Friday , March 29 2024

फार्मासिस्‍टों के हक को बचाने के लिए 9 जनवरी को आयोजित होगा फार्मेसिस्‍ट अधिकार दिवस

-फार्मेसिस्‍ट फेडरेशन के बैनर तले आयोजित किया जायेगा कार्यक्रम

सुनील यादव

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ प्रदेश में फार्मेसिस्ट संवर्ग के लिए रोजगार सृजन, अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूकता लाने, जनता को फार्मेसिस्ट के कार्य, दायित्व, योग्यता, तकनीकी दक्षता का ज्ञान कराने के लिए प्रदेश के फार्मेसिस्ट 9 जनवरी को फार्मेसिस्ट अधिकार दिवस मनाएंगे। इसके लिए विभिन्न संस्थानों में कार्यक्रम होंगे और सोशल मीडिया के माध्यम से ट्वीट किए जायेंगे  और सरकार को ज्ञापन का भी प्रेषण होगा। कार्यक्रम फार्मेसिस्ट फेडरेशन की यूथ विंग द्वारा आयोजित होगा । 

यह जानकारी देते हुए फार्मेसिस्ट फेडरेशन (फार्मेसिस्ट महासंघ) के अध्यक्ष सुनील यादव, महामंत्री अशोक कुमार  ने बताया कि आजकल एकाएक फार्मेसिस्टों की साख गिरनी शुरू हो गई है, फार्मेसिस्टों के पद समाप्त हो रहे हैं। सीएचओ (कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर) के पदों की संकल्पना करते समय नेशनल हेल्थ पॉलिसी में फार्मेसिस्टों को भी वेलनेस सेंटर पर तैनात किए जाने की बात नीतिगत रूप से डॉक्यूमेंट में लायी गई थी लेकिन व्यावहारिक रूप से उसे लागू नहीं किया गया। जब कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर के पदों का सृजन होना शुरू हुआ (भले ही वह संविदा के आधार पर हो) उस समय केवल नर्सिंग संवर्ग के लोगों को ही सीएचओ के योग्य माना गया और अब तो बीएससी नर्सिंग के कोर्स में सीएचओ CHO की ट्रेनिंग को सम्मिलित कर दिया गया, सीएचओ को कुछ दवाएं वितरित करने का अधिकार दिया गया जो नैतिक रूप से फार्मेसिस्टों के अधिकारों का हनन है। 

उन्‍होंने कहा है कि आज सरकारी क्षेत्रों के पद समाप्त हो रहे हैं। जिला अस्पताल और महिला अस्पताल मिलाकर मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं और वहां पर पूर्व से सृजित पद समाप्त हो रहे हैं। प्रदेश के लगभग दो हजार फार्मेसिस्ट, चीफ फार्मेसिस्ट, प्रभारी अधिकारी फार्मेसी के पद समाप्त हो जाएंगे तो फिर नयी नियुक्तियां कहां होंगी, इतनी बड़ी घटना इस संवर्ग के लिए हुई,  आज ड्रग मार्केटिंग के क्षेत्र में एमबीए शिक्षा ग्रहण किए हुए लोग अधिकायत  हैं, जबकि मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के साथ पूरे दवा व्यवसाय में फार्मेसिस्ट अपना पूरा योगदान दे सकता है। बड़े रोजगार सृजन का क्षेत्र फार्मेसिस्ट से छूटता जा रहा है। उद्योगों में/ड्रग इंडस्ट्री में बीएससी किए हुए लोग सेवायोजित हो रहे हैं। आज भी फार्माकोविजिलेंस लगभग नगण्य है। शोध के क्षेत्र में फार्मेसिस्ट कार्य कर रहे हैं लेकिन उनका नाम बाहर तक नहीं आता।

उन्‍होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि फार्मेसिस्ट अपने अधिकारों को जानें, इसे आम जनता तक ले जाएं, इसे सरकार तक ले जाएं, इसे जनप्रतिनिधियों तक ले जाएं, इसे मीडिया तक ले जाएं क्योंकि आज भी आम जनता फार्मेसिस्टो को केवल दवा वितरण करने वाला ही मानती है। फार्मेसिस्ट ने क्या पढ़ा, क्या ज्ञान अर्जित किया है, योग्यता क्या है? 

वरिष्ठ उपाध्यक्ष केपी नायक, उपाध्यक्ष ओपी सिंह, राजेश सिंह ने कहा कि फार्मेसिस्टों को आवाज उठानी पड़ेगी, अपनी योग्यता का प्रदर्शन करना होगा,  अपने अधिकारों को जानना है और उसे सबको बताना है। लंबे संघर्ष, लंबे आंदोलन, लंबे सत्याग्रह की आवश्यकता है।

संयोजक केके सचान ने कहा कि 9 जनवरी को सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जाएगा,  जिससे जनता को पता चले कि फार्मेसिस्ट क्या है, सरकार को भी पता चल जाए, तभी हमारी उपयोगिता सिद्ध हो पाएगी। उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में ही लगभग डेढ़ लाख के आसपास पंजीकृत फार्मेसिस्ट तैयार हैं कहां जाएंगे सब ? क्या केवल मेडिकल स्टोर खोल देना ही एकमात्र रास्ता बचा है ?

यूथ फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष आदेश, सचिव पीएस पाठक ने बताया कि 9 जनवरी को फार्मेसिस्ट अधिकार दिवस के रूप में मनाए जाने का, साथ ही लखनऊ में केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक कर जनपदीय कमेटियों का गठन किया जाएगा। पोस्टर, पैम्‍फलेट, सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.