-विशिष्ट संस्थानों व अस्पतालों में होनी चाहिये फीजियोथेरेपिस्ट नियमित नियुक्ति
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान फीजियोथेरेपी चिकित्सा पद्धति मरीजों के लिए वरदान साबित हुई, इस पद्धति ने कोविड मरीजों के श्वसन तंत्र को मजबूत बनाकर शरीर को सुदृढ़ता प्रदान करते हुए पहले की तरह जीवन प्रदान किया है तथा इस चिकित्सा पद्धति की महत्ता को सभी के द्वारा स्वीकार किया गया व सराहा गया। वर्तमान परिवेश व इस विधा की आवश्यकता को देखते हुए प्रदेश के समस्त विशिष्ट संस्थान, जिला चिकित्सालय, सी.एच.सी., एवं पी.एच.सी. पर फीजियोथेरेपिस्ट के मानक के अनुसार पद सृजन व नियमित नियुक्ति हो, केन्द्र की भांति कैडर पुनर्गठन, संविदा पर कार्यरत फीजियोथैरेपिस्ट को जी. एन. एम. व ए. एन. एम. की भांति नियमित नियुक्ति में वरीयता प्रदान किये जाने का प्राविधान किया जाय, जिससे प्रदेश की जनता को उक्त विधा का लाभ प्राप्त हो सके।
यह मांग करते हुए प्रोवेन्शियल फीजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल मिश्रा और महामंत्री अनिल कुमार ने मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव से मांग की है कि फीजियोथेरेपी एक चमत्कारी चिकित्सा पद्धति है। आधुनिक युग में महत्वपूर्ण औषधि रहित व साइड इफेक्ट से परे, एक ऐसी विधा है जो पूर्णरूप से विभिन्न रोगों के उपचार में प्रभावी व कारगर है। आज की भागदौड़ भरी व तनावपूर्ण जीवन शैली में हम प्रायः विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं क्योंकि शारीरिक देखभाल को दरकिनार कर हम अपने कार्यों व उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने में समय गुजार देते हैं। ऐसे में शारीरिक कमजोरी व अवसाद से ग्रसित होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसी संदर्भ में फीजियोथेरेपी एक महत्वपूर्ण विधा है जो शरीर को मजबूत बनाने में कारगर है। जिसके द्वारा जोड़ों को पूर्ण रूप से गतिशील व मांसपेशियों को सुदृढ़ किया जा सकता है।
श्री मिश्रा ने कहा कि वर्तमान परिवेश में अधिकांश लोग कमर दर्द, गर्दन दर्द, गठिया, लकवा तथा अन्य विभिन्न प्रकार की व्याधियों से ग्रसित हो रहे हैं। इन सब प्रकार की समस्याओं से निजात दिलाने में फीजियोथेरेपी पूर्ण रूप से प्रभावी व कारगर चिकित्सा पद्धति है, जिसमें बिना दवा प्रयोग किए मरीजों को शारीरिक रूप से सुदृढ़ बनाते हुए बीमारी से पूर्ववत अवस्था में लाने की कोशिश की जाती है। इस विधा में हीट थेरेपी, कोल्ड थेरेपी, इलेक्ट्रिक उपकरण, मैग्नेटिज्म व विभिन्न प्रकार के कसरतों का प्रयोग किया जाता है।
श्री मिश्रा ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने पूरे विश्व में अफरा-तफरी मचा रखी है, जिसमें किसी भी प्रकार की औषधि का शत-प्रतिशत प्रभावित होना नहीं पाया गया, जिसके फलस्वरूप लाखों-करोड़ों लोगों को जिंदगी से हारना पड़ा, परंतु फीजियोथेरेपी चिकित्सा पद्धति ऐसे मरीजों के लिए वरदान साबित हुई। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की द्वितीय खतरनाक लहर के दौरान बहुत से मरीज फेफड़ों के संक्रमण के चलते आई०सी०यू० में व वेन्टिलेटर पर जिन्दगी की लड़ाई लड़ने में अक्षम थे, ऐसे में फीजियोथेरैपी चिकित्सा ने उनकों इससे निजात दिलाकर जिंदगी वापस दी। फीजियोथेरैपिस्ट ने अपनी जिंदगी पर खेलकर सेवाएं दीं व बहुत से मरीजों को जीवनदान दिया।
प्रोवेन्शियल फीजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री अनिल कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश में लगभग 25-30 हजार फीजियोथैरेपिस्ट स्टेट मेडिकल फैकल्टी में इनरोल्ड हैं। महानिदेशक स्वास्थ्य द्वारा प्रस्तुत डाटा के अनुसार प्रदेश के राजकीय चिकित्सालय में 504 फीजियोथैरेपिस्ट तैनात हैं जिसमें केवल 57 फीजियोथैरेपिस्ट नियमित व 447 फीजियोथैरेपिस्ट संविदा के आधार पर है। चिकित्सा शिक्षा में भी फीजियोथैरेपिस्टों की संख्या लगभग इतनी ही है। सरकारी अस्पतालों/संस्थानों में फीजियोथेरेपिस्टों की संख्या नगण्य है। जिसके कारण प्रदेश की जनता इस सुविधा का लाभ नहीं ले पा रही है। वहीं हजारों की संख्या में प्रशिक्षित फीजियोथेरेपिस्ट बेरोजगारी का दंश झेल रहे है।