-जीसीसीएचआर के डॉ गिरीश गुप्ता ने इंटरनेशनल फोरम फॉर प्रमोटिंग होम्योपैथी के वेबिनार में दी शोध की जानकारी
सेहत टाइम्स
लखनऊ। यूट्राइन फायब्रॉयड यानी गर्भाशय में गांठ का होम्योपैथी में उपचार संभव है। लखनऊ के अलीगंज स्थित गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) में 630 महिलाओं पर हुए शोध में पाया गया कि होम्योपैथिक दवा से 65.87 प्रतिशत महिलाओं का यूट्राइन फायब्रॉयड ठीक हुआ जबकि 34.13 फीसदी महिलाओं को फायदा नहीं हुआ। इस शोध का प्रकाशन एशियन जर्नल ऑफ होम्योपैथी के नवम्बर-जनवरी 2012 के वॉल्यूम 5 नम्बर 4(17) में और होम्योपैथिक हेरिटेज जर्नल में जुलाई 2016 के वॉल्यूम 42 नम्बर 4 में हो चुका है।
जीसीसीएचआर के चीफ कन्सल्टेंट डॉ गिरीश गुप्ता ने इस बारे में 13 जुलाई को आयोजित इंटरनेशनल फोरम फॉर प्रमोटिंग होम्योपैथी के 1046वें वेबिनार में एक व्याख्यान प्रस्तुत किया। व्याख्यान में उन्होंने बताया कि गुस्सा दबाने, प्रियजन को खोने का दुख, मानसिक आघात, विभिन्न प्रकार के स्वप्न आदि के चलते बनी मन:स्थिति के परिणामस्वरूप शरीर में होने वाले हार्मोन्स के स्राव से शरीर के अलग-अलग हिस्सों में सिस्ट (गांठें) बन जाती हैं, ऐसी ही गांठ जब गर्भाशय में बन जाती है तो यूट्राइन फायब्रॉयड कहलाती है। अल्ट्रासोनोग्राफी में इन सभी महिलाओं की बच्चेदानी में एक या एक से ज्यादा गांठ होने की पुष्टि हुई। उन्होंने बताया कि इसके बाद इन महिलाओं से जानने की कोशिश की गयी कि उन्हें किन-किन प्रकार की चिंतायें हैं, लक्षणों और व्यवहार के हिसाब से दवा का चुनाव किया गया।
उन्होंने कहा कि डॉ हैनिमैन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत के अनुसार होम्योपैथी में इलाज रोग का नहीं बल्कि रोगी का किया जाता है, शरीर और मन दोनों की स्थितियों का आकलन करने के पश्चात दवा का चुनाव किया जाता है, जिससे रोग के कारण को समाप्त किया जा सके। डॉ गुप्ता ने बताया कि केवल रोगग्रस्त अंग का इलाज करने से रोग पूरी तरह से नष्ट नहीं हो सकता, क्योंकि अगर इस रोग के कारण को दूर नहीं किया जायेगा तो अगली बार यह किसी दूसरे अंग में प्रकट होगा। इसीलिए इस रोग के मरीजों को रोग के कारण को जड़ से समाप्त करने के लिए मनोदैहिक यानी साइकोसोमेटिक लक्षणों के आधार पर दवा दी गयी।
व्याख्यान में रोगी की केस हिस्ट्री, डायग्नोसिस टेस्ट रिपोर्ट्स, लक्षण, दवा का चुनाव जैसी जानकारियों का रिकॉर्ड रखने की सलाह देते हुए डॉ गिरीश ने एक मरीज की केस शीट भी कैमरे पर दिखायी, साथ ही रिकॉर्ड कीपिंग के तरीके के बारे में भी बताया।
वेबिनार में देश-विदेश के अनेक चिकित्सक जुड़े थे। इनमें से कुछ चिकित्सकों ने डॉ गुप्ता से सवाल पूछे और अपनी जिज्ञासा को शांत किया। वेबिनार का संचालन बिंदुराज बालचन्द्रन ने किया।