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होमोसिस्टीन के लेवल पर रखें नजर, मात्रा बढ़ने पर हो सकता है हृदयाघात या पक्षाघात

-आईएमए के स्टेट लेवल रिफ्रेशर कोर्स एंड सीएमई में हाइपरहोमोसिस्टीनीमिया पर दिया डॉ वीरेन्द्र यादव ने प्रेजेन्टेशन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। 40 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगों को समय-समय पर जांच कराकर देखते रहना चाहिये कि शरीर में मौजूद एक नॉन एसेंशियल अमीनो एसिड होमोसिस्टीन का लेवल ज्यादा तो नहीं है, अगर ज्यादा है तो डॉक्टर से मिलकर सलाह लेनी चाहिये, अन्यथा हृदयाघात या पक्षाघात हो सकता है।

यह बात 22 सितम्बर को यहां इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की लखनऊ शाखा द्वारा आयोजित स्टेट लेवल रिफ्रेशर कोर्स एंड सीएमई में हाइपरहोमोसिस्टीनीमिया पर अपना प्रेजेन्टेशन देते हुए आईएमए की लखनऊ शाखा के एडिटर व वरिष्ठ फिजीशियन डॉ वीरेन्द्र यादव ने कही। उन्होंने बताया कि शरीर में मौजूद होमोसिस्टीन एक नॉन एसेंशियल अमीनो एसिड होती है जो प्रोटीन बनाती है। भोजन में कमी या किसी अन्य वजह से शरीर में अगर विटामिन बी 12 और फोलिक एसिड, विटामिन बी 6 की मात्रा कम हो जाती है तो होमोसिस्टीन का लेवल बढ़ जाता है। जिसकी वजह से आर्टरी सिकुड़ने लगती है जिससे हार्ट अटैक, लकवा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

उन्होंने बताया कि होमोसिस्टीन का लेवल बढ़ने के कारणों में खानपान के अलावा जेनेटिक या कोई और वजह भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि किसी भी वजह से अगर होमोसिस्टीन का लेवल ज्यादा है और डायबिटीज हो गयी या हाई ब्लड प्रेशर हो गया तो ऐसे में हार्ट अटैक व स्ट्रोक होने की संभावना और ज्यादा बढ़ जाती है।

उन्होंने सलाह दी कि इस स्थिति से बचने के लिए फॉलिक एसिड, विटामिन बी 6, विटामिन बी 12 जरूर लेते रहना चाहिये। विशेषकर 40 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगों को समय-समय पर जांच कराकर देखते रहना चाहिये कि होमोसिस्टीन का लेवल ज्यादा तो नहीं है, अगर ज्यादा है तो डॉक्टर से मिलकर सलाह लेनी चाहिये, अगर स्मोकिंग करते हैं तो उसे छोड़ देना चाहिये।

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