-नेशनल बोन एंड ज्वाइंट डे के मौके पर 1 से 7 अगस्त तक दिया जा रहा प्रशिक्षण
-उत्तर प्रदेश ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन ने दो दिनों में पुलिस और पीएसी के 277 जवानों को दिया प्रशिक्षण
सेहत टाइम्स
लखनऊ। इंडियन ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन ने नेशनल बोन एंड ज्वॉइंट डे के अवसर पर 1 से 7 अगस्त तक एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रही है, इसमें सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्युओं को रोकने के लिए घायल के नजदीक मौजूद होने वाले लोगों को प्राइमरी केयर करने की ट्रेनिंग दे रही है, जिससे घायल को एक्सीडेंट होने के बाद गोल्डन आवर यानी सुनहरे एक घंटे में सुरक्षित तरीके से अस्पताल पहुंचाया जा सके और घायल की जान बच सके। उत्तर प्रदेश में भी यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन के तत्वावधान में कल यानी पहली अगस्त से शुरू किया गया है।
यह जानकारी आज यहां निराला नगर स्थित एलएनएचए ब्लड बैंक में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में सीएसआरसी इंडियन ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ अनूप अग्रवाल व यूपी ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन के सचिव डॉ संतोष सिंह व एसोसिएशन के सेक्रेटरी सिटी डॉ शाह वलीउल्लाह की पत्रकार वार्ता में दी गयी। डॉ अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2019 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 4,49,002 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गयी थीं, इनमें 1,51,113 लोगों की जान चली गयी थी और 4,51,361 लोग घायल हो गये थे। मौतों में कामकाजी वर्ग यानी 18 से 60 वर्ष के बीच के 84.3 प्रतिशत लोग शामिल थे। उन्होंने बताया कि इनमें से अधिकांश मौतें दुर्घटना के बाद के पहले घंटे में उचित उपचार न मिलने के कारण हुई थीं, इनमें से कई लोगों की जान उचित प्राथमिक चिकित्सा देकर बचायी जा सकती थी।
डॉ संतोष सिंह ने कहा कि इसीलिए एसोसिएशन द्वारा लक्ष्य रखा गया है कि पूरे भारत में 1.40 लाख लोगों को प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण देकर उन्हें ऐसे समय में मदद के लिए तैयार करना है। इनमें यूपी में 15,000 लोगों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है। जिन लोगों को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है वे सभी फर्स्ट रिस्पॉन्डर यानी दुर्घटना के बाद घायल के पास सबसे पहले होने वाले लोग हैं। इनमें ड्राइवर्स, ट्रैफिक पुलिस, स्टूडेंट्स, पुलिसमैन, यंग्स्टर और आम आदमी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि कल पहले दिन पुलिस लाइन में यह प्रशिक्षण आयोजित किया गया जिसमें 99 पुलिस वालों को यह प्रशिक्षण दिया गया जबकि आज दूसरे दिन पीएसी ग्राउंड में इसका आयोजन किया गया जहां 178 जवानों को प्रशिक्षित किया गया। डॉ शाह वलीउल्लाह जो केजीएमयू के ऑर्थोपैडिक विभाग में एडिशनल प्रोफेसर हैं, ने बताया कि इस तरह का प्रशिक्षण हम लोग केजीएमयू में भी आयोजित करते हैं।
डॉ अनूप ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 17 जिलों की पुलिस लाइन में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण में दुर्घटना होने के बाद व्यक्ति को किस तरह उठाकर अस्पताल पहुंचाना है, किन-किन बातों को ध्यान में रखना है जिससे घायल के डॉक्टर के पास पहुंचने तक उनके जीवन को खतरा न हो। जैसे कि खून का बहना किस तरह रोकना है, मरीज को दुर्घटना स्थल से कैसे सावधानीपूर्वक उठायें, कैसे एम्बुलेंस में लिटायें, अगर सांस ठीक से नहीं आ रही है तो कैसे स्थिति को नियंत्रित करें आदि-आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है।