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‘स्‍माइल ट्रेन’ बच्‍चों के साथ अभिभावकों के चेहरे पर भी बिखेर रही मुस्‍कान

हेल्‍थ सिटी हॉस्पिटल ने मनाया विश्‍व मुस्‍कान दिवस

 

लखनऊ। जन्‍म से कटे होठ और कटे तालू वाले बच्‍चों और उनके अभिभावकों  के चेहरे पर मुस्‍कान लाने के लिए संकल्‍पबद्ध अमेरिकी संस्‍था स्‍माइल ट्रेन की रेलगाड़ी 82 देशों में दौड़ रही है। भारत में भी स्‍माइल ट्रेन 18 वर्षों से सफलता की पटरी पर दौड़ रही है। इस स्‍माइल ट्रेन में लाभान्वित होने वाले बच्‍चों रूपी बोगियों का जुड़ना लगातार जारी है। भारत की बात करें तो अभी तक करीब एक लाख पचास हजार बच्‍चों के चेहरे पर मुस्‍कान लाने का पुनीत कार्य इस संस्‍था द्वारा किया जा चुका है। स्‍माइल ट्रेन के इस कार्य को भारत में 19 अस्‍पतालों में किया जा रहा है।

 

इन्‍हीं अस्‍पतालों में एक यहां गोमती नगर स्थित हेल्‍थ सिटी अस्‍पताल में आज वर्ल्‍ड स्‍माइल डे मनाया गया। अक्‍टूबर के प्रथम शुक्रवार को मनाये जाने वाले इस दिवस के तहत हेल्‍थ सिटी अस्‍पताल में एक समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में अपर मुख्‍य सचिव व पर्यटन विभाग के महानिदेशक अवनीश कुमार अवस्‍थी मुख्‍य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए तथा सांसद दद्दन मिश्र, स्‍माइल ट्रेन प्रोजेक्‍ट की कंट्री डाइरेक्‍टर रेनू मेहता, आरबीएसके-राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन के अपर मिशन निदेशक निखिल चन्‍द्र शुक्‍ला, उपमहाप्रबंधक डॉ रेशमा मसूद व आरबीएसके के बस्‍ती जनपद के प्रबंधक मनीष कुमार मिश्र  विशिष्‍ट अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।

समारोह में हेल्‍थ सिटी स्थित स्‍माइल ट्रेन प्रोजेक्‍ट के डाइरेक्‍टर व वरिष्‍ठ प्‍लास्टिक सर्जन डॉ वैभव खन्‍ना ने विश्‍व मुस्‍कान दिवस (वर्ल्‍ड स्‍माइल डे) के इतिहास के बारे में बताया। उन्‍होंने कहा कि अगर मन अंदर से खुश है तो स्‍वास्‍थ्‍य पर बहुत अनुकूल असर पड़ता है। उन्‍होंने कहा कि स्‍माइल ट्रेन की बोगी ये बच्‍चे हैं जिनके चेहरे पर स्‍माइल ट्रेन प्रोजेक्‍ट ने मुस्‍कान लाने की कोशिश की है।

 

मुख्‍य अतिथि अवनीश कुमारी अवस्‍थी ने अपने सम्‍बोधन में कहा कि जन्‍मजात कटे होठ व तालू वाले बच्‍चों को शुरुआत में ही सहायता मिल जाये तो बहुत अच्‍छा रहता है। इस मौके पर 40 नये बच्‍चों का पंजीकरण ऑपरेशन के लिए किया गया। समारोह में पूर्व में ऑपरेशन किये गये बच्‍चे व उनके माता-पिता भी उपस्थित थे। श्री अवस्‍थी ने समारोह में उपस्थित ऑपरेशन करवा चुके कई बच्‍चों के माता-पिता से पूछा कि वे लोग कहां-कहां से आये हैं, जवाब में बताया गया कि लखनऊ के साथ ही बाराबंकी, हरदोई, फैजाबाद, बस्‍ती आदि जिलों से आये हैं। उन्‍होंने लाभान्वित हो चुके बच्‍चों के माता-पिता से आह्वान किया कि वे लोग जहां भी ऐसे बच्‍चे देखें, उन्‍हें यहां का पता बतायें और साथ ही यह भी बतायें कि उन्‍हें किस प्रकार फ्री में इस सुविधा का लाभ प्राप्‍त हो सकता है। उन्‍होंने इस कार्य के लिए स्‍माइल ट्रेन टीम की सराहना भी की।

विशिष्‍ट अतिथि दद्दन मिश्र ने अपने सम्‍बोधन में कहा कि आज तनाव भरे जीवन में चेहरे से मुस्‍कान गायब हो रही है ऐसे में गरीब के चेहने पर मुस्‍कान लाने के इस पुनीत कार्य को करने के लिए डॉक्‍टर बधाई के पात्र हैं। उन्‍होंने कहा कि ऐसे बच्‍चों के माता-पिता को बताना यह जरूरी है कि वे अपने बच्‍चे की सर्जरी करायें। उन्‍होंने बताया कि अब तक अनेक माता-पिता इसे अभिशाप मानकर जन्‍मजात यह दंश झेलते रहते थे, इसलिए उन्‍हें यह जानकारी मिलना जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि पहले उन्‍हें भी इसकी जानकारी नहीं थी। उन्‍होंने मंच से ही आग्रह किया कि टीम बलरामपुर में भी कैम्‍प लगाये, उन्‍होंने ऐसे बच्‍चों को चिन्हित करने में सहयोग करने का आश्‍वासन दिया।

 

स्‍माइल ट्रेन प्रोजेक्‍ट की कंट्री डाइरेक्‍टर डॉ रेनू मेहता ने कहा कि हर साल करीब 35 हजार बच्‍चे कटे होठ व तालू वाले पैदा होते हैं। उन्‍होंने कहा कि करीब 10 लाख बच्‍चे अब भी कटे होठ व तालू वाले हैं, हमारा उद्देश्‍य है कि ऐसे सभी बच्‍चों को ऑपरेशन करके उनके और उनके अभिभावकों के चेहरे पर मुस्‍कान लायें। उन्‍होंने क‍हा कि मुझे इस पीड़ा का अंदाजा है कि ऐसे बच्‍चों के माता-पिता जब अपने बच्‍चे को इस हालत में देखते हैं तो उनपर क्‍या बीतती है। उन्‍होंने कहा कि 18 वर्षों में स्‍माइल ट्रेन ने 19 हॉस्पिटल की मदद से डेढ़ लाख ऐसे बच्‍चों का ऑपरेशन किया है। उन्‍होंने बताया कि ऐसे बच्‍चों की सर्जरी अगर डेढ़ साल के अंदर हो जाती है तो 98 प्रतिशत चांस रहता है कि उसकी बोली आदि सामान्‍य तरीके से हो सकती है, अन्‍यथा बच्‍चा जब कटे तालू की स्थिति में बोलता है तो उसकी आवाज ऐसी निकलती है कि लगता है कि वह नाक से बोल रहा है। उन्‍होंने कहा कि ऐसे बच्‍चों के लिए स्‍माइल ट्रेन स्‍पीच थेरेपी, न्‍यूट्रीशन, ऑर्थोडोंटिक्‍स इलाज को भी शामिल किया गया है जिन्‍हें इसकी जरूरत है।

 

मंच संचालन की जिम्‍मेदारी प्‍लास्टिक सर्जन डॉ आदर्श कुमार ने बखूबी निभाते हुए जहां स्‍वागत भाषण दिया वहीं अंत में धन्‍यवाद प्रस्‍ताव की जिम्‍मेदारी भी डॉ आदर्श कुमार ने अपने कंधों पर उठाते हुए आये सभी अतिथियों का धन्‍यवाद अदा किया। उन्‍होंने कहा कि समाज में ऐसी धारणा है कि ग्रहण के समय गर्भवती स्‍त्री के बाहर निकलने के कारण ही शिशु के होठ और तालू कटे हुए होते हैं, जो कि सही नहीं है, अपितु अभी रिसर्च में यह जानने के प्रयास किये जा रहे हैं कि ऐसा क्‍यों होता है। समारोह में राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम की उपमहाप्रबंधक रेशमा मिश्र ने भी अपने विचार प्रस्‍तुत किये। आने वाले मेहमानों का परिचय अस्‍पताल के अधीक्षक डॉ केके सिंह ने लोगों से कराया।

 

इस अवसर पर ठीक हो चुके बच्‍चों ने साइकिल रैली भी निकाली। इसके अतिरिक्‍त अस्‍पताल परिसर में रंगबिरंगे गुब्‍बारे उड़ाकर सभी के जीवन में मुस्‍कान भरने का संदेश दिया गया।