि छात्राओं को जो भी जानकारी यहां से मिली है वह इन्हें आत्मसात करें और लोगों को जागरूक करने, जांच और इलाज करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें साथ ही निक्षय पोषण योजना और डॉट सेंटर्स के बारे में भी लोगों को जानकारी दें।

इस मौके पर “टीबी का कारण निवारण व उन्मूलन में युवाओं की भूमिका” विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। टीबी चैंपियन सुनीता कुमारी ने विस्तार से अपने अनुभव साझा किये।

इस मौके पर शिक्षिका हेमा शर्मा,  विज्ञान वर्ग की सहायक अध्यापिका अर्चना मिश्रा, जीएलआर इंडिया के प्रतिनिधि विकास चौरसिया, कौशलेंद्र, राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के दिलशाद हुसैन, अश्वनी कुमार सिंह, जयप्रकाश,  रामप्रताप और बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं।

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