-कूल्हे में दर्द हो तो तुरंत करायें एमआरआई, वरना कराना होगा प्रत्यारोपण
-विश्व आर्थराइटिस दिवस के मौके पर साइकिल रैली व मैराथन का आयोजन 15 अक्टूबर को
सेहत टाइम्स
लखनऊ। कोविड महामारी अपने साथ अर्थराइटिस की महामारी लेकर आयी है, पोस्ट कोविड के मामलों में अगर किसी को कूल्हे में दर्द की समस्या हो तो उसे तत्काल ही चिकित्सक को दिखाते हुए एमआरआई जांच करानी चाहिये क्योंकि कूल्हे की दिक्कत के बारे में अगर जल्दी डायग्नोज हो गया तो कूल्हा बच जायेगा और यदि देर हुई तो कूल्हा प्रत्यारोपण किये बिना दिक्कत ठीक नहीं होगी।
यह बात हेल्थसिटी हॉस्पिटल के डॉ संदीप कपूर और डॉ संदीप गर्ग ने गुरुवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। विश्व अर्थराइटिस दिवस (12 अक्टूबर) के अवसर पर आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ लखनऊ और हेल्थ सिटी हॉस्पिटल द्वारा आयोजित जागरूकता कार्यक्रम साइकिल रैली व मैराथन की जानकारी देने के लिए बुलायी गयी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों चिकित्सकों ने कहा कि ऐसा देखा जा रहा है जिन लोगों को कोविड हुआ था और वे अस्पताल में भर्ती हुए थे, उन लोगों में कूल्हे की दिक्कत पोस्ट कोविड बीमारी के रूप में आ रही है, इसका कारण कोविड के उपचार के दौरान स्टेरॉयड का सेवन है। उन्होंने बताया कि दरअसल स्टेरॉयड सीधा कूल्हे के जोड़ पर अटैक करता है।
जागरूकता कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए चिकित्सकद्वय ने कहा कि निर्माणाधीन हेल्थसिटी विस्तार हॉस्पिटल कैम्पस पर 15 अक्टूबर को प्रात: 7 बजे साइकिल रैली एवं मैराथन का आयोजन किया गया है, इसे हरी झंडी उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक दिखायेंगे। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री हॉस्पिटल द्वारा गोमती नगर विस्तार में गोद लिये गये दो चौराहों का लोकार्पण भी करेंगे। इन चौराहों को हेल्थसिटी हॉस्पिटल द्वारा संवारा जायेगा।
जागरूकता कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए डॉक्टर संदीप गर्ग ने बताया कि आर्थराइटिस से बचाव ही सबसे अच्छा इलाज है और इलाज में जागरूकता ही सबसे सशक्त माध्यम है। डॉ संदीप कपूर ने बताया कि आर्थराइटिस एक महामारी की तरह बढ़ रही है और कोई व्यक्ति इससे अकेले नहीं लड़ सकता इसी बात को संज्ञान में रखते हुए वर्ष 2010 में आर्थराइटिस फाउंडेशन की स्थापना की गई थी। डॉक्टर कपूर ने कहा कि आर्थराइटिस प्रमुख रूप से शरीर के जोड़ों पर असर करता है परंतु इसका प्रभाव कई प्रकार से व्यक्ति के पूरे जीवन पर पड़ जाता है।
उन्होंने कहा कि आर्थराइटिस आज जीवन शैली संबंधित बीमारियों में पहले स्थान पर है डॉक्टर कपूर ने बताया कि लखनऊ में 5 लाख से ज्यादा व्यक्ति आर्थराइटिस से प्रभावित हैं जबकि भारत में यह संख्या 10 करोड़ है। डॉक्टर संदीप गर्ग ने कहा कि बीमारी से ग्रसित व्यक्ति तरह-तरह की परेशानी से गुजरता है। दर्द, चलने-फिरने में कठिनाई, जोड़ों में अकड़न महसूस होना समेत दूसरी परेशानियां होती हैं, मरीज यह महसूस करता है कि वह पहले की तरह चीजों को पकड़ भी नहीं पा रहा है।
डॉक्टर कपूर व डॉ गर्ग ने कहा कि अर्थराइटिस अंततः प्रत्यारोपण सर्जरी के माध्यम से पूर्ण तरह ठीक हो जाता है परंतु आधुनिक दवाओं के माध्यम से प्रत्यारोपण को काफी समय तक टाला भी जा सकता है।
उन्होंने कहा कि ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारणों की बात करें तो इसमें मोटापा, उम्र, गंभीर चोट, जमीन पर बैठने की आदत, धूम्रपान व शराब का सेवन, सीढ़ियों का अत्यधिक इस्तेमाल और भारतीय प्रसाधन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ऑस्टियोआर्थराइटिस से बचाव के लिए सही और संतुलित वजन रखना चाहिए तथा जरूरत पड़ने पर ही सीढ़ियों का इस्तेमाल करें, शराब व धूम्रपान न करें और जमीन पर न बैठें।