उत्तर प्रदेश के सरकारी होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज में है बुरा हाल
लखनऊ. केन्द्रीय होम्योपैथिक परिषद के वरिष्ठ सदस्य डॉ. अनुरुद्ध वर्मा ने सरकार से प्रदेश के होम्योपैथिक मेडिकल कालेजों में शिक्षकों, शिक्षणेतर कर्मचारियों एवं अन्य कमियों को दूर करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के कालेज शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं, प्रदेश के सात सरकारी कालेजों में 168 शिक्षकों के स्थान पर मात्र 83 शिक्षकों से शिक्षण कार्य चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा है कि इस वर्ष कालेजों में प्रवेश की अनुमति तो मिल गई है परन्तु गुणात्मक शिक्षा के लिए कालेजों का परिषद के मानकों पर परिषद के मानकों पर स्थापित किया जाना जरूरी है। ’’उन्होंने बताया कि औषधि एवं प्रसाधन एक्ट में संशोधन कर होम्योपैथिक औषधियों (डाल्यूशन एवं मदर टिक्चर ) पर 5 वर्ष की एक्सपायरी तिथि का प्राविधान समाप्त कर दिया गया है परन्तु यह पेटेंट दवाइयों पर यथावत लागू रहेगा।’’ उन्होंने स्पष्ट किया कि होम्योपैथिक चिकित्सक पूर्व की भांति रोगियों के लिए औषधियों की डिस्पेसिंग करते रहेंगे क्योंकि डिस्पेंसिंग पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है परन्तु दवाइयों की बिक्री पर पूर्व की भांति प्रतिबन्ध लागू है।
उन्होंने कहा कि होम्योपैथिक डाल्यूशन एवं मदर टिक्चर पर जी0एस0टी0 12प्रतिशत के स्थान पर 5 प्रतिशत कर दी गई है, इससे दवाइयों के मूल्य में कमी आएगी परन्तु पेटेंट औषधियों पर जी0एस0टी0 पूर्व की भांति लागू रहेगी। उन्होंने दवा निर्माताओं से औषधियों के दाम कम करने की मांग की है।
डॉ. अनुरूद्ध वर्मा कहा कि प्रदेश में होम्योपैथी की जनता में लोकप्रियता एवं मांग लगातार बढ़ रही है, परन्तु पिछले सात वर्ष से प्रदेश में एक भी होम्योपैथिक डिस्पेंसरी नहीं खुली है। उन्होंने कहा कि सरकार को प्राथमिकता के आधार पर होम्योपैथिक चिकित्सालय खोलने चाहिए। जिससे प्रदेश की जनता को होम्योपैथी जैसी सरल, शुलभ, दुष्परिणाम रहित एवं कम खर्चीली पद्धति का लाभ मिल सके और सरकार का सभी तक स्वास्थ्य की सुविधा का पहुंचाने का संकल्प पूरा हो सके साथ ही उन्होंने स्थापित चिकित्सालयों में चिकित्सकों एवं फार्मासिस्टों एवं अन्य कर्मचारियों के रिक्त पद भरने, भवन विहीन चिकित्सालयों के भवन बनाने एवं जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में स्टाफ तैनात करने की भी मांग की है।