Wednesday , April 17 2024

डायबिटीज में मेटफॉरमिन दवा खा रहे लोगों को न्‍यूरोपैथी का भी खतरा

-साल में कम से कम एक बार विटामिन बी 12 की जांच कराने की सलाह दी डॉ अनुज माहेश्‍वरी ने

-डायबिटीज के इलाज के लिए मेटफॉरमिन खा रहे लोगों के लिए बड़ी खबर

डॉ अनुज माहेश्‍वरी

धर्मेन्‍द्र सक्‍सेना

लखनऊ। मेटफॉरमिन दवा के सेवन से जहां शरीर में विटामिन बी 12 की कमी होती है। विटामिन बी 12 की कमी से एनीमिया हो जाता है जिसमें रक्‍त में लाल कोशिकाएं में कमी हो जाती है। इससे न्‍यूरोपैथी की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। न्‍यूरोपैथी में नसें कमजोर पड़ जाती है। मेरी सलाह है कि डायबिटीज के जो रोगी मेटफॉरमिन खाते हैं उन्‍हें साल भर में एक बार विटामिन बी 12 की जांच अवश्‍य करा लेनी चाहिये।

यह बात वरिष्‍ठ डाइबिटीज स्‍पे‍शियलिस्‍ट डॉ अनुज माहेश्‍वरी ने सेहत टाइम्‍स के साथ एक विशेष वार्ता में कही। आपको बता दें कि ब्रिटिश हेल्‍थ सोसाइटी ने समय-समय पर विटामिन बी 12 की जांच कराने की सलाह देते हुए कहा है कि टाइप 2 डायबिटीज में दी जाने वाली प्रचलित दवा मेटफॉरमिन के साइड इफेक्‍ट के चलते मरीज के शरीर में विटामिन बी 12 की कमी हो जाती है। भारत के लिए यह खबर बहुत मायने रखती है क्‍योंकि दुनिया भर के डायबिटीज के मरीजों में से 17 फीसदी करीब 8 करोड़ मरीज भारत में ही हैं। इसी सम्‍बन्‍ध में विस्‍तार से जानकारी लेने के लिए ‘सेहत टाइम्‍स’ ने डॉ अनुज माहेश्‍वरी से वार्ता की।

मांसाहार और डेयरी प्रोडक्‍ट से दूर होती है विटामिन बी 12 की कमी

डॉ माहेश्‍वरी ने कहा कि मैं तो कई वर्षों से अपने मरीजों को इस विषय में कहता आया हूं कि कम से कम साल में एक बार विटामिन बी 12 की जांच अवश्‍य करा लें। उन्‍होंने बताया कि भारत में तो वैसे भी विटामिन बी 12 की कमी ज्‍यादा ही पायी जाती है, क्‍योंकि इसकी कमी मांसाहार से या फि‍र डेयरी प्रोडक्‍ट यानी दूध, दही, पनीर, घी आदि से पूरी की जा सकती है। ऐसे में जो व्‍यक्ति शाकाहारी हैं उनके लिए सिर्फ डेयरी प्रोडक्‍ट ही बचते हैं जिनका पर्याप्‍त सेवन यह कमी पूरी कर सकता है, लेकिन बहुत बड़ी संख्‍या ऐसे लोगों की है जो डेयरी प्रोडक्‍ट भी आवश्‍यक मात्रा में नहीं लेते हैं।

खानपान की आदत एक बड़ा कारण

डॉ माहेश्‍वरी बताते हैं कि इसका एक कारण जहां कम आमदनी वालों के लिए इस पर किये जाने वाले खर्च में कमी है, लेकिन ऐसा नहीं है कि जो सम्‍पन्‍न हैं वे सब इसका भरपूर प्रयोग कर रहे हैं। डॉ माहेश्‍वरी बताते हैं कि मेरे पास जो मरीज आते हैं उनमें बहुत से लोग कहते हैं कि मैंन रात में दूध इसलिए नहीं पिया कि कब्‍ज हो जाता है, कुछ कहते हैं कि दही इसलिए नहीं खाया कि ठंडा होता है, यानी बहुत से ऐसे कारण गिना देते हैं जिस वजह से डेयरी प्रोडक्‍ट वे पर्याप्‍त मात्रा में नहीं लेते हैं। डॉ माहेश्‍वरी बताते हैं कि एक और कारण है कि आमतौर पर डेयरी प्रोडक्‍ट का शुद्ध रूप में प्राप्‍त न होना है। यानी जो खा भी रहे हैं वे भी शुद्ध नहीं खा रहे हैं।

उन्‍होंने बताया कि यह कहना कि लोअर या लोअर मीडियम क्‍लास में यह समस्‍या ज्‍यादा है, गलत होगा क्‍योंकि करीब 8-10 वर्ष पूर्व हायर इनकम ग्रुप की महिलाओं के एक ग्रुप का हीमोग्‍लोबिन टेस्‍ट कराया गया था, इनमें 85 प्रतिशत महिलाओं में हीमोग्‍लोबिन कम पाया गया, जबकि देखा जाये तो उन्‍हें तो खाने-पीने की कोई कमी नहीं थी। दरअसल यह खानपान की आदतों पर निर्भर करता है। उन्‍होंने कहा कि एनिमिया का एक और बड़ा सोर्स आयरन की कमी है, साफ-सफाई का अभाव भी एक बड़ा कारण है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.