अप्रवासी भारतीय समूह सिखाएगा स्क्रब टाइफस एवं जापानीज इन्सेफ्लाइटिस के रोगियों का प्रबंधन
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के एईएस/जेई प्रभावित क्षेत्रों के 26 चिकित्सकों एवं बिहार राज्य के समीपवर्ती जनपदों के 6 चिकित्सकों को स्क्रब टाइफस एवं जापानीज इन्सेफ्लाइटिस से ग्रसित रोगियों के आधुनिक प्रणालियों पर आधारित प्रबन्धन सम्बन्धी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रदेश की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव, वी हेकाली झिमोमी ने यह जानकारी आज यहां दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा एईएस रोग के मैनेजमेन्ट हेतु गम्भीर प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए अप्रवासी भारतीय समूह द्वारा राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान, लखनऊ में कल 12 सितम्बर को प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजन किया गया है।
सचिव ने बताया कि राष्ट्रीय वेक्टरजनित रोग नियन्त्रण कार्यक्रम के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में वर्ष 2016 में एईएस के कुल 3918 के रोगी चिन्हित किए गए तथा रोग मृत्यु दर 15.9 प्रतिशत रही, जबकि वर्श 2017 में अगस्त तक कुल 1842 एईएस के रोगी चिन्हित किए गए तथा रोग मृत्यु दर 11.6 प्रतिशत रही। आईसीएमआर द्वारा वर्ष 2016 के 407 एईएस रोगियों पर किए गए अध्ययन से तथ्य प्रकाश में आया है कि लगभग 58 प्रतिशत एईएस का कारण स्क्रब टाइफस है जबकि 29.3 प्रतिशत एईएस का कारण अज्ञात है।
श्रीमती झिमोमी ने बताया कि राज्य में एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिन्ड्रोग (एईएस)/जापानीज इन्सेफ्लाइटिस के नियन्त्रण, रोकथाम एवं व्यवस्थापन का सुदृढीकरण का कार्य प्रभावी रूप से हो रहा है। उन्होंने इस संबंध में तुलनात्मक जानकारी देते हुए बताया कि एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिन्ड्रोम/जापानीज इन्सेफ्लाइटिस रोग की भयावहता तुलनात्मकरूप से अधिक रही है। यद्यपि राज्य के 38 जनपद एईएस से प्रभावित घोशित किए गए है किन्तु पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर एवं बस्ती मण्डल के 7 जनपदों में इस रोग की व्यापकता सबसे अधिक है।
श्रीमती झिमोमी ने बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह द्वारा अप्रवासी भारतीय चिकित्सकों का प्रदेश के स्वास्थ्य में सक्रिय एवं प्रभावी योगदान हेतु आह्वान किया गया। प्रदेश सरकार के आवाहन पर त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अप्रवासी भारतीय चिकित्सकों के समूह ने प्रदेष में स्वास्थ्य-तंत्र के सुदृढीकरण हेतु अपनी इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि अप्रवासी भारतीय चिकित्सा विषेशज्ञों के साथ देश के ख्यातिलब्ध चिकित्सा संस्थानों के प्रसिद्ध चिकित्सक भी इसमें अपना सहयोग प्रदान करेंगे। इस समूह द्वारा बुन्देलखण्ड, पूर्वांचल, मध्य तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में निःशुल्क मेडिकल कैम्प तथा सतत चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने की सहमति भी प्रदान की गई है।