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शरीर के भीतर के रोगों का डिस्‍प्‍ले है त्‍वचा के रोग, नजरंदाज न करें

-केजीएमयू में बेसिक्स ऑफ डर्मेटोपैथोलॉजी पर सीएमई आयोजित

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई के प्रो. मनोज जैन ने कहा है कि त्वचा अधिकांश आंतरिक रोगों के लिए एक डिस्प्ले बोर्ड है और इसलिए त्वचा रोगों को गंभीरता से लेना चाहिए।

प्रो जैन ने यह बात किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में शनिवार को बेसिक्स ऑफ डर्मेटोपैथोलॉजी पर सीएमई के मौके पर कही। इस समारोह के मुख्‍य अतिथि केजीएमयू के कुलपति ले.ज.डॉ बिपिन पुरी ने कहा कि क्लिनिकोपैथोलॉजिकल एसोसिएशन की रोगी प्रबंधन और अनुसंधान में बहुत महत्‍वपूर्ण भूमिका है।

कुलपति ने चिकित्सा पद्धति में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर भी जोर दिया। इस कार्यक्रम में पैथोलॉजिस्ट और त्वचा विशेषज्ञ सहित लगभग 125 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सीएमसी वेल्लोर की प्रो. मीरा थॉमस ने त्वचा रोगों के प्रबंधन में स्टेरॉयड के अनियंत्रित उपयोग के खिलाफ चेतावनी दी। सफदरजंग अस्पताल दिल्ली की डॉ. गीता खुल्लर ने त्वचा रोगों के लिए विशेष निदान विधियों के उपयोग के बारे में बात की। प्रो विनीता अग्रवाल ने त्वचा के वाहिका विकारों के बारे में बताया।

प्रो. प्रद्युम्न सिंह ने स्किन ट्यूमर के स्पेक्ट्रम के बारे में चर्चा की। प्रो. किरणप्रीत ने त्वचा के बुलस विकारों पर प्रकाश डाला। आयोजन अध्यक्ष प्रो. यू.एस. सिंह ने सभी वक्ताओं और प्रतिनिधियों का स्वागत किया और त्वचा की बायोप्सी के महत्व पर जोर दिया। डॉ. स्वास्तिका सुवीर्य ने पिछले कुछ वर्षों में त्वचा रोगों के बदलते स्पेक्ट्रम के बारे में बात की। प्रो अतिन सिंघई ने काला अजार जैसे विशिष्ट त्वचा रोगों के लिए कुछ भौगोलिक प्रवृत्तियों के बारे में बात की। डॉ. पारुल वर्मा ने बताया कि त्वचा पर न भरने वाले अल्सर का सटीक निदान करना बहुत जरूरी है। इस गोष्ठी के सफल आयोजन में डॉ ज्योति सिंह, डॉ अरफूल, प्रियांशु जेटली, शिवानी वर्मा, ऐश्वर्या वर्मा, रजनीश मौर्या का विशेष योगदान रहा।

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