-एंडोलाइट प्रोस्थेटिक्स एवं ऑर्थोटिक्स सेंटर के इंदिरा नगर कार्यालय का उद्घाटन
सेहत टाइम्स
लखनऊ। दिनोंदिन हो रहे शोध एवं विकास के चलते कृत्रिम अंगों के निर्माण में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है, अब कई प्रकार के कार्य करने में सक्षम उपकरण बनाना आसान हो गया है, पैर ऐसे कि दौड़ लगा लें, हाथ ऐसे कि देखने वाले को पता ही न चले कि कृत्रिम अंग लगा है, जाहिर है जब अनेक प्रकार की सुविधाओं से युक्त उपकरण होंगे तो उसके दाम भी अपेक्षाकृत ज्यादा होंगे, इन उपकरणों का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए इस कार्य को आसान करने का भी उपाय है, वह है इस क्षेत्र में स्वास्थ्य बीमा कम्पनियों की सक्रियता बढ़ाना।
यह विचार केजीएमयू के पीएमआर विभाग (लिम्ब सेंटर) के विभागाध्यक्ष व चिकित्सा अधीक्षक डॉ अनिल कुमार गुप्ता ने आज रविवार को यहां इंदिरा नगर में एंडोलाइट कम्पनी के नये वर्कशॉप का उद्घाटन करते हुए अपने सम्बोधन में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि एंडोलाइट कम्पनी और उसके कार्य को मैं पिछले लगभग 13 साल से जानता हूं, जब कम्पनी के प्रतिनिधि पहली बार मुझसे मिले थे, हालांकि चूंकि लिम्ब सेंटर में कृत्रिम अंग बनते हैं तो मैंने कहा कि मरीजों को हमारे वर्कशॉप में जब अंग मिल रहा है तो मैं इस महंगे उपकरण की सलाह कैसे दे सकता हूं, इस पर मुझसे कई जरूरतमंदों के परिजनों तथा खुद मरीजों ने भी कहा कि हम लोग महंगा अंग खरीदने में सक्षम हैं, आप बस सलाह दे दीजिये। कम्पनी द्वारा किसी मरीज के साथ बेईमानी नहीं की गयी। उन्होंने कहा कि यद्यपि हमारे अपने वर्कशॉप में जो कृत्रिम अंग बनते हैं वे अच्छे हैं और अपेक्षाकृत सस्ते भी हैं, लेकिन आधुनिक टेक्नोलॉजी से बनाये जा रहे अंगों में जो बात है, उसकी बराबरी तो नहीं कर सकता है, इसकी वजह यह नहीं है कि सरकारी वर्कशॉप पर वह बन नहीं सकता है, बन सकता है लेकिन उसकी कॉस्ट ज्यादा होगी। इसे ऐसे ही समझिये कि एक साधारण कार की सवारी करें और एक लग्जरी कार की सवारी करें, दोनों की सवारी में आराम का जो अपना अंतर है, वह तो रहेगा ही, क्योंकि दोनों के पैसों में काफी फर्क है। ऐसे में मेरा मानना है कि अगर इस क्षेत्र में इंश्योरेंस कम्पनी का साथ लिया जाये तो जरूरतमंद को महंगे उपकरण की उपलब्धता आसान हो जायेगी।
लखनऊ में आधुनिक उपकरणों की जनक है एंडोलाइट
विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित केजीएमयू के लिम्ब सेंटर के पूर्व प्रभारी अरविन्द निगम ने कहा कि केजीएमयू में सस्ते और टिकाऊ कृत्रिम अंग उपकरण देता आ रहा है, जिससे प्रतिवर्ष लाखों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। लेकिन आधुनिक उपकरण नहीं प्रदान कर पा रहे थे। लखनऊ में 2008 में आधुनिक तकनीकी के कृत्रिम अंगों का लखनऊ में जन्म एंडोलाइट द्वारा किया गया। केजीएमयू का लिम्ब सेंटर आज भी अच्छे उपकरण मरीजों को प्रदान कर रहा है लेकिन अत्याधुनिक सुविधाओं, कम्प्यूटराइज्ड ऑपरेशन के साथ और बेहतर अंगों के लिए मरीज एंडोलाइट कम्पनी के पास पहुंचते हैं।
कम मार्जिन में ज्यादा काम हमें घाटा नहीं होने देता
कम्पनी के मैनेजिंग डायरेक्टर कर्नल बीबी पांडे ने अपने संबोधन में कंपनी के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि एंडोलाइट बहुत कम लाभ पर उपकरणों को तैयार करती है, लेकिन चूंकि उपकरणों की संख्या ज्यादा होती है तो हमारा घाटा नहीं होता है। उन्होंने बताया कि एंडोलाइट वह नाम है जिससे दुनिया भर और भारत के बड़े हिस्से में सैकड़ों और हजारों दिव्यांगों के लिए आशा की किरण जागी है। उन्होंने बताया कि एंडोलाइट सिस्टम निचले और ऊपरी अंगों के विच्छेदन के सभी स्तरों को कवर करते हैं और पैराप्लीजिया, पोलियो, फुट ड्रॉप, ओस्टियोआर्थराइटिस, घुटने, हाइपर एक्सटेंशन घुटने, कूल्हे और रीढ़ की हड्डी संबंधी विकारों जैसी बीमारियों के लिए उपकरण का निर्माण करते हैं।
कार्यक्रम में कम्पनी के जोनल डायरेक्टर बीरेंद्र प्रसाद ने आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कंपनी की लोगों के लिए सेवा की प्रतिबद्धता दोहरायी। शाखा एवं रीजनल मैनेजर श्वेता यादव ने आए हुए लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर सेना के कई पूर्व अधिकारियों के साथ ही, केजीएमयू के पैथोलॉजी विभाग के प्रभारी प्रो यूएस सिंह, जो एंडोलाइट के उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं, ने अपने-अपने अनुभव शेयर किये। इस मौके पर एंडोलाइट परिवार के अनेक अधिकारी-कर्मचारी सहित अन्य अतिथिगण उपस्थित रहे।