-नवरात्रि में केजीएमय के रेस्पाइरेटरी मेडिसिन विभाग में खुली नौंवी क्लीनिक

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने अपने 75वें स्थापना वर्ष (प्लेटिनम जुबली स्थापना वर्ष) में विभिन्न प्रकार के 75 आयोजन कर रहा है। इसी कड़ी में रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग ने आज’’लंग कैंसर क्लीनिक’’ की शुरूआत की गयी है, इस विभाग की यह नौवीं क्लीनिक है, नवरात्रि के पावन पर्व पर खोली गयी है।
रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष एवं इंडियन सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ लंग कैंसर की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि देश में लंग कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश में लगभग 1 लाख लंग कैंसर के मरीज हैं, जिनमें पुरुषों की संख्या लगभग 70 हजार है एवं महिलाओं की संख्या 30 हजार है।
रेस्पाइरेटरी मेडिसिन विभाग में चलने वाली क्लीनिक व कब शुरू हुई
1.एलर्जी क्लीनिक Allergy Clinic 1975
2.डॉट्स क्लीनिक DOTS Clinic 1997
3.डॉट्स प्लस क्लीनिक DOTS PLUS Clinic 2012
4.तम्बाकू समापन क्लीनिक Tobacco Cessation Clinic 2012
5.आईएलडी क्लीनिक ILD Clinic 2012
6.ब्रॉन्काइटिस Bronchiectasis Clinic 2018
7.पल्मोनरी हाईपरटेंशन क्लीनिक Pulmonary Hypertension Clinic 2018
8.पोस्ट कोविड क्लीनिक Post Covid Clinic 2021
9.लंग कैंसर क्लीनिक Lung Cancer Clinic 2021
लंग कैंसर का मुख्य कारण विगत वर्षों में बढ़ता हुआ प्रदूषण, कीटनाशक दवाओं का अत्याधिक उपयोग एवं अन्य मुख्य कारणों में धूम्रपान, घरों के चूल्हों से निकला हुआ धुआं व परोक्ष धूम्रपान (धूम्रपान करने वाले लोगों के आस-पास रहने वाले लोगों में जो धुआं का सेवन होता है उसे परोक्ष धूम्रपान कहते हैं।) है। आम जनमानस में फेफड़ों के कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इसके लक्षणों के बारे में बताया गया जिसमें लगातार खांसी आना, सांस फूलना, खांसी के साथ खून का आना, सीने में दर्द, वजन कम होना और बार बार लंग इंफेक्शन होना शामिल है। लंग कैंसर पुरूष एवं महिलाओं में मुख्य 5 प्रकार के कैंसरों में से एक है। फेफड़ों के कैंसर का उपचार 4 तरीकों से किया जाता है- सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरिपी एवं इम्यूनोथेरेपी। उन्होने लंग कैंसर के इलाज की प्रमुख समस्या के बारे में बताया कि 90 प्रतिशत रोगी लंग कैंसर की अंतिम अवस्था में चिकित्सकों के पास पहुचतें है जिससे उनका इलाज संभव नहीं हो पाता है।
डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि विभाग में 8 विशिष्ट क्लीनिक पहले से ही चल रही है। इस नौं दुर्गा के पावन अवसर पर नौवीं विशिष्ट ’’लंग कैंसर क्लीनिक’’ का शुभारम्भ किया गया है। यह फेफड़ों के कैंसर की यह क्लीनिक रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में प्रत्येक वृहस्पतिवार को अपरान्ह 01 बजे से 03 बजे के बीच चलायी जायेगी। इस क्लीनिक में मरीज दिखाने के लिए पहले से ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा, पंजीकरण के लिए केजीएमयू की साइट पर उपलब्ध फोन नम्बर 0522-2258880 पर काल कर के व www.ors.gov.in पर जा कर बुक कर सकते हैं। साथ ही रोगी कोविड की निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट या वैक्सीनेशन के दोनों डोज के प्रमाणपत्र के साथ तय तिथि पर उपचार के लिए आ सकता है।

डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि लंग कैंसर के लक्षण और टी.बी. के रोग के लक्षण मिलते-जुलते हैं अतः कई बार प्रारम्भिक अवस्था में ऐसे रोगियों को एक्स रे में धब्बे के आधार पर टी.बी. का इलाज दे दिया जाता है। इसीलिए डा0 सूर्यकान्त पिछले 25 वर्षों से लगातार लंग कैंसर के जागरूकता कार्यक्रमों में यही कहते आऐ हैं कि जैसे- ’’हर चमकती चीज सोना नहीं होती, वैसे ही एक्स-रे का हर धब्बा टी.बी. नहीं होती’’। अतः लंग कैंसर की जांच के लिए केवल एक्स-रे पर्याप्त नहीं है इसकी जांच के लिए सीटी-स्कैन, ब्रॉन्कोस्कोपी, बायोप्सी एवं हिस्टोपैथोलोजिकल एक्जामिनेशन कराने की भी जरूरत पड़ती है जो कि रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग एवं केजीएमयू के अन्य विभागों में उपलब्ध है। डॉ सूर्यकांत ने बताया कि देश में कैंसर रजिस्ट्री का कार्यक्रम चल रहा है, हमारी क्लीनिक इस कार्यक्रम में भी प्रतिभाग करेगी।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा0 एस. एन. संखवार ने विभाग के विभागाध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त व सभी सीनियर एवं जूनियर चिकित्सकों को बधाई दी एवं विश्वास जताया कि आने वाले समय में लंग कैंसर की विशिष्ट क्लीनिक फेफड़ो के कैंसर के रोगियों के निदान एवं उपचार हेतु विशेष लाभकारी सिद्ध होगी। ज्ञात रहे कि रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग फेफड़ों के कैंसर का निदान व उपचार 1989 से कर रहा है परन्तु विशिष्ट ’’लंग कैंसर क्लीनिक’’ का शुभारम्भ आज किया गया। क्लीनिक की विशिष्टता के बारे में डॉ सूर्यकांत ने कहा कि इस क्लीनिक में कॉम्प्रेहेन्सिव यानी व्यापक तरीके से कैंसर का इलाज होगा, इस क्लीनिक में मेडिकल ऑन्कोलॉजी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी जैसी विशिष्टता वाले चिकित्सक भी उपलब्ध रहेंगे। उद्घाटन समारोह में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के सभी चिकित्सक- डा0 एस के वर्मा, डा0 आर ए एस कुशवाहा, डा0 संतोष कुमार, डा0 राजीव गर्ग, डा0 अजय कुमार वर्मा, डा0 आनन्द श्रीवास्तव, डा0 डी के बजाज, डा0 अंकित कुमार, डा0 ज्योति बाजपेई वरेजिडेन्ट डाक्टर्स एवं मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की डा0 ईशा जफा, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रो0 विजय कुमार, डा0 शिव राजन, रेडियोथेरेपी विभाग की डा0 मृणालिनी वर्मा थोरेसिक सर्जरी विभाग के प्रो0 शैलेन्द्र यादव उपस्थित रहे।

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