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प्रो आरके धीमन ने बताया भारतीय लोकतांत्रिक संरचना पर संविधान का स्थायी प्रभाव

-संजय गांधी पीजीआई में समारोहपूर्वक मनाया गया संविधान दिवस

सेहत टाइम्स

लखनऊ। संविधान दिवस के अवसर पर, संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस) 26 नवंबर 2024 को एक संकल्प कार्यक्रम आयोजित कर इस ऐतिहासिक दिन को गरिमा के साथ मनाया। यह कार्यक्रम संस्थान के एचजी खुराना ऑडिटोरियम, केंद्रीय पुस्तकालय परिसर के भूतल पर प्रातः 10:00 बजे 10:30 बजे तक आयोजित किया गया। संविधान दिवस, जो हर वर्ष 26 नवंबर को मनाया जाता है, 1949 में भारतीय संविधान को अपनाने का ऐतिहासिक घटना का प्रतीक है। यह दिवस भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित करने की नींव रखता है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए निदेशक प्रोफेसर आरके धीमन ने संविधान के ऐतिहासिक महत्व और भारतीय लोकतांत्रिक संरचना पर इसके स्थाई प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने उपस्थित लोगों से अपने कर्तव्य और जिम्मेदारियों पर विचार करने का आह्वान किया। इसके बाद प्रोफेसर धीमन ने संविधान दिवस की शपथ दिलाई।

ज्ञात हो राज्यपाल कार्यालय की सलाह और निर्देशानुसार, इस कार्यक्रम में संस्थान के प्रशासन, शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। अधिकतम सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए, कॉलेज ऑफ मेडिकल टेक्नोलॉजी और कॉलेज ऑफ नर्सिंग के छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से जूम लिंक के जरिए कार्यक्रम में शामिल होने और संकल्प लेने के लिए आमंत्रित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत लेफ्टिनेंट कर्नल वरुण बाजपेई, वीएसएम, कार्यकारी रजिस्ट्रार, एसजीपीजीआईएमएस के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने संविधान दिवस के महत्व पर जोर देते हुए दिन के कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इसके बाद प्रो. आर. हर्षवर्धन, अस्पताल प्रशासन विभागाध्यक्ष, एसजीपीजीआईएमएस ने उ‌द्घाटन भाषण दिया, जिसमें उन्होंने संविधान दिवस की प्रासंगिकता को रेखांकित किया और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे संविधान का गहन अध्ययन करें ताकि इसके मूलभूत मूल्यों और सिद्धांत सके। साथ ही, उन्होंने देश की संप्रभुता के विषय पर भी चर्चा की और इसे संविधान में निहित ढांचे का अभिन्न अंग बताया।

इसके बाद, प्रो. वी.के. पालीवाल, मेडिकल अधीक्षक, एसजीपीजीआईएमएस ने संविधान में उल्लिखित मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने इन अधिकारों और कर्तव्यों के समाज में न्याय और समानता सुनिश्चित करने में योगदान को रेखांकित किया और संविधान को नागरिकों के लिए मार्गदर्शक शक्ति बताया। इसके पश्चात, प्रो. शालीन कुमार, डीन, एसजीपीजीआईएमएस ने संविधान के आदर्शों को बनाये रखने में शिक्षा और जागरूकता की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारत के 1.4 अरब लोग संविधान द्वारा निर्धारित नियमों और विनियमों का पालन करके एकता और अनुशासन बनाए रखते हैं। कार्यक्रम के अंत में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सौरभ सिंह ने धन्यवाद व्यापित किया।

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