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तीन माह से वेतन नहीं, 102, 108 एम्‍बुलेंस चालक हड़ताल पर

प्रदेशव्‍यापी हड़ताल से गरीब मरीजों पर आफत, निजी वाहनों का सहारा
हड़ताली चालक लिखित समझौते के बिना हड़ताल वापस लेने को तैयार नहीं

पद्माकर पाण्‍डेय पद्म

लखनऊ। समेत प्रदेश भर के समस्त जनपदों में इमरजेंसी के मरीजों एवं गर्भवती महिलाओं को एम्‍बुलेंस सेवाएं प्रदान करने वाली जीवीके कंपनी द्वारा बीते तीन माह से वेतन न दिये जाने से नाराज ड्राइवरों ने सोमवार को प्रदेशव्यापी हड़ताल सुबह से ही शुरू कर दी। एम्‍बुलेंसों का चक्का ठप होते ही गंभीर मरीजों पर आफत आन पड़ी, मरीजों को निजी वाहनों से अस्पतालों की चौखट नसीब हुई।

9 केस की अनिवार्यता समाप्‍त करने की भी मांग

वहीं दूसरी तरफ विभिन्न जनपदों में ड्राइवरों ने जीवीके कार्यालय पर प्रदर्शन शुरू कर, बकाया वेतन की मांग और पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रत्येक ड्राइवर को प्रति दिन 9 केस की अनिवार्यता खत्म करने की मांग करने लगे। ड्राइवरों के अध्यक्ष हनुमान पाण्डेय और महामंत्री संदीप पाल ने बताया कि हम लोगों को नियुक्ति मासिक वेतन के आधार पर मिली थी। मगर अब पायलट प्रोजेक्ट के तहत हम लोगों को प्रतिकेस के आधार पर भुगतान करने का फरमान दिया गया है। पायलट प्रोजेक्ट में 108 एम्‍बुलेंस ड्राइवर को प्रतिदिन पांच केस करने की अनिवार्यता करने के साथ ही प्रति केस 100 रुपये भुगतान किया जा रहा है। इसी प्रकार 102 एम्‍बुलेंस ड्राइवरों के लिए रोजाना 9 केस और प्रतिकेस 60 रुपये देने का आदेश है। यानि अगर किसी ड्राइवर को पांच व नौ केस नहीं मिले तो उसे उस दिन का वेतन ही नहीं मिलेगा।

उन्‍होंने बताया कि इतना ही नहीं, ड्राइवरों का शोषण निरंतर जारी है आठ घंटे की जगह 12 घंटे की सेवाएं ली जा रही हैं, तीन-तीन माह का वेतन बकाया है, विरोध करने या वेतन मांगने पर नौकरी से हटाने की धमकी दे दी जाती है। इतना ही नहीं सर्विस के अभाव में अधिकांश एम्‍बुलेंस चलने में असमर्थ हैं, मगर ड्राइवरों पर दबाव देकर संचालित कराई जा रही हैं।

महामंत्री संदीप पाल ने बताया कि हम लोगों को डराने के लिए सरकार द्वारा हड़ताल न करने का भय दिखाया गया, पुलिस को भी बुलाया। मगर हम लोग इनके शोषण से भयभीत नहीं होंगे और बिना लिखित आश्वासन के हड़ताल खत्‍म नहीं की जायेगी। श्री पाल ने बताया कि सोमवार को दोपहर में श्रम विभाग के अधिकारियों ने मौखिक रूप से 25 सितम्‍बर तक मांग पूरी करने को कहा था,  हम लोगों ने हड़ताल खत्‍म करने के लिए लिखित आश्वासन मांगा था, जोकि नहीं दिया गया, जिसकी वजह से हड़ताल जारी है। इस संबन्ध में जीवीके कंपनी के अधिकारियों द्वारा फोन न उठाये जाने की वजह से संपर्क नहीं हो सका।