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क्लीनिक, नैदानिक केंद्रों, ‘छोटे’ अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन अब पांच साल के लिए

-उत्तर प्रदेश सरकार ने दी बड़ी राहत, लम्बे समय से चिकित्सक कर रहे थे मांग

सेहत टाइम्स

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ी राहत देते हुए क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 के तहत आने वाले सभी क्लीनिकों, 50 बेड वाले अस्पतालों, नैदानिक स्थापनों (पैथोलॉजी, डायग्नोस्टिक सेंटर्स) के रजिस्ट्रेशन की अवधि एक वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दी है। लेकिन इसके साथ ही शासन ने यह भी अनिवार्य कर दिया है कि 5×3=15 वर्ग फ़ीट के बोर्ड पर संस्थान से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण सूचनाओं को प्रदर्शित करना होगा। जानकारों का कहना है कि इस प्रकार के बोर्ड का डिस्प्ले अनिवार्य किये जाने से नियमविपरीत तरीके से प्रतिष्ठान चला रहे कथित डॉक्टरों पर लगाम लग सकेगी।

सचिव रंजन कुमार द्वारा महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, जिलाधिकारियों व मुख्य चिकित्सा अधिकारियों कोा भेजे गये पत्र में लिखा है कि 50 शैय्या से कम क्षमता वाले चिकित्सालयों/नैदानिक स्थापनों के पंजीकरण के सम्बन्ध में वर्तमान में चल रही व्यवस्था को संशोधित किया गया है।

पत्र में लिखा है कि 50 शैय्या से कम क्षमता वाले चिकित्सालयों/नैदानिक स्थापनों के स्थायी पंजीकरण के लिए 5 वर्ष के लिए इस शर्त के साथ अनुमति प्रदान की जायेगी कि सम्बन्धित चिकित्सालय परिसर में अपनी चिकित्सा इकाई का रजिस्ट्रेशन नम्बर, संचालक का नाम, बेड की संख्या, औषधि की पद्धति एवं चिकित्सालय द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं तथा चिकित्सा कर्मचारियों, चिकित्सकों, नर्स आदि का विवरण निर्धारित आकार के बोर्ड पर प्रदर्शित करेंगे। इस बोर्ड का बैकग्राउण्ड पीला एवं फारमैट हिन्दी अक्षर रंग काला के अनुसार स्पष्ट अक्षरों में चिकित्सालय के मुख्य द्वार के पास प्रदर्शित करना सुनिश्चित करेगें। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की लखनऊ शाखा के पूर्व अध्यक्ष डॉ पीके गुप्ता ने कहा है कि यह हम लोगों की काफी दिनों से मांग थी, सरकार द्वारा किये गये इस निर्णय का आईएमए स्वागत करता है।

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