-विश्व सीओपीडी दिवस पर केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर विभाग ने आयोजित की पत्रकार वार्ता
सेहत टाइम्स
लखनऊ। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) बीमारी में इन्हेलर का प्रयोग सर्वोत्तम है, इसका कारण है जब दवा गोलियों में ली जाती है तो वह पहले पेट में जाती है फिर खून में जाती है और फिर फेफड़े में जाती है, जबकि इन्हेलर से दवा लेने में यह सीधे फेफड़ों में जाती है। इन्हेलर का एक बड़ा फायदा यह है कि दवा का साइड इफेक्ट बहुत ही कम होता है जबकि गोलियों के रूप में वही दवा लेने पर साइड इफेक्ट की संभावनाएं और ज्यादा होती हैं।
यह जानकारी पलमोनरी एवं क्रिटिकल केयर विभाग द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में दी गई इस पत्रकार वार्ता में विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश के साथ ही केजीएमयू के पलमोनरी मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद तथा प्रोफेसर आरएएस कुशवाहा भी उपस्थित थे। डॉ वेद ने बताया कि गोलियों के रूप में दवा पहले पेट में, फिर ब्लड में तथा अंत में जहां जरूरत है वहां यानी फेफड़े में पहुंचती है तो ऐसी स्थिति में पेट और ब्लड के माध्यम से शरीर के उन अंगों में भी दवा पहुंच जाती है जहां इसकी जरूरत नहीं है जबकि इनहेलर में सीधे जहां जरूरत है यानी फेफड़ों में दवा पहुंचती है।
विशेषज्ञों ने बताया कि सीओपीडी बीमारी का कोई इलाज नहीं है इसलिए इसमें दवाओं का सेवन जीवन भर करना होता है ऐसी स्थिति में दवाओं के साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए इनहेलर का इस्तेमाल अत्यंत सुरक्षित एवं प्रभावी है सुरक्षित इसलिए क्योंकि दवा और इनहेलर में दवा की मात्रा में 1000 गुने का अंतर है। टेबलेट मिलीग्राम में होती है जबकि इनहेलर की दवा माइक्रोग्राम में होती है।
विशेषज्ञों ने बताया कि इनहेलर की दवा टारगेटेड होने के कारण शीघ्र कारगर होती क्योंकि इससे दवा सांस खींचने के साथ सीधी फेफड़ों में पहुंच जाती है जहां इसकी जरूरत होती है नतीजा यह तुरंत और तेजी से लाभ देती है अब मरीज को आराम आ जाता है।