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इप्‍सेफ का गंभीर आरोप : कर्मचारी संगठनों का अस्तित्‍व समाप्‍त कर रही सरकार

-मुख्‍यमंत्री व मंत्रीगण कर्मचारी संगठनों के साथ न तो बैठक कर रहे, न ही मांगें पूरी करने की कार्यवाही

-ऐसा ही चलता रहा तो राष्‍ट्रीय स्‍तर पर आंदोलन करेंगे कर्मचारी

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्र ने भाजपा सरकार के नेतृत्व पर आरोप लगाया है कि वह देश भर के कर्मचारी संगठनों को प्रतिद्वंद्वी मानकर संगठनों का अस्तित्व समाप्त करने की कार्यवाही कर रही है, जिसका देश भर में प्रबल विरोध किया जाएगा।

महामंत्री प्रेमचंद ने बताया कि सरकार कर्मचारी संगठनों की मान्यता समाप्त करने की नीति पर चल रही है। मुख्यमंत्री, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य एवं अधिकारी कर्मचारियों की मांगों पर संगठनों के साथ बैठक नहीं करते हैं, उनके पत्रों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। स्थानांतरण नीति संशोधित करके संगठनों के अध्यक्ष/महामंत्री जनपदों के अध्यक्ष/मंत्री के स्थानांतरण किए जा रहे हैं। बायोमेट्रिक प्रणाली लगाकर उन्हें प्रात: 9 से सायं 6 बजे तक कार्यालय में बैठना अनिवार्य कर दिया गया है। उनकी हाजिरी तीन बार ली जा रही है जब वे कार्यालय में ही 9 से 6 बजे तक बैठे रहेंगे तो सचिवालय/विभागीय अधिकारियों से कैसे संपर्क करेंगे। संगठन के पदाधिकारी के स्थानांतरण करने से संगठन कमजोर होते जा रहे हैं। सातवें वेतन आयोग का पूरा लाभ राज्यों में अभी तक नहीं मिल पाया है, जिसके लिए वह आंदोलनरत हैं।

राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कर्मचारी संगठन की बुरी हालत है। स्थानांतरण नियमावली में संशोधन करके संगठन के अध्यक्ष महामंत्री एवं जनपदीय अध्यक्ष/मंत्री के स्थानांतरण कर दिए गए हैं। कर्मचारियों की मांगों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है, सातवें वेतन आयोग के अनुरूप कैडर पुनर्गठन करके विसंगतियां दूर नहीं की जा रही हैं। संगठन के पदाधिकारियों को 9 से 6 बजे तक कार्यालय में बैठना अनिवार्य कर दिए गए हैं जिससे कर्मचारियों की समस्याओं की पैरवी नहीं हो पा रही है।

इप्सेफ के नेताओं ने चेतावनी दी है कि कर्मचारी संगठनों को कार्य से रोकना जारी रहा तो इप्सेफ पुरानी पेंशन बहाली, संगठन विरोधी कार्यवाही के विरोध में राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन करेगा, इसके लिए बैठक बुलाई जा रही है।

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